निर्गमन 22

22
क्षति-पूर्ति के नियम
1 # 22:1 मूल में अध्‍याय 21:37 ‘यदि कोई मनुष्‍य एक बैल अथवा एक भेड़ चुराकर उसे काटता अथवा बेचता है, तो वह एक बैल के बदले पांच बैल और एक भेड़ के बदले चार भेड़ देकर क्षति-पूर्ति करेगा।#22:1 मूल में अध्‍याय 22:3 का आधा अंश पद 4 के साथ जोड़ा गया। उसे उनको वापस करना पड़ेगा। यदि उसके पास वापस करने के लिए कुछ नहीं है तो उसे चोरी के अपराध में बेच दिया जाएगा। 2यदि चुराया हुआ पशु चाहे वह बैल, गधा अथवा भेड़ हो, उसके अधिकार में जीवित पाया जाए तो वह उसका दुगुना लौटाएगा।
3 # 22:3 मूल में अध्‍याय 22:1 ‘यदि चोर सेंध लगाते हुए रात में पकड़ा जाए और उस पर ऐसा प्रहार हो कि उसकी मृत्‍यु हो जाए, तो उसकी हत्‍या का दोष नहीं लगेगा। 4पर यदि प्रहार के समय सूर्य उदित हो चुका था तो उसकी हत्‍या का दोष लगेगा।
5‘जब कोई व्यक्‍ति दूसरे व्यक्‍ति के खेत अथवा अंगूर-उद्यान को अपने पशुओं से चराएगा या वह अपने पशुओं को खुला छोड़ेगा कि वे दूसरे के खेत को चर जाएँ, तब वह अपने ही खेत और अंगूर-उद्यान की सर्वोत्तम उपज से उसकी क्षति-पूर्ति करेगा।
6‘जब आग झाड़-फूस में लगकर ऐसी फैलती है कि पूलों के ढेर, खड़ी फसल अथवा खेत जलकर राख हो जाते हैं तब आग लगाने वाला व्यक्‍ति सम्‍पूर्ण क्षति-पूर्ति करेगा।
7‘जब कोई व्यक्‍ति अपने पड़ोसी को रुपया अथवा अन्‍य वस्‍तुएँ रखने के लिए देता है, पर उसके घर से उसकी चोरी हो जाती है तब, यदि चोर पकड़ा जाए तो दुगुना वापस करेगा। 8यदि चोर नहीं पकड़ा जाएगा तो गृह-स्‍वामी परमेश्‍वर#22:8 अथवा, ‘न्‍यायाधीशों’ के निकट आएगा, जिससे ज्ञात हो सके कि उसने अपने पड़ोसी की वस्‍तुओं की चोरी की है अथवा नहीं।
9‘जब विश्‍वास-भंग का अपराध हो, चाहे वह बैल, गधे, भेड़, वस्‍त्र अथवा प्रत्‍येक खोई हुई वस्‍तु का दावा क्‍यों न हो, जिसके विषय में एक व्यक्‍ति कहता है; “यह मेरी है, ” तब ऐसे दोनों व्यक्‍तियों का मुकद्दमा परमेश्‍वर के सम्‍मुख लाया जाएगा। परमेश्‍वर जिसे अपराधी घोषित करेगा, वह अपने पड़ोसी को दुगुना वापस करेगा।
10‘जब कोई व्यक्‍ति अपने पड़ोसी को गधा, बैल अथवा भेड़ तथा अन्‍य पशु रखने के लिए देता है और वह पशु बिना किसी की दृष्‍टि में पड़े मर जाए, घायल हो जाए अथवा हांक लिया जाए, 11तब दोनों के मध्‍य प्रभु की शपथ ली जाएगी, जिससे ज्ञात हो सके कि व्यक्‍ति ने अपने पड़ोसी की सम्‍पत्ति की चोरी की है अथवा नहीं। पशु का स्‍वामी शपथ को स्‍वीकार करेगा, और दूसरे व्यक्‍ति को क्षति-पूर्ति नहीं करनी पड़ेगी। 12यदि उसके पास से निश्‍चय ही धरोहर रखे पशु की चोरी हो जाए तो उसे स्‍वामी की क्षति-पूर्ति करनी पड़ेगी।#उत 31:39 13यदि धरोहर रखा पशु, जंगली पशु के द्वारा फाड़ डाला गया है, तो वह फाड़े हुए पशु को प्रमाण के रूप में लाएगा। तब उसे क्षति-पूर्ति नहीं करनी पड़ेगी।
14‘यदि कोई व्यक्‍ति अपने पड़ोसी से एक पशु उधार में लाता है और उसके स्‍वामी की अनुपस्‍थिति में पशु घायल हो जाए अथवा मर जाए, तो वह निश्‍चय ही सम्‍पूर्ण क्षति-पूर्ति करेगा। 15किन्‍तु यदि उसके साथ पशु का स्‍वामी उपस्‍थित था तो वह क्षति-पूर्ति नहीं करेगा। यदि पशु किराए पर लिया गया था तो उसकी क्षति-पूर्ति किराए में हो गई।#22:15 मूल में अस्‍पष्‍ट
नैतिक और धार्मिक नियम
16‘जब कोई पुरुष किसी कुंवरी कन्‍या को, जिसकी सगाई नहीं हुई है, फुसलाकर उसके साथ सहवास करता है तब वह कन्‍या-शुल्‍क चुकाकर उसे अपनी पत्‍नी बनाएगा।#व्‍य 22:28 17‘किन्‍तु यदि कन्‍या का पिता उसको अपनी कन्‍या प्रदान करना सर्वथा अस्‍वीकार कर दे, तो पुरुष कन्‍या-शुल्‍क के बराबर मुद्राएँ चुकाएगा।
18‘जादू-टोना करनेवाली स्‍त्री को जीवित नहीं छोड़ना।#व्‍य 18:10
19‘पशुगमन करने वाले व्यक्‍ति को निश्‍चय ही मृत्‍यु-दण्‍ड दिया जाएगा।#लेव 18:23; 20:15; व्‍य 27:21
20‘एक ही प्रभु के अतिरिक्‍त देवताओं के लिए बलि चढ़ानेवाला व्यक्‍ति पूर्णत: नष्‍ट किया जाएगा।#गण 25:2; व्‍य 17:2
21‘तू किसी प्रवासी के साथ न तो अन्‍याय करना और न उसका दमन ही करना, क्‍योंकि तुम भी मिस्र देश में प्रवासी थे।#लेव 19:33; नि 23:9; व्‍य 10:19; 24:17; मल 3:5 22तू किसी विधवा अथवा अनाथ को पीड़ित मत करना।#यश 1:17 23यदि तू उनको पीड़ा पहुँचाएगा और वे मेरी दुहाई देगें तो मैं निश्‍चय ही उनकी दुहाई सुनूंगा। 24मेरा क्रोध प्रज्‍वलित होगा और मैं तलवार से तुम्‍हारा वध करूंगा। तब तुम्‍हारी पत्‍नियाँ विधवा, और तुम्‍हारे पुत्र अनाथ हो जाएँगे।
25‘यदि तू मेरे लोगों में से किसी निर्धन व्यक्‍ति को जो तेरे साथ रहता है रुपया उधार देगा, तो उसके लिए सूद-खोर जैसा नहीं बनना। तू उस पर ब्‍याज नहीं लगाना।#लेव 25:35; व्‍य 15:7
26‘यदि तू अपने पड़ोसी के वस्‍त्र कभी बन्‍धक में रखे तो सूर्य के अस्‍त होने तक उसे लौटा देना;#व्‍य 24:10; आमो 2:8 27क्‍योंकि वह उसकी चादर है, उसके शरीर का एकमात्र वस्‍त्र है। वह क्‍या ओढ़कर सोएगा? अत: जब वह मेरी दुहाई देगा तब मैं उसको सुनूंगा; क्‍योंकि मैं अनुग्रह-दाता परमेश्‍वर हूँ।
28‘तू परमेश्‍वर#22:28 अथवा ‘न्‍यायाधीशों’ का अनादर नहीं करना, और न अपने समाज के किसी अगुए को अपशब्‍द कहना।#प्रे 23:5
29‘तू मुझे अपने खेत की प्रचुर उपज और रस-कुण्‍डों के रस में से भेंट अर्पित करने में विलम्‍ब न करना।
‘तू मुझे अपने पुत्रों में से पहिलौठा पुत्र देना। 30ऐसा ही अपने बैलों और भेड़ों के पहिलौठे के साथ करना। वह सात दिन तक अपनी माँ के साथ रहेगा किन्‍तु आठवें दिन तू उसको मुझे देना।
31‘तुम मेरे लिए पवित्र बनोगे। अतएव तुम मैदान में जंगली पशु द्वारा फाड़े गए पशु का मांस मत खाना, वरन उसे कुत्तों के सामने फेंक देना। #लेव 17:15

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