यहेजकेल 37:1-11

यहेजकेल 37:1-11 HINCLBSI

प्रभु की सामर्थ्य मुझ पर प्रबल हुई। प्रभु ने अपने आत्‍मा के माध्‍यम से मुझे बाहर निकाला और घाटी के मध्‍य में खड़ा कर दिया। मैंने देखा कि घाटी हड्डियों से भरी है। प्रभु ने मुझे घाटी के चारों ओर घुमाया। मैंने देखा कि घाटी की सतह पर बहुत हड्डियां हैं, और वे पूर्णत: सूखी हुई हैं। प्रभु ने मुझसे पूछा, ‘ओ मानव, क्‍या इन सूखी हड्डियों में प्राण आ सकते हैं?’ मैंने उत्तर दिया, ‘हे स्‍वामी-प्रभु, यह तो केवल आप जानते हैं।’ प्रभु ने मुझ से फिर कहा, ‘तू इन हड्डियों से नबूवत कर। तू इनसे यह कह: ओ सूखी हड्डियो! प्रभु का यह सन्‍देश सुनो। स्‍वामी-प्रभु सूखी हड्डियों से यह कहता है : “मैं तुममें प्राण फूंकूंगा, और तुम जीवित हो जाओगी। मैं तुममें नसें भरूंगा और तुम्‍हारे कंकाल पर मांस चढ़ाऊंगा। मैं उसको त्‍वचा से ढकूंगा, और तुम्‍हें प्राण से परिपूर्ण कर दूंगा। तब तुम जीवित हो जाओगी और तुम्‍हें अनुभव होगा कि मैं ही प्रभु हूं।” ’ अत: प्रभु ने जैसा मुझे आदेश दिया था वैसा ही मैंने किया। मैंने नबूवत की। जब मैं नबूवत कर रहा था तब आवाज सुनाई दी, मानो हड्डियां खड़खड़ा रही हैं। मैंने देखा कि हड्डियां पास आईं और अपनी-अपनी हड्डी से जुड़ गईं। मैं उनको देखता रहा : उन पर नसें भर गईं, उन पर मांस चढ़ गया, और मांस त्‍वचा से ढक गया। किन्‍तु उनमें जीवन का सांस नहीं था। तब प्रभु ने मुझे आदेश दिया, ‘ओ मानव, नबूवत कर! तू जीवन के सांस को मेरा यह सन्‍देश सुना। तू उससे यह कहना : ओ जीवन के सांस, तुझसे स्‍वामी-प्रभु यों कहता है : चारों पवनों से आ, और इन शवों में प्राण फूंक कि ये जीवित हो जाएं।’ अत: मैंने जीवन के सांस को प्रभु का सन्‍देश सुनाया, जैसा प्रभु ने मुझे आदेश दिया था। तब शवों में जीवन का सांस भर गया और वे जीवित हो गए। वे अपने पैरों पर खड़े हो गए! वे संख्‍या में इतने अधिक थे मानो विशाल सेना हो! तब प्रभु ने मुझसे कहा, ‘ओ मानव, ये हड्डियां मानो इस्राएल के सब वंशज हैं। देख, वे कहते हैं, “हमारी हड्डियां सूख गईं। हमारी आशा टूट गई। हम पूर्णत: नष्‍ट हो चुके हैं।”