उन्होंने फिर कहा, ‘आओ, हम अपने लिए एक नगर और ऐसी एक मीनार बनाएँ जिसका शिखर आकाश को स्पर्श करे। इस प्रकार हम नाम कमा लें। ऐसा न हो कि हमें समस्त पृथ्वी पर तितर-बितर होना पड़े।’ जिस नगर और मीनार को मानव-पुत्र बना रहे थे, उनको देखने के लिए प्रभु स्वर्ग से उतरा। प्रभु ने कहा, ‘देखो, ये एक ही कौम के लोग हैं। इन सबकी भाषा भी एक है। यह तो उनके भविष्य के कार्यों का आरम्भ मात्र है। जो कार्य वे आगे करना चाहेंगे, वह उनके लिए असम्भव न होगा। इसलिए आओ, हम उतरकर वहाँ उनकी भाषा में ऐसा सम्भ्रम उत्पन्न करें कि वे एक दूसरे की भाषा समझ न सकें।’ इस प्रकार प्रभु ने उनको वहाँ से समस्त पृथ्वी पर तितर-बितर कर दिया। उन्होंने उस नगर का निर्माण करना छोड़ दिया। इस कारण उस का नाम ‘बाबेल’ पड़ा; क्योंकि वहाँ प्रभु ने समस्त संसार की भाषा में सम्भ्रम उत्पन्न किया था। प्रभु ने वहीं से उन लोगों को समस्त पृथ्वी पर तितर-बितर किया।
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