“हे प्रभु, स्मरण कर कि मैं सच्चाई और सम्पूर्ण हृदय से तेरे सम्मुख तेरे मार्ग पर चला। मैंने उन्हीं कार्यों को किया, जो तेरी दृष्टि में उचित हैं।” यह कहकर हिजकियाह फूट-फूटकर रोने लगा।
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