प्रभु ने यह कहा, ‘निस्सन्देह ये मेरे निज लोग हैं, ये मेरे पुत्र-पुत्रियां हैं, और मुझे धोखा नहीं देंगे।’ उनके दु:ख में प्रभु उनका उद्धारकर्ता बन गया। न किसी संदेशवाहक ने, न किसी स्वर्गदूत ने वरन् स्वयं उसकी उपस्थिति ने उनका उद्धार किया। प्रभु ने अपने प्रेम और दया के कारण उन्हें छुड़ाया। वह प्राचीनकाल से उन्हें शिशु के सदृश गोद में उठाकर ले जा रहा है।
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