यशायाह पुस्तक-परिचय
पुस्तक-परिचय
पवित्र बाइबिल में उस व्यक्ति को नबी अथवा नबिया कहते हैं, जो परमेश्वर की ओर से विशेष आध्यात्मिक अनुभूति प्राप्त करे और उसे प्रभु की इच्छा समझ कर ‘वाणी’ के रूप में घोषित करे। इस प्रकार नबी अपनी परिस्थितियों में ‘दर्शी’ है। प्रभु के नाम में वह अपने समकालीन लोगों के लिए ‘प्रवाचक’ का कार्य करता है : वह उन्हें चेतावनी देता है और सांत्वना भी दे सकता है। उसी अर्थ में वह कभी युग-परिवर्तन का ‘भविष्यवक्ता’ बन जाता है।
इब्रानी बाइबिल के क्रमानुसार ‘यहोशुअ, शासक, 1-2 शमूएल तथा 1-2 राजा’ ग्रंथों को नबी साहित्य का पूर्वभाग मानते हैं। उन ग्रंथों के ऐतिहासिक विवरण में अनेक ‘पूर्ववर्ती नबियों’ के कार्यों एवं वचनों का उल्लेख मिलता है। उनमें प्रमुख हैं : नबिया दबोराह, नबी नातान और नबी-दल के गुरु एलियाह तथा एलीशा। तब नबी यशायाह के ग्रंथ से लेकर ‘उत्तरवर्ती नबियों’ के ग्रंथ आते हैं, जो नबियों के नाम से जाने जाते हैं। किन्तु प्राचीन बाइबिल-अनुवादों के क्रम में ये नबी-ग्रंथ अंतिम खण्ड में हैं।
प्रस्तुत ग्रंथ की रचना महान् नबी यशायाह ने की है। नबी यशायाह ईसवी पूर्व आठवीं शताब्दी के अत्तरार्ध में यरूशलेम में रहते थे। राजदरबार से उनका निकट सम्पर्क था। प्रस्तुत ग्रंथ को हम तीन भागों में बाँट सकते हैं :
1) अध्याय 1-39 न्याय का ग्रंथ। इस खण्ड की विषय-सामग्री उस काल से आरम्भ होती है, जब महाशक्तिशाली असीरियाई साम्राज्य यहूदा राज्य पर आक्रमण की योजना बनाता है। यह सन् 742 ईसवी पूर्व की बात है। मंदिर में पवित्र परमेश्वर की उपस्थिति का अनुभव प्राप्त कर नबी यशायाह कहते हैं कि यहूदा प्रदेश को वास्तविक खतरा असीरिया की सैन्य-शक्ति से नहीं, बल्कि इस्राएली कौम के द्वारा किए गए पापों से है। इस्राएली लोग परमेश्वर पर भरोसा नहीं करते। नबी ने स्पष्ट शब्दों तथा कार्यों द्वारा जनता और नेताओं का आह्वान किया कि वे धर्म एवं न्याय का जीवन व्यतीत करें! नबी उन्हें यह चेतावनी भी देते हैं कि यदि वे परमेश्वर के वचन को नहीं सुनेंगे तो उनका विनाश अवश्यंभावी है। सन् 734 ईसवी पूर्व में वह राजा आहाज को अयोग्य ठहराते हैं और यह नबूवत करते हैं कि राजा दाऊद के वंश में एक ऐसा व्यक्ति जन्म लेगा जो विश्व का आदर्श राजा होगा। संपूर्ण विश्व में ऐसा समय आएगा जब चारों ओर शान्ति का साम्राज्य होगा। यद्यपि हिजकियाह अपेक्षाकृत सुयोग्य राजा था और इसके शासनकाल में, लगभग सन् 701 ईसवी पूर्व में, असीरियाई सम्राट सनहेरिब राजधानी यरूशलेम को गिराने में असफल रहा, फिर भी दाऊद-वंशज के संबंध में कही गई महत्वपूर्ण नबूवत उस धार्मिक राजा हिजकियाह पर लागू नहीं हुई।
2) अध्याय 40-55 आशा और प्रतिज्ञा का ग्रंथ। यह भाग उस समय के विषय भविष्यवाणी करता है जब यहूदा प्रदेश के बहुत से लोग बेबीलोन देश में निष्कासित थे। नबी ने यह घोषणा की : परमेश्वर अपने लोगों को शीघ्र ही बंधुआई से मुक्त करेगा, और उन्हें यरूशलेम वापस लाएगा, ताकि वे नया जीवन आरम्भ करें। इन अध्यायों में एक विशेष विषय-वस्तु पर जोर दिया गया है कि सृष्टिकर्ता परमेश्वर मानवीय इतिहास का सर्वोपरि प्रभु है। उसने अपने लोगों के लिए एक योजना बनाई है, और उनको समस्त विश्व के लिए एक कार्य सौंपा है, क्योंकि उत्पीड़ित इस्राएल के माध्यम से (अथवा उसके प्रतिनिधि की प्रतिस्थानिक मृत्यु के द्वारा?) विश्व के सब राष्ट्र आशिष पाएंगे। ‘प्रभु के सेवक’ संबंधी चार काव्य हैं : 42:1-7; 49:1-9; 50:4-11; 52:13−53:12।
3) अध्याय 56-66 चेतावनी और आश्वासन का ग्रंथ। इन अध्यायों की भविष्यवाणी उन लोगों से संबंधित है जो निष्कासन से लौट कर यरूशलेम में पुन: बसने का प्रयास करते हैं, और जिन्हें इस आश्वासन की आवश्यकता है कि परमेश्वर इस्राएली राष्ट्र से की गई अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करेगा। इन अध्यायों में मनुष्य के धार्मिक आचरण, सामाजिक न्याय, विश्राम-दिवस का पालन, बलि अर्पण तथा प्रार्थना-उपवास के संबंध में नबी के महत्वपूर्ण वचन हैं।
विषय-वस्तु की रूपरेखा
चेतावनी एवं प्रतिज्ञा 1:1−12:6
राष्टों को दण्ड 13:1−23:18
परमेश्वर द्वारा संसार का न्याय 24:1−27:13
अन्य चेतावनियाँ तथा प्रतिज्ञाएँ 28:1−35:10
यहूदा प्रदेश का राजा हिजकियाह तथा असीरिया का राजा सनहेरिब 36:1−39:8
आशा और प्रतिज्ञा के सन्देश 40:1−55:13
चेतावनी और आश्वासन 56:1−66:24
वर्तमान में चयनित:
यशायाह पुस्तक-परिचय: HINCLBSI
हाइलाइट
शेयर
कॉपी
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.
यशायाह पुस्तक-परिचय
पुस्तक-परिचय
पवित्र बाइबिल में उस व्यक्ति को नबी अथवा नबिया कहते हैं, जो परमेश्वर की ओर से विशेष आध्यात्मिक अनुभूति प्राप्त करे और उसे प्रभु की इच्छा समझ कर ‘वाणी’ के रूप में घोषित करे। इस प्रकार नबी अपनी परिस्थितियों में ‘दर्शी’ है। प्रभु के नाम में वह अपने समकालीन लोगों के लिए ‘प्रवाचक’ का कार्य करता है : वह उन्हें चेतावनी देता है और सांत्वना भी दे सकता है। उसी अर्थ में वह कभी युग-परिवर्तन का ‘भविष्यवक्ता’ बन जाता है।
इब्रानी बाइबिल के क्रमानुसार ‘यहोशुअ, शासक, 1-2 शमूएल तथा 1-2 राजा’ ग्रंथों को नबी साहित्य का पूर्वभाग मानते हैं। उन ग्रंथों के ऐतिहासिक विवरण में अनेक ‘पूर्ववर्ती नबियों’ के कार्यों एवं वचनों का उल्लेख मिलता है। उनमें प्रमुख हैं : नबिया दबोराह, नबी नातान और नबी-दल के गुरु एलियाह तथा एलीशा। तब नबी यशायाह के ग्रंथ से लेकर ‘उत्तरवर्ती नबियों’ के ग्रंथ आते हैं, जो नबियों के नाम से जाने जाते हैं। किन्तु प्राचीन बाइबिल-अनुवादों के क्रम में ये नबी-ग्रंथ अंतिम खण्ड में हैं।
प्रस्तुत ग्रंथ की रचना महान् नबी यशायाह ने की है। नबी यशायाह ईसवी पूर्व आठवीं शताब्दी के अत्तरार्ध में यरूशलेम में रहते थे। राजदरबार से उनका निकट सम्पर्क था। प्रस्तुत ग्रंथ को हम तीन भागों में बाँट सकते हैं :
1) अध्याय 1-39 न्याय का ग्रंथ। इस खण्ड की विषय-सामग्री उस काल से आरम्भ होती है, जब महाशक्तिशाली असीरियाई साम्राज्य यहूदा राज्य पर आक्रमण की योजना बनाता है। यह सन् 742 ईसवी पूर्व की बात है। मंदिर में पवित्र परमेश्वर की उपस्थिति का अनुभव प्राप्त कर नबी यशायाह कहते हैं कि यहूदा प्रदेश को वास्तविक खतरा असीरिया की सैन्य-शक्ति से नहीं, बल्कि इस्राएली कौम के द्वारा किए गए पापों से है। इस्राएली लोग परमेश्वर पर भरोसा नहीं करते। नबी ने स्पष्ट शब्दों तथा कार्यों द्वारा जनता और नेताओं का आह्वान किया कि वे धर्म एवं न्याय का जीवन व्यतीत करें! नबी उन्हें यह चेतावनी भी देते हैं कि यदि वे परमेश्वर के वचन को नहीं सुनेंगे तो उनका विनाश अवश्यंभावी है। सन् 734 ईसवी पूर्व में वह राजा आहाज को अयोग्य ठहराते हैं और यह नबूवत करते हैं कि राजा दाऊद के वंश में एक ऐसा व्यक्ति जन्म लेगा जो विश्व का आदर्श राजा होगा। संपूर्ण विश्व में ऐसा समय आएगा जब चारों ओर शान्ति का साम्राज्य होगा। यद्यपि हिजकियाह अपेक्षाकृत सुयोग्य राजा था और इसके शासनकाल में, लगभग सन् 701 ईसवी पूर्व में, असीरियाई सम्राट सनहेरिब राजधानी यरूशलेम को गिराने में असफल रहा, फिर भी दाऊद-वंशज के संबंध में कही गई महत्वपूर्ण नबूवत उस धार्मिक राजा हिजकियाह पर लागू नहीं हुई।
2) अध्याय 40-55 आशा और प्रतिज्ञा का ग्रंथ। यह भाग उस समय के विषय भविष्यवाणी करता है जब यहूदा प्रदेश के बहुत से लोग बेबीलोन देश में निष्कासित थे। नबी ने यह घोषणा की : परमेश्वर अपने लोगों को शीघ्र ही बंधुआई से मुक्त करेगा, और उन्हें यरूशलेम वापस लाएगा, ताकि वे नया जीवन आरम्भ करें। इन अध्यायों में एक विशेष विषय-वस्तु पर जोर दिया गया है कि सृष्टिकर्ता परमेश्वर मानवीय इतिहास का सर्वोपरि प्रभु है। उसने अपने लोगों के लिए एक योजना बनाई है, और उनको समस्त विश्व के लिए एक कार्य सौंपा है, क्योंकि उत्पीड़ित इस्राएल के माध्यम से (अथवा उसके प्रतिनिधि की प्रतिस्थानिक मृत्यु के द्वारा?) विश्व के सब राष्ट्र आशिष पाएंगे। ‘प्रभु के सेवक’ संबंधी चार काव्य हैं : 42:1-7; 49:1-9; 50:4-11; 52:13−53:12।
3) अध्याय 56-66 चेतावनी और आश्वासन का ग्रंथ। इन अध्यायों की भविष्यवाणी उन लोगों से संबंधित है जो निष्कासन से लौट कर यरूशलेम में पुन: बसने का प्रयास करते हैं, और जिन्हें इस आश्वासन की आवश्यकता है कि परमेश्वर इस्राएली राष्ट्र से की गई अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करेगा। इन अध्यायों में मनुष्य के धार्मिक आचरण, सामाजिक न्याय, विश्राम-दिवस का पालन, बलि अर्पण तथा प्रार्थना-उपवास के संबंध में नबी के महत्वपूर्ण वचन हैं।
विषय-वस्तु की रूपरेखा
चेतावनी एवं प्रतिज्ञा 1:1−12:6
राष्टों को दण्ड 13:1−23:18
परमेश्वर द्वारा संसार का न्याय 24:1−27:13
अन्य चेतावनियाँ तथा प्रतिज्ञाएँ 28:1−35:10
यहूदा प्रदेश का राजा हिजकियाह तथा असीरिया का राजा सनहेरिब 36:1−39:8
आशा और प्रतिज्ञा के सन्देश 40:1−55:13
चेतावनी और आश्वासन 56:1−66:24
वर्तमान में चयनित:
:
हाइलाइट
शेयर
कॉपी
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.