याकूब 2:2-13

याकूब 2:2-13 HINCLBSI

मान लीजिए कि आप लोगों की सभा में सोने की अंगूठी और कीमती वस्‍त्र पहने कोई व्यक्‍ति प्रवेश करता है और साथ ही फटे-पुराने कपड़े पहने कोई कंगाल। यदि आप कीमती वस्‍त्र पहने व्यक्‍ति का विशेष ध्‍यान रख कर उससे कहें, “आप यहाँ इस आसन पर विराजिए” और कंगाल से कहें, “तू वहाँ खड़ा रह” अथवा “मेरे पावदान के पास बैठ”, तो क्‍या आपने मन में भेदभाव नहीं आने दिया और गलत विचार के अनुसार निर्णय नहीं किया? मेरे प्रिय भाइयो और बहिनो! सुन लीजिए। क्‍या परमेश्‍वर ने उन लोगों को नहीं चुना है, जो संसार की दृष्‍टि में दरिद्र हैं, ताकि वे विश्‍वास के धनी हो जायें और उस राज्‍य के उत्तराधिकारी बनें, जिसे उसने अपने भक्‍तों को प्रदान करने की प्रतिज्ञा की है? तब भी आपने दरिद्र का तिरस्‍कार किया है। क्‍या धनी आप लोगों का शोषण नहीं करते और आप को अदालतों में घसीट कर नहीं ले जाते? क्‍या वे उस सुन्‍दर नाम की निन्‍दा नहीं करते, जिस से आप पुकारे जाते हैं? धर्मग्रन्‍थ कहता है, “तुम अपने पड़ोसी को अपने समान प्रेम करो।” यदि आप इसके अनुसार सुनहरी आज्ञा पूरी करते हैं, तो अच्‍छा करते हैं। किन्‍तु यदि आप पक्षपात करते हैं, तो पाप करते हैं और व्‍यवस्‍था के अनुसार दोषी ठहरते हैं। यदि कोई पूरी व्‍यवस्‍था का पालन करता है, किन्‍तु उसकी एक धारा का ही उल्‍लंघन करता है, तो वह समस्‍त व्‍यवस्‍था के प्रति अपराध करता है; क्‍योंकि जिसने कहा, “व्‍यभिचार मत करो,” उसने यह भी कहा, “हत्‍या मत करो।” इसलिए यदि आप व्‍यभिचार नहीं करते, किन्‍तु हत्‍या करते हैं, तो आप व्‍यवस्‍था का उल्‍लंघन करते हैं। आपकी बातचीत और आपका आचरण उन लोगों के सदृश हो, जिनका न्‍याय स्‍वतन्‍त्रता प्रदान करने वाली व्‍यवस्‍था के अनुसार किया जायेगा। जिसने दया नहीं दिखायी है, उसका न्‍याय दया के साथ नहीं किया जायेगा; किन्‍तु दया न्‍याय पर विजय पाती है।