प्रभु यों कहता है : ‘वह मनुष्य शापित है, जो आदमी पर भरोसा करता है, जो हाड़-मांस के पुतले का सहारा लेता है, जिसका हृदय प्रभु से भटक जाता है। वह मरुस्थल की छोटी सूखी झाड़ी के समान होता है, जो कभी फलती-फूलती नहीं। वह मनुष्य निर्जन प्रदेश के सूखे इलाकों में निवास करेगा; वह नोनी भूमि के क्षेत्र में रहेगा, जहां कोई नहीं बसता।
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