यिर्मयाह 31
31
प्रभु का शाश्वत प्रेम
1प्रभु कहता है, ‘उन दिनों में,
मैं इस्राएल के सब कुलों का परमेश्वर
होऊंगा,
और वे मेरे निज लोग कहलाएंगे।’
2प्रभु यों कहता है,
‘जो लोग फरओ की तलवार से बच गए थे,
उन लोगों ने निर्जन प्रदेश में
मेरी कृपा प्राप्त की थी।
तब इस्राएल ने विश्राम-स्थल की खोज की
3तब मैंने दूर से उसको दर्शन दिया।
ओ इस्राएल! ओ कुंआरी कन्या! मैंने तुझ से
प्रेम किया है, सदा प्रेम किया है;
इसलिए स्नेह से मैं
तुझको अपने पास लाया हूं।
4मैं तेरा पुनर्निर्माण करूंगा,
और तू फिर बसेगी,
तू फिर सोलह श्रृंगार करेगी,
और आनन्द मनानेवालों के बीच में
नाचते-गाते हुए निकलेगी।
5तू सामरी प्रदेश के पहाड़ों पर
पुन: अंगूर-उद्यान लगाएगी;
बाग-बगीचे लगानेवाले
अपने बाग-बगीचों का फल भी खाएंगे।#यश 65:21; आमो 9:14
6ओ इस्राएल! एक दिन ऐसा भी आएगा
जब पहरेदार एफ्रइम के पहाड़ी क्षेत्र में
पुकार-पुकार कर कहेगा,
“ओ सोनेवालो, उठो! और सियोन पर्वत पर
अपने प्रभु परमेश्वर के पास चलो।” ’
सब देशों से बन्दी इस्राएलियों की वापसी
7प्रभु यों कहता है : ‘याकूब के स्वागत में
उल्लासपूर्वक उच्च स्वर में गाओ।
पहाड़ों के शिखरों से#31:7 अथवा, ‘जो जातियों में श्रेष्ठ है, उसके लिए’
ऊंचे स्वर में जय-जयकार करो;
प्रभु के इस कार्य के लिए यह घोषित करो;
प्रभु की स्तुति करो, और यह कहो,
“प्रभु ने इस्राएल के बचे हुए लोगों का,
अपने निज लोगों का उद्धार किया।” ’
8प्रभु कहता है:
‘मैं उनको उत्तर देश से वापस लाऊंगा,
मैं पृथ्वी के सीमान्तों से उन को एकत्र
करूंगा।
उन के साथ अन्धे और लंगड़े होंगे,
गर्भवती स्त्रियां और जच्चा स्त्रियां भी होंगी।
एक विशाल जन-समूह यहां लौटेगा।
9वे आनन्द के आंसू बहाते हुए आएंगे;
और मैं उनको शान्ति देता हुआ
उनका मार्ग-दर्शन करूंगा।
मैं उनको झरनों के किनारे चलाता हुआ
लाऊंगा,
उनको सीधे मार्ग से ले जाऊंगा,
जहां वे लड़खड़ा कर नहीं गिरेंगे;
क्योंकि मैं इस्राएली कौम का पिता हूं,
और एफ्रइम मेरा ज्येष्ठ पुत्र है।’#भज 126:5; 2 कुर 6:18
10ओ राष्ट्रों, प्रभु का सन्देश सुनो;
और उसके दूर-दूर के,
समुद्र तट के द्वीपों में घोषित करो:
‘जिस प्रभु ने इस्राएली कौम को बिखराया था,
वही अब उस को एकत्र करेगा।
और जैसे चरवाहा अपने रेवड़ की देखभाल
करता है
वैसे ही प्रभु इस्राएलियों को संभालेगा।’#यो 10:16
11प्रभु ने याकूब का विमोचन-मूल्य चुका
दिया,
उसने उसके प्रबल शत्रु के पंजे से
उसको मुक्त कर दिया।#यश 49:24
12अब इस्राएली सियोन पर्वत पर आएंगे,
और उच्च स्वर में प्रभु का गुणगान करेंगे।
प्रभु की भलाई के कारण
उनके मुख पर चमक होगी;
क्योंकि प्रभु उनको अनाज, अंगूर-रस,
जैतून का तेल
भेड़-बकरियों और गायों के बच्चे देगा।
जल से सींचे गये उद्यान के सदृश
उनके प्राण हरे-भरे होंगे;
इस्राएली फिर कभी दु:खी न होंगे।
13प्रभु यों कहता है: ‘युवतियां आनन्द-मग्न
हो नृत्य करेंगी,
जवान और बूढ़े एक साथ हर्ष मनाएंगे।
मैं-प्रभु उनके शोक को आनन्द में बदल
दूंगा,
मैं उनको शान्ति दूंगा,
और उनको दु:ख के बदले सुख दूंगा।#यो 16:22
14मैं अपने पुरोहितों को
उत्तम भोजन-वस्तुओं से तृप्त करूंगा,
मैं अपनी भलाई के कारण
अपने निज लोगों को उत्तम वस्तुएं दूंगा,
और वे सन्तुष्ट होंगे।’
कुल-माता राहेल का रोदन
15प्रभु यों कहता है :
‘रामा नगर में शोक-स्वर सुनाई दे रहा है :
छाती पीट-पीट कर रोने का स्वर :
राहेल अपने बच्चों के लिए
बिलख-बिलख कर रो रही है।
उसके बच्चे नहीं रहे,
इसलिए वह शान्त होना नहीं चाह रही है।’#मत 2:18; उत 35:16-19
16प्रभु राहेल से यों कहता है :
‘ओ राहेल, मुंह से रोने की आवाज मत
निकाल,
अपनी आंखों को आंसुओं से मत भिगो।
तेरे परिश्रम का फल तुझे मिलेगा,
तेरे पुत्र अपने शत्रुओं के देश से लौटेंगे;
मुझ-प्रभु की यह वाणी है।
17सुन, तेरा भविष्य आशापूर्ण है।
तेरे बच्चे, निस्सन्देह, स्वदेश वापस आएंगे।’
प्रभु की यह वाणी है।
18‘मैंने एफ्रइम को विलाप करते हुए सुना है।
वह मुझ से कह रहा था,
“तूने मुझे सजा दी, और मैं ताड़ित हुआ,
मानो मैं नवसीखिए बछड़े के समान हूं
जो जूए में जोतने के योग्य नहीं होता
और बहुत ताड़ना पाता है।
मुझे स्वदेश वापस ले जा,
तब मैं पुन: प्रतिष्ठित होऊंगा,
क्योंकि तू ही मेरा प्रभु परमेश्वर है।
19तुझ से विमुख हो जाने के बाद
मैं पछताया;
जब मैं दुष्कर्म के अधीन हो गया#31:19 अथवा, ‘जब मुझमें समझ आई’
तब मैंने छाती पीट कर विलाप किया।
मैं अपनी जवानी के पापों का स्मरण कर
लज्जित हो जाता हूं,
शर्म से मेरा सिर झुक जाता है।”
20ओ एफ्रइम, निस्सन्देह, तू मेरा प्रिय पुत्र है,
सचमुच तू मेरा प्यारा बेटा है।
यदि मैं तेरे विरुद्ध कुछ कहता भी हूं,
तब भी मुझे तेरी सुधि रहती है।
मेरा हृदय तेरे लिए भर आता है,
मैं निस्सन्देह तुझ पर दया करूंगा’,
प्रभु की यह वाणी है।
21‘ओ इस्राएल, ओ कुंआरी कन्या!
अपने लिए मार्ग-चिह्न बना ले,
पथ पर दिशा बतानेवाले
खंभे और ध्वजाएं गाड़ ले।
जिस मार्ग पर तू गई थी,
जिस पथ से तू गुजरी थी,
उस पर सोच-विचार कर।
ओ कुंआरी कन्या, वापस आ;
अपने इन नगरों में लौट आ।
22ओ चंचल#31:22 अथवा, ‘विश्वासघातिनी’ पुत्री!
तू कब तक यहां-वहां भटकती रहेगी?
मैं-प्रभु ने पृथ्वी पर एक नई व्यवस्था की है :
नारी पुरुष की रक्षा करेगी#31:22 मूल इब्रानी शब्द के अर्थ के सम्बन्ध में विद्वानों में मतभेद है: प्रणय-निवेदन करना, आवृत्त करना ।’
23इस्राएल का परमेश्वर, स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है : ‘जब मैं यहूदा प्रदेश के निवासियों की समृद्धि लौटा दूंगा, तब वे पुन: अपने नगरों में, यहूदा प्रदेश में यह कह कर सियोन की प्रशंसा करेंगे :
“ओ पवित्र सियोन पर्वत,
धर्म से परिपूर्ण नगर यरूशलेम!
प्रभु तुझ पर आशिष की वर्षा करता रहे।”
24‘यहूदा प्रदेश के सब नगर-निवासी, किसान और चरवाहे जो भेड़-बकरियों के साथ यहां-वहां भटकते हैं, अब शांति से अपने देश में निवास करेंगे। 25मैं थके-मांदे लोगों को तृप्त करूंगा, और उदास लोगों को नवजीवन दूंगा।’
26तब मैं नींद से जाग उठा। मैंने इधर-उधर देखा। मुझे अपनी नींद बहुत मीठी लगी।
नया विधान
27प्रभु यों कहता है : ‘देखो, समय आ रहा है जब मैं इस्राएल और यहूदा प्रदेशों के मनुष्यों और पशुओं की आबादी बढ़ाऊंगा।#यहेज 18:2 28जैसे मैं बीते वर्षों में उन को उखाड़ने, तोड़ने, उलट-पुलट करने, उनका सर्वनाश करने, और उन पर विपत्ति ढाहने की बात सोचता था, वैसे ही अब उनका पुनर्निर्माण करने और उनको रोपने की बात सोचूंगा। मुझ-प्रभु की यह वाणी है। 29उन दिनों में लोग यह कहावत नहीं कहेंगे: “बाप-दादों ने दुष्कर्म किए, इसलिए उनकी सन्तान को उनके दुष्कर्मों का फल भुगतना पड़ा।#31:29 अथवा, ‘पूर्वजों ने खट्टे अंगूर खाए, इसलिए उनकी सन्तान के दांत खट्टे हो गए।’ ” 30किन्तु अब पाप करनेवाला व्यक्ति स्वयं अपने पाप का फल भोगेगा, और मरेगा। दुष्कर्म करनेवाला अपने दुष्कर्म का फल पाएगा।’
31प्रभु यों कहता है : ‘देखो, समय आ रहा है, जब मैं इस्राएल और यहूदा प्रदेशों की जनता के साथ नया विधान स्थापित करूंगा।#यिर 32:40; मत 26:28; 1 कुर 11:25; 2 कुर 3:6; इब्र 8:8 32यह विधान उस विधान के समान नहीं होगा, जो मैंने उनके पूर्वजों से स्थापित किया था। जब मैं उनका हाथ पकड़ कर उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया था, तब मैंने उनसे विधान स्थापित किया था। किन्तु उन्होंने मेरे विधान को तोड़ डाला था, यद्यपि मैं उन का स्वामी था। मुझ-प्रभु की यह वाणी है।’
33प्रभु यों कहता है : ‘उन दिनों के पश्चात् मैं इस्राएली जनता से यह विधान स्थापित करूंगा: मैं उनके मन में अपनी व्यवस्था प्रतिष्ठित करूंगा, और मैं उसको उनके हृदय पर लिखूंगा। मैं उनका परमेश्वर होऊंगा, और वे मेरे निज लोग होंगे।#यिर 24:7; इब्र 10:16; 2 कुर 3:3 34तब किसी भी व्यक्ति को अपने पड़ोसी अथवा भाई-बन्धु को यह सिखाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी कि “प्रभु को जानो,” क्योंकि छोटे-बड़े सब लोग स्वयं मुझे जानेंगे। मैं उनके अधर्म को क्षमा कर दूंगा, और उनका पाप फिर स्मरण नहीं करूंगा। मुझ-प्रभु की यह वाणी है।’
35प्रभु, जिसने दिन में प्रकाश देने के लिए
सूर्य को नियुक्त किया है,
जिस ने रात में रोशनी के लिए
चन्द्रमा और तारों को स्थित किया है;
जो समुद्र को उत्तेजित करता है
और लहरें गरजने लगती हैं;
और जिसका यह नाम है,
“स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु,”
वह यों कहता है, #उत 1:16; यश 51:15
36‘क्या यह संभव है
कि सूर्य, चन्द्रमा और तारों के
ये निश्चित नियम
मेरे सम्मुख से टल जाएं?
यदि यह संभव है तो इस्राएल के वंशज भी
मेरे सामने से एक राष्ट्र के रूप में
सदा के लिए विलुप्त हो जाएंगे।’
37प्रभु यों कहता है,
‘ऊपर आकाश को यदि नापना संभव है,
अथवा यदि नीचे, पृथ्वी की नींव का पता
लगाया जा सकता है,
तो मैं इस्राएल के सब वंशजों को
उन के समस्त दुष्कर्मों के कारण त्याग दूंगा।
मुझ-प्रभु की यह वाणी है।’
38प्रभु कहता है, ‘देखो, समय आ रहा है, जब यह नगर हननएल बुर्ज से कोना-द्वार तक मेरे लिए पुनर्निर्मित होगा। 39उस के माप की डोरी सीधे आगे जाएगी, वह गारेब पहाड़ी पर पहुंचेगी, और वहां से घूम कर गोआ तक जाएगी। 40सम्पूर्ण घाटी, जहां लाशें और राख के ढेर पड़े हैं, तथा किद्रोन नाले तक के सब खेत और पूर्व के अश्व-द्वार के कोने तक की समस्त भूमि मुझ-प्रभु के लिए पवित्र मानी जाएगी।
‘यह नगर फिर कभी ध्वस्त नहीं होगा, और न यह ढाया ही जाएगा।’ #प्रक 22:3
वर्तमान में चयनित:
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Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
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यिर्मयाह 31
31
प्रभु का शाश्वत प्रेम
1प्रभु कहता है, ‘उन दिनों में,
मैं इस्राएल के सब कुलों का परमेश्वर
होऊंगा,
और वे मेरे निज लोग कहलाएंगे।’
2प्रभु यों कहता है,
‘जो लोग फरओ की तलवार से बच गए थे,
उन लोगों ने निर्जन प्रदेश में
मेरी कृपा प्राप्त की थी।
तब इस्राएल ने विश्राम-स्थल की खोज की
3तब मैंने दूर से उसको दर्शन दिया।
ओ इस्राएल! ओ कुंआरी कन्या! मैंने तुझ से
प्रेम किया है, सदा प्रेम किया है;
इसलिए स्नेह से मैं
तुझको अपने पास लाया हूं।
4मैं तेरा पुनर्निर्माण करूंगा,
और तू फिर बसेगी,
तू फिर सोलह श्रृंगार करेगी,
और आनन्द मनानेवालों के बीच में
नाचते-गाते हुए निकलेगी।
5तू सामरी प्रदेश के पहाड़ों पर
पुन: अंगूर-उद्यान लगाएगी;
बाग-बगीचे लगानेवाले
अपने बाग-बगीचों का फल भी खाएंगे।#यश 65:21; आमो 9:14
6ओ इस्राएल! एक दिन ऐसा भी आएगा
जब पहरेदार एफ्रइम के पहाड़ी क्षेत्र में
पुकार-पुकार कर कहेगा,
“ओ सोनेवालो, उठो! और सियोन पर्वत पर
अपने प्रभु परमेश्वर के पास चलो।” ’
सब देशों से बन्दी इस्राएलियों की वापसी
7प्रभु यों कहता है : ‘याकूब के स्वागत में
उल्लासपूर्वक उच्च स्वर में गाओ।
पहाड़ों के शिखरों से#31:7 अथवा, ‘जो जातियों में श्रेष्ठ है, उसके लिए’
ऊंचे स्वर में जय-जयकार करो;
प्रभु के इस कार्य के लिए यह घोषित करो;
प्रभु की स्तुति करो, और यह कहो,
“प्रभु ने इस्राएल के बचे हुए लोगों का,
अपने निज लोगों का उद्धार किया।” ’
8प्रभु कहता है:
‘मैं उनको उत्तर देश से वापस लाऊंगा,
मैं पृथ्वी के सीमान्तों से उन को एकत्र
करूंगा।
उन के साथ अन्धे और लंगड़े होंगे,
गर्भवती स्त्रियां और जच्चा स्त्रियां भी होंगी।
एक विशाल जन-समूह यहां लौटेगा।
9वे आनन्द के आंसू बहाते हुए आएंगे;
और मैं उनको शान्ति देता हुआ
उनका मार्ग-दर्शन करूंगा।
मैं उनको झरनों के किनारे चलाता हुआ
लाऊंगा,
उनको सीधे मार्ग से ले जाऊंगा,
जहां वे लड़खड़ा कर नहीं गिरेंगे;
क्योंकि मैं इस्राएली कौम का पिता हूं,
और एफ्रइम मेरा ज्येष्ठ पुत्र है।’#भज 126:5; 2 कुर 6:18
10ओ राष्ट्रों, प्रभु का सन्देश सुनो;
और उसके दूर-दूर के,
समुद्र तट के द्वीपों में घोषित करो:
‘जिस प्रभु ने इस्राएली कौम को बिखराया था,
वही अब उस को एकत्र करेगा।
और जैसे चरवाहा अपने रेवड़ की देखभाल
करता है
वैसे ही प्रभु इस्राएलियों को संभालेगा।’#यो 10:16
11प्रभु ने याकूब का विमोचन-मूल्य चुका
दिया,
उसने उसके प्रबल शत्रु के पंजे से
उसको मुक्त कर दिया।#यश 49:24
12अब इस्राएली सियोन पर्वत पर आएंगे,
और उच्च स्वर में प्रभु का गुणगान करेंगे।
प्रभु की भलाई के कारण
उनके मुख पर चमक होगी;
क्योंकि प्रभु उनको अनाज, अंगूर-रस,
जैतून का तेल
भेड़-बकरियों और गायों के बच्चे देगा।
जल से सींचे गये उद्यान के सदृश
उनके प्राण हरे-भरे होंगे;
इस्राएली फिर कभी दु:खी न होंगे।
13प्रभु यों कहता है: ‘युवतियां आनन्द-मग्न
हो नृत्य करेंगी,
जवान और बूढ़े एक साथ हर्ष मनाएंगे।
मैं-प्रभु उनके शोक को आनन्द में बदल
दूंगा,
मैं उनको शान्ति दूंगा,
और उनको दु:ख के बदले सुख दूंगा।#यो 16:22
14मैं अपने पुरोहितों को
उत्तम भोजन-वस्तुओं से तृप्त करूंगा,
मैं अपनी भलाई के कारण
अपने निज लोगों को उत्तम वस्तुएं दूंगा,
और वे सन्तुष्ट होंगे।’
कुल-माता राहेल का रोदन
15प्रभु यों कहता है :
‘रामा नगर में शोक-स्वर सुनाई दे रहा है :
छाती पीट-पीट कर रोने का स्वर :
राहेल अपने बच्चों के लिए
बिलख-बिलख कर रो रही है।
उसके बच्चे नहीं रहे,
इसलिए वह शान्त होना नहीं चाह रही है।’#मत 2:18; उत 35:16-19
16प्रभु राहेल से यों कहता है :
‘ओ राहेल, मुंह से रोने की आवाज मत
निकाल,
अपनी आंखों को आंसुओं से मत भिगो।
तेरे परिश्रम का फल तुझे मिलेगा,
तेरे पुत्र अपने शत्रुओं के देश से लौटेंगे;
मुझ-प्रभु की यह वाणी है।
17सुन, तेरा भविष्य आशापूर्ण है।
तेरे बच्चे, निस्सन्देह, स्वदेश वापस आएंगे।’
प्रभु की यह वाणी है।
18‘मैंने एफ्रइम को विलाप करते हुए सुना है।
वह मुझ से कह रहा था,
“तूने मुझे सजा दी, और मैं ताड़ित हुआ,
मानो मैं नवसीखिए बछड़े के समान हूं
जो जूए में जोतने के योग्य नहीं होता
और बहुत ताड़ना पाता है।
मुझे स्वदेश वापस ले जा,
तब मैं पुन: प्रतिष्ठित होऊंगा,
क्योंकि तू ही मेरा प्रभु परमेश्वर है।
19तुझ से विमुख हो जाने के बाद
मैं पछताया;
जब मैं दुष्कर्म के अधीन हो गया#31:19 अथवा, ‘जब मुझमें समझ आई’
तब मैंने छाती पीट कर विलाप किया।
मैं अपनी जवानी के पापों का स्मरण कर
लज्जित हो जाता हूं,
शर्म से मेरा सिर झुक जाता है।”
20ओ एफ्रइम, निस्सन्देह, तू मेरा प्रिय पुत्र है,
सचमुच तू मेरा प्यारा बेटा है।
यदि मैं तेरे विरुद्ध कुछ कहता भी हूं,
तब भी मुझे तेरी सुधि रहती है।
मेरा हृदय तेरे लिए भर आता है,
मैं निस्सन्देह तुझ पर दया करूंगा’,
प्रभु की यह वाणी है।
21‘ओ इस्राएल, ओ कुंआरी कन्या!
अपने लिए मार्ग-चिह्न बना ले,
पथ पर दिशा बतानेवाले
खंभे और ध्वजाएं गाड़ ले।
जिस मार्ग पर तू गई थी,
जिस पथ से तू गुजरी थी,
उस पर सोच-विचार कर।
ओ कुंआरी कन्या, वापस आ;
अपने इन नगरों में लौट आ।
22ओ चंचल#31:22 अथवा, ‘विश्वासघातिनी’ पुत्री!
तू कब तक यहां-वहां भटकती रहेगी?
मैं-प्रभु ने पृथ्वी पर एक नई व्यवस्था की है :
नारी पुरुष की रक्षा करेगी#31:22 मूल इब्रानी शब्द के अर्थ के सम्बन्ध में विद्वानों में मतभेद है: प्रणय-निवेदन करना, आवृत्त करना ।’
23इस्राएल का परमेश्वर, स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है : ‘जब मैं यहूदा प्रदेश के निवासियों की समृद्धि लौटा दूंगा, तब वे पुन: अपने नगरों में, यहूदा प्रदेश में यह कह कर सियोन की प्रशंसा करेंगे :
“ओ पवित्र सियोन पर्वत,
धर्म से परिपूर्ण नगर यरूशलेम!
प्रभु तुझ पर आशिष की वर्षा करता रहे।”
24‘यहूदा प्रदेश के सब नगर-निवासी, किसान और चरवाहे जो भेड़-बकरियों के साथ यहां-वहां भटकते हैं, अब शांति से अपने देश में निवास करेंगे। 25मैं थके-मांदे लोगों को तृप्त करूंगा, और उदास लोगों को नवजीवन दूंगा।’
26तब मैं नींद से जाग उठा। मैंने इधर-उधर देखा। मुझे अपनी नींद बहुत मीठी लगी।
नया विधान
27प्रभु यों कहता है : ‘देखो, समय आ रहा है जब मैं इस्राएल और यहूदा प्रदेशों के मनुष्यों और पशुओं की आबादी बढ़ाऊंगा।#यहेज 18:2 28जैसे मैं बीते वर्षों में उन को उखाड़ने, तोड़ने, उलट-पुलट करने, उनका सर्वनाश करने, और उन पर विपत्ति ढाहने की बात सोचता था, वैसे ही अब उनका पुनर्निर्माण करने और उनको रोपने की बात सोचूंगा। मुझ-प्रभु की यह वाणी है। 29उन दिनों में लोग यह कहावत नहीं कहेंगे: “बाप-दादों ने दुष्कर्म किए, इसलिए उनकी सन्तान को उनके दुष्कर्मों का फल भुगतना पड़ा।#31:29 अथवा, ‘पूर्वजों ने खट्टे अंगूर खाए, इसलिए उनकी सन्तान के दांत खट्टे हो गए।’ ” 30किन्तु अब पाप करनेवाला व्यक्ति स्वयं अपने पाप का फल भोगेगा, और मरेगा। दुष्कर्म करनेवाला अपने दुष्कर्म का फल पाएगा।’
31प्रभु यों कहता है : ‘देखो, समय आ रहा है, जब मैं इस्राएल और यहूदा प्रदेशों की जनता के साथ नया विधान स्थापित करूंगा।#यिर 32:40; मत 26:28; 1 कुर 11:25; 2 कुर 3:6; इब्र 8:8 32यह विधान उस विधान के समान नहीं होगा, जो मैंने उनके पूर्वजों से स्थापित किया था। जब मैं उनका हाथ पकड़ कर उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया था, तब मैंने उनसे विधान स्थापित किया था। किन्तु उन्होंने मेरे विधान को तोड़ डाला था, यद्यपि मैं उन का स्वामी था। मुझ-प्रभु की यह वाणी है।’
33प्रभु यों कहता है : ‘उन दिनों के पश्चात् मैं इस्राएली जनता से यह विधान स्थापित करूंगा: मैं उनके मन में अपनी व्यवस्था प्रतिष्ठित करूंगा, और मैं उसको उनके हृदय पर लिखूंगा। मैं उनका परमेश्वर होऊंगा, और वे मेरे निज लोग होंगे।#यिर 24:7; इब्र 10:16; 2 कुर 3:3 34तब किसी भी व्यक्ति को अपने पड़ोसी अथवा भाई-बन्धु को यह सिखाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी कि “प्रभु को जानो,” क्योंकि छोटे-बड़े सब लोग स्वयं मुझे जानेंगे। मैं उनके अधर्म को क्षमा कर दूंगा, और उनका पाप फिर स्मरण नहीं करूंगा। मुझ-प्रभु की यह वाणी है।’
35प्रभु, जिसने दिन में प्रकाश देने के लिए
सूर्य को नियुक्त किया है,
जिस ने रात में रोशनी के लिए
चन्द्रमा और तारों को स्थित किया है;
जो समुद्र को उत्तेजित करता है
और लहरें गरजने लगती हैं;
और जिसका यह नाम है,
“स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु,”
वह यों कहता है, #उत 1:16; यश 51:15
36‘क्या यह संभव है
कि सूर्य, चन्द्रमा और तारों के
ये निश्चित नियम
मेरे सम्मुख से टल जाएं?
यदि यह संभव है तो इस्राएल के वंशज भी
मेरे सामने से एक राष्ट्र के रूप में
सदा के लिए विलुप्त हो जाएंगे।’
37प्रभु यों कहता है,
‘ऊपर आकाश को यदि नापना संभव है,
अथवा यदि नीचे, पृथ्वी की नींव का पता
लगाया जा सकता है,
तो मैं इस्राएल के सब वंशजों को
उन के समस्त दुष्कर्मों के कारण त्याग दूंगा।
मुझ-प्रभु की यह वाणी है।’
38प्रभु कहता है, ‘देखो, समय आ रहा है, जब यह नगर हननएल बुर्ज से कोना-द्वार तक मेरे लिए पुनर्निर्मित होगा। 39उस के माप की डोरी सीधे आगे जाएगी, वह गारेब पहाड़ी पर पहुंचेगी, और वहां से घूम कर गोआ तक जाएगी। 40सम्पूर्ण घाटी, जहां लाशें और राख के ढेर पड़े हैं, तथा किद्रोन नाले तक के सब खेत और पूर्व के अश्व-द्वार के कोने तक की समस्त भूमि मुझ-प्रभु के लिए पवित्र मानी जाएगी।
‘यह नगर फिर कभी ध्वस्त नहीं होगा, और न यह ढाया ही जाएगा।’ #प्रक 22:3
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