यहूदा प्रदेश के राजा सिदकियाह के राज्य का दसवां वर्ष था, और बेबीलोन में राजा नबूकदनेस्सर के शासन का अठारहवां वर्ष था। उस समय बेबीलोन के राजा की सेना यरूशलेम नगर की घेराबन्दी कर रही थी, और नबी यिर्मयाह यहूदा के राजा के राजमहल में, अंगरक्षकों के आंगन में बन्दी थे; क्योंकि राजा सिदकियाह ने उनको गिरफ्तार कर लिया था। उसने उनपर यह आरोप लगाया था, ‘नबी तुम नबूवत में यह क्यों कहते हो कि प्रभु यों कहता है: “प्रभु इस नगर को बेबीलोन के राजा के हाथ में सौंप रहा है, और वह इस पर अधिकार कर लेगा?” तब मैं, यहूदा प्रदेश का राजा, कसदी सेना के हाथ से बच कर भाग नहीं सकूंगा, और बेबीलोन के राजा के हाथ में सौंपा जाऊंगा। मैं और वह आमने-सामने बातें करेंगे, और एक-दूसरे को अपनी आंखों से देखेंगे। वह मुझे बन्दी बनाकर बेबीलोन ले जाएगा। जब तक प्रभु मेरी सुधि न लेगा, मैं वहां बन्दी रहूंगा। तुम यह भी कहते हो, “यह प्रभु की वाणी है।” यद्यपि मैं कसदी सेना के आक्रमण का मुकाबला करूंगा तो भी मुझे सफलता नहीं मिलेगी?’ तब प्रभु की ओर से यह सन्देश नबी यिर्मयाह को मिला। नबी यिर्मयाह ने कहा, ‘प्रभु का यह वचन मुझे मिला है: “देख, तेरे चाचा शल्लूम का पुत्र हनमएल तेरे पास आएगा और तुझ से निवेदन करेगा कि तू उसके अनातोत नगर के खेत को खरीद ले, क्योंकि मोल ले कर सम्पत्ति को छुड़ाने का अधिकार तेरा ही है।”
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