“यदि तुम मुझ से प्रेम करते हो, तो मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे। मैं पिता से प्रार्थना करूँगा और वह तुम्हें एक दूसरा सहायक प्रदान करेगा, जो सदा तुम्हारे साथ रहेगा। वह सत्य का आत्मा है, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह उसे न तो देखता है और न जानता है। तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है और तुम में रहेगा। “मैं तुम को अनाथ नहीं छोड़ूँगा, मैं तुम्हारे पास आ रहा हूँ। थोड़ी देर और, फिर संसार मुझे नहीं देखेगा। पर तुम मुझे देखोगे; क्योंकि मैं जीवित हूँ, इसलिए तुम भी जीवित होगे। उस दिन तुम जान जाओगे कि मैं अपने पिता में हूँ, तुम मुझ में हो और मैं तुम में। जो मेरी आज्ञाएँ मानते और उनका पालन करते हैं, वे ही मुझ से प्रेम करते हैं और जो मुझ से प्रेम करते हैं, उनसे पिता प्रेम करेगा और मैं भी उनसे प्रेम करूँगा और उन पर अपने को प्रकट करूँगा। यहूदा ने (जो यूदस इस्करियोती से भिन्न है) येशु से कहा, “प्रभु! आप हम पर अपने को प्रकट करेंगे, संसार पर नहीं; इसका कारण क्या है?” येशु ने उसे उत्तर दिया, “जो मुझ से प्रेम करेंगे, वे मेरे वचन का पालन करेंगे और मेरा पिता उन से प्रेम करेगा और हम उनके पास आएँगे और उनके साथ निवास करेंगे। जो मुझ से प्रेम नहीं करता, वह मेरे वचनों का पालन नहीं करता। जो वचन तुम सुनते हो, वह मेरा नहीं, बल्कि उस पिता का है, जिसने मुझे भेजा है। “तुम्हारे साथ रहते हुए मैंने तुम से ये बातें कही हैं। परन्तु ‘सहायक’, अर्थात् पवित्र आत्मा, जिसे पिता मेरे नाम पर भेजेगा, तुम्हें सब कुछ सिखाएगा। जो कुछ मैंने तुम से कहा है, वह उसका स्मरण तुम्हें कराएगा। “शान्ति मैं तुम को दिए जाता हूँ। अपनी शान्ति मैं तुम्हें प्रदान करता हूँ− जैसे संसार देता वैसे मैं तुम्हें नहीं देता। तुम्हारा मन व्याकुल और भयभीत न हो।
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