योहन 21:4-25

योहन 21:4-25 HINCLBSI

सबेरा हो ही रहा था कि येशु तट पर आ खड़े हुए; किन्‍तु शिष्‍य उन्‍हें नहीं पहचान सके कि वह येशु हैं। येशु ने उनसे कहा, “बच्‍चो! क्‍या तुम्‍हारे पास खाने को कुछ है?” उन्‍होंने उत्तर दिया, “कुछ नहीं।” इस पर येशु ने उनसे कहा, “नाव की दाहिनी ओर जाल डालो, तो तुम्‍हें मिलेगा।” उन्‍होंने जाल डाला और इतनी मछलियाँ फँस गयीं कि वे जाल नहीं निकाल सके। तब उस शिष्‍य ने, जिस से येशु प्रेम करते थे, पतरस से कहा, “यह तो प्रभु हैं।” जब सिमोन पतरस ने सुना कि यह प्रभु हैं, तो उसने कमर में अपना अंगरखा कस लिया, क्‍योंकि वह वस्‍त्र नहीं पहने था; और वह झील में कूद पड़ा। दूसरे शिष्‍य मछलियों से भरा जाल खींचते हुए नाव पर आए। वे किनारे से अधिक दूर नहीं, केवल सौ मीटर दूर थे। उन्‍होंने तट पर उतर कर वहाँ कोयले की आग पर रखी हुई मछली और रोटी देखी। येशु ने उनसे कहा, “तुम ने अभी जो मछलियाँ पकड़ी हैं, उनमें से कुछ ले आओ।” सिमोन पतरस नाव पर चढ़कर जाल किनारे खींच लाया। उस में एक सौ तिरपन बड़ी-बड़ी मछलियाँ थीं और इतनी मछलियाँ होने पर भी जाल नहीं फटा था। येशु ने उन से कहा, “आओ, जलपान कर लो।” शिष्‍यों में किसी को भी येशु से यह पूछने का साहस नहीं हुआ कि आप कौन हैं क्‍योंकि वे जानते थे कि वह प्रभु हैं। येशु आए। उन्‍होंने रोटी ले कर उन्‍हें दी और इसी तरह मछली भी। इस प्रकार मृतकों में से जी उठने के पश्‍चात् यह तीसरी बार येशु ने शिष्‍यों को दर्शन दिया। जलपान के बाद येशु ने सिमोन पतरस से कहा, “सिमोन, योहन के पुत्र! क्‍या इनकी अपेक्षा तुम मुझ से अधिक प्रेम करते हो?” उसने उन्‍हें उत्तर दिया, “जी हाँ, प्रभु! आप जानते हैं कि मैं आप को प्‍यार करता हूँ।” उन्‍होंने पतरस से कहा, “मेरे मेमनों को चराओ।” येशु ने दूसरी बार उससे कहा, “सिमोन, योहन के पुत्र! क्‍या तुम मुझ से प्रेम करते हो?” उसने उत्तर दिया, “जी हाँ, प्रभु! आप जानते हैं कि मैं आप को प्‍यार करता हूँ।” उन्‍होंने पतरस से कहा, “मेरी भेड़ों की रखवाली करो।” येशु ने तीसरी बार उससे कहा, “सिमोन, योहन के पुत्र! क्‍या तुम मुझे प्‍यार करते हो?” पतरस को इससे दु:ख हुआ कि उन्‍होंने तीसरी बार उससे यह पूछा, “क्‍या तुम मुझे प्‍यार करते हो?”। उसने येशु से कहा, “प्रभु! आप तो सब कुछ जानते हैं। आप जानते हैं कि मैं आप को प्‍यार करता हूँ।” येशु ने उससे कहा, “मेरी भेड़ों को चराओ। “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ : जब तुम युवा थे तब तुम स्‍वयं अपनी कमर कस कर जहाँ चाहते थे, वहाँ घूमते-फिरते थे। किन्‍तु जब तुम वृद्ध होगे, तब तुम अपने हाथ फैलाओगे और दूसरा व्यक्‍ति तुम्‍हारी कमर कस कर तुम्‍हें वहाँ ले जाएगा, जहाँ तुम जाना नहीं चाहते।” इन शब्‍दों से येशु ने संकेत किया कि किस प्रकार की मृत्‍यु से पतरस परमेश्‍वर की महिमा करेगा। येशु ने अन्‍त में पतरस से कहा, “मेरा अनुसरण करो।” पतरस ने मुड़ कर उस शिष्‍य को पीछे-पीछे आते देखा, जिससे येशु प्रेम करते थे और जिसने भोजन के समय उनकी छाती पर झुक कर पूछा था, “प्रभु! वह कौन है, जो आप को पकड़वाएगा?” पतरस ने उसे देख कर येशु से पुछा, “प्रभु! इसका क्‍या होगा?” येशु ने उसे उत्तर दिया, “यदि मेरी इच्‍छा हो कि यह मेरे आने तक रहे, तो इस से तुम्‍हें क्‍या? तुम मेरा अनुसरण करो।” यह बात भाई-बहिनों में फैल गयी कि वह शिष्‍य नहीं मरेगा। परन्‍तु येशु ने यह नहीं कहा था कि “यह नहीं मरेगा”, बल्‍कि यह कि “यदि मेरी इच्‍छा हो कि यह मेरे आने तक रहे, तो इससे तुम्‍हें क्‍या?” यह वही शिष्‍य है, जो इन बातों के विषय में साक्षी दे रहा है और जिसने इन बातों का विवरण लिखा है। हम जानते हैं कि उसकी साक्षी सत्‍य है। येशु ने और भी अनेक कार्य किये हैं। यदि एक-एक कर उनका वर्णन किया जाता, तो मैं समझता हूँ कि जो पुस्‍तकें लिखी जातीं, वे संसार भर में भी नहीं समा पातीं।

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