एक दिन ईश-पुत्र प्रभु के दरबार में उपस्थित हुए। उनके साथ शैतान भी आया। प्रभु ने शैतान से पूछा, ‘तू कहाँ से आ रहा है?’ शैतान ने प्रभु को बताया, ‘मैं पृथ्वी पर इधर-उधर घूमते-फिरते हुए यहाँ आया हूँ।’
प्रभु ने शैतान से फिर पूछा, ‘क्या तूने मेरे सेवक अय्यूब पर ध्यान दिया? क्या उसके समान सिद्ध और निष्कपट, मुझ-परमेश्वर से डरनेवाला और बुराई से दूर रहनेवाला कोई मनुष्य पृथ्वी पर है?’
शैतान ने प्रभु को उत्तर दिया, ‘क्या अय्यूब बिना मतलब आपसे डरता है? क्या आपने उसकी रक्षा के लिए उसके चारों ओर, उसके घर और उसकी हर वस्तु के चारों ओर बाड़ा नहीं बांधा है? आपने उसके प्रत्येक कार्य को सफल किया है, इसलिए देश में उसकी धन-सम्पत्ति की वृद्धि हुई है। यदि आप उसकी धन-सम्पत्ति नष्ट करने के उद्देश्य से उसको हाथ लगाएँ तो वह आपके मुंह पर आपको कोसेगा।’
प्रभु ने शैतान से कहा, ‘अच्छा, मैं उसकी धन-सम्पत्ति पर तूझे अधिकार देता हूं, केवल उसके शरीर को हाथ न लगाना।’ इसके बाद शैतान प्रभु के दरबार से निकलकर चला गया।
एक दिन अय्यूब के पुत्र-पुत्रियां बड़े भाई के घर में भोजन कर रहे थे, और अंगूर-रस पी रहे थे। इसी समय अय्यूब के पास उसके सेवकों में से एक किसान आया, और उसने कहा, ‘स्वामी, हम आपके खेतों में बैलों से हल जोत रहे थे, और गदहियां उनके पास ही चर रही थीं। तभी शबा देश के लुटेरे कारवां ने आक्रमण किया और वे पशुओं को लूटकर ले गए। उन्होंने आपके सेवकों को तलवार से मौत के घाट उतार दिया। केवल मैं बच गया और अब आपको खबर देने के लिए आया हूं।’
किसान यह कह ही रहा था कि एक चरवाहा आया, और उसने यह कहा, ‘आकाश से परमेश्वर की आग गिरी, और उसने भेड़-बकरियों और सेवकों को भस्म कर दिया। केवल मैं बच गया और अब आपको यह खबर देने के लिए आया हूँ।’
चरवाहा यह कह ही रहा था कि एक महावत आया, और उसने यह कहा, ‘कसदी लूटेरों ने हमारे ऊंटों पर तीन ओर से हमला किया, और वे उनको लूटकर ले गए। उन्होंने महावतों को तलवार से मौत के घाट उतार दिया। केवल मैं बच गया और अब आपको यह खबर देने के लिए आया हूँ।’
महावत यह कह ही रहा था कि एक युवक आया, और उसने कहा, ‘आपके पुत्र और पुत्रियाँ अपने बड़े भाई के घर में भोजन कर रहे थे, और अंगूर-रस पी रहे थे कि अचानक मरुस्थल की ओर से एक भीषण आंधी आयी। उसने मकान के चारों से ऐसा धक्का दिया कि वह आपके जवान पुत्र-पुत्रियों पर गिर पड़ा और वे दबकर मर गये। केवल मैं ही बच गया और अब आपको यह खबर देने के लिये आया हूं।’
तब अय्यूब उठा। उसने शोक प्रकट करने के लिए अपना अंगरखा फाड़ा और अपना सिर मुंड़ाया। वह भूमि पर गिरा, और उसने प्रभु की साष्टांग वन्दना की। उसने कहा,
‘मैं अपनी मां के पेट से
नंगा बाहर निकला था।
मैं नंगा ही वहाँ लौटूंगा,
जहाँ से आया था।
प्रभु ने दिया था,
प्रभु ने ले लिया।
प्रभु का नाम धन्य है।’
अय्यूब पर ये चारों विपत्तियाँ आई, पर उसने पाप नहीं किया, और न परमेश्वर पर मूर्खतापूर्ण आरोप लगाया।