अय्‍यूब 13:17-28

अय्‍यूब 13:17-28 HINCLBSI

मेरी बातों को सावधानी से सुनो; मेरी घोषणाओं पर ध्‍यान दो! देखो, मैंने अपने मुकदमे की पूरी तैयारी कर ली है; मुझे निश्‍चय है कि मैं निर्दोष सिद्ध हो जाऊंगा। वह कौन है जो मुझसे बहस कर सकेगा? यदि ऐसा कोई हो तो मैं चुप हो जाऊंगा, और प्राण त्‍याग दूँगा। ‘प्रभु, केवल दो बातें मेरी स्‍वीकार कर; तब मैं अपने को तुझसे नहीं छिपाऊंगा। तू अपना हाथ मुझ से हटा ले, तेरा भय मुझे आतंकित न करे। तब तू मुझे बुला, और मैं तेरे प्रश्‍नों का उत्तर दूंगा; अथवा मैं तुझसे प्रश्‍न पूछूँ और तू मुझे उत्तर दे। बता, मैंने कितने दुष्‍कर्म और पाप किए हैं? मेरे अपराध और पाप मुझ पर प्रकट कर। तू अपना मुख मुझसे क्‍यों छिपाता है? तू मुझे अपना शत्रु क्‍यों मानता है? क्‍या तू उड़ते हुए पत्ते को कंप-कंपाएगा। क्‍या तू सूखे भूसे का पीछा करेगा? तू मेरे विरुद्ध कड़वे आरोप रचता है, और मुझे उन दुष्‍कर्मों का दण्‍ड भुगताता है जो मैंने अपनी युवावस्‍था में किए थे! तू मेरे पैरों में काठ की बेड़ी पहनाता है; और मेरे प्रत्‍येक पग पर नजर रखता है। तूने मेरे पैरों के सम्‍मुख सीमा-रेखा खींच दी है जिसको मैं पार नहीं कर सकता! मैं जर्जर हूँ, और सड़ी गली वस्‍तु के समान नष्‍ट हो रहा हूँ! मैं कीड़ा खाया हुआ वस्‍त्र हूँ!