अय्यूब के तीन मित्र थे : तेमान नगर का रहनेवाला एलीपज, शूही वंश का बिलदद और नामाह नगर का निवासी सोपर। जब उन्होंने सुना कि अय्यूब पर विपत्तियाँ टूट पड़ी हैं, तब वे अपने-अपने घर से निकले। उन्होंने निश्चय किया कि वे अय्यूब के साथ शोक प्रकट करने और उसको शान्ति देने के लिए एक-साथ जाएँगे। तीनों मित्र गए। जब उन्होंने दूर से अय्यूब को देखा तब वे उसको पहचान न सके। वे फूट-फूटकर रोने लगे। उन्होंने प्रथा के अनुसार शोक प्रकट करने के लिए अपना-अपना बागा फाड़ा, आकाश की ओर धूल उड़ाई, और फिर उसको अपने-अपने सिर पर डाला। वे अय्यूब के साथ भूमि पर सात दिन और सात रात चुपचाप बैठे रहे। उनके मुँह से सहानुभूति का एक शब्द भी न निकला; क्योंकि उन्होंने अनुभव किया कि अय्यूब का दु:ख अपार है।
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