यहोशुअ पुस्तक परिचय
पुस्तक परिचय
प्रस्तुत ग्रंथ में इस्राएली लोगों के कनान देश में प्रवेश करने और उसे अधिकार में कर लेने का वृत्तांत है। कुल-पतियों को दी गई प्रतिज्ञा के कारण यह देश इस्राएलियों को मीरास के रूप में प्राप्त हुआ था, लेकिन उस पर पूर्ण अधिकार करने के लिए उन्हें अनेकों आक्रमण करने पड़े। इन आक्रमणों का नायक यहोशुअ था, जिसने मूसा के देहान्त के पश्चात् इस्राएलियों का नेतृत्त्व संभाला था। इस पुस्तक में निम्नलिखित विशेष घटनाओं का विवरण दिया गया है: यर्दन नदी को पार करना, यरीहो नगर का पतन, ऐ नगर का युद्ध तथा शकेम नगर में परमेश्वर एवं उसके निज लोगों के मध्य विधान (वाचा) की पुन:स्थापना।
पवित्र बाइबिल के इब्रानी संस्करण में “व्यवस्था” के पांच ग्रंथों के बाद आनेवाले ग्रंथ “नबियों के ग्रंथ” कहलाते हैं। वास्तव में यहोशुअ, शासक, 1-2 शमूएल तथा 1-2 राजा जैसे ग्रंथों में नबियों के संदेश के लिए ऐतिहासिक पृष्ठभूमि प्रस्तुत की गई है, क्योंकि इतिहास में उनका यह संदेश सत्य प्रमाणित हो जाता है कि प्रभु का वचन सुनना और उसका पालन करना इस्राएल के लिए जीवन का मार्ग है, जैसे व्यवस्था-विवरण ग्रंथ में कहा गया है: “हे इस्राएल, मैं ने तेरे सम्मुख जीवन और मृत्यु, आशिष और अभिशाप रख दिए हैं। इसलिए जीवन को चुन” (व्य 30:19)। यहोशुअ ने यह स्पष्ट उत्तर दिया जो प्रस्तुत पुस्तक का विख्यात पद है:
“तुम्हें आज ही इस बात का निर्णय करना होगा कि तुम किसकी आराधना करोगे। जहाँ तक मेरा और मेरे परिवार का प्रश्न है, हम प्रभु ही की आराधना करेंगे” (यहो 24:15)। अन्त में यह पुस्तक धर्म-युद्ध की नहीं, वरन् युद्ध-मार्ग छोड़ने की शिक्षा देती है (इब्र 4:8-11)। इसका संदेश तभी सार्थक हो जाता है, जब यहोशुअ की क्रूर निर्दय रण-नीति को जीवन-संग्राम में सहृदय सत्यनिष्ठ सेवा का प्रतीक माना जाए।
विषय-वस्तु की रूपरेखा
कनान देश पर विजय 1:1−12:24
भूमि का आबंटन 13:1−21:45
(क) यर्दन नदी के पूर्व का भूमि-क्षेत्र 13:1-33
(ख) यर्दन नदी के पश्चिम का भूमि-क्षेत्र 14:1−19:51
(ग) शरण-नगर 20:1-9
(घ) लेवीय नगर 21:1-45
पूर्व दिशा में रहनेवाले इस्राएली कुल एवं मनश्शे गोत्र के आधे लोग अपने भूमि-भाग को लौटते हैं 22:1-34
यहोशुअ का अंतिम वक्तव्य 23:1-16
शकेम नगर में विधान की पुन:स्थापना 24:1-33
वर्तमान में चयनित:
यहोशुअ पुस्तक परिचय: HINCLBSI
हाइलाइट
शेयर
कॉपी
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.
यहोशुअ पुस्तक परिचय
पुस्तक परिचय
प्रस्तुत ग्रंथ में इस्राएली लोगों के कनान देश में प्रवेश करने और उसे अधिकार में कर लेने का वृत्तांत है। कुल-पतियों को दी गई प्रतिज्ञा के कारण यह देश इस्राएलियों को मीरास के रूप में प्राप्त हुआ था, लेकिन उस पर पूर्ण अधिकार करने के लिए उन्हें अनेकों आक्रमण करने पड़े। इन आक्रमणों का नायक यहोशुअ था, जिसने मूसा के देहान्त के पश्चात् इस्राएलियों का नेतृत्त्व संभाला था। इस पुस्तक में निम्नलिखित विशेष घटनाओं का विवरण दिया गया है: यर्दन नदी को पार करना, यरीहो नगर का पतन, ऐ नगर का युद्ध तथा शकेम नगर में परमेश्वर एवं उसके निज लोगों के मध्य विधान (वाचा) की पुन:स्थापना।
पवित्र बाइबिल के इब्रानी संस्करण में “व्यवस्था” के पांच ग्रंथों के बाद आनेवाले ग्रंथ “नबियों के ग्रंथ” कहलाते हैं। वास्तव में यहोशुअ, शासक, 1-2 शमूएल तथा 1-2 राजा जैसे ग्रंथों में नबियों के संदेश के लिए ऐतिहासिक पृष्ठभूमि प्रस्तुत की गई है, क्योंकि इतिहास में उनका यह संदेश सत्य प्रमाणित हो जाता है कि प्रभु का वचन सुनना और उसका पालन करना इस्राएल के लिए जीवन का मार्ग है, जैसे व्यवस्था-विवरण ग्रंथ में कहा गया है: “हे इस्राएल, मैं ने तेरे सम्मुख जीवन और मृत्यु, आशिष और अभिशाप रख दिए हैं। इसलिए जीवन को चुन” (व्य 30:19)। यहोशुअ ने यह स्पष्ट उत्तर दिया जो प्रस्तुत पुस्तक का विख्यात पद है:
“तुम्हें आज ही इस बात का निर्णय करना होगा कि तुम किसकी आराधना करोगे। जहाँ तक मेरा और मेरे परिवार का प्रश्न है, हम प्रभु ही की आराधना करेंगे” (यहो 24:15)। अन्त में यह पुस्तक धर्म-युद्ध की नहीं, वरन् युद्ध-मार्ग छोड़ने की शिक्षा देती है (इब्र 4:8-11)। इसका संदेश तभी सार्थक हो जाता है, जब यहोशुअ की क्रूर निर्दय रण-नीति को जीवन-संग्राम में सहृदय सत्यनिष्ठ सेवा का प्रतीक माना जाए।
विषय-वस्तु की रूपरेखा
कनान देश पर विजय 1:1−12:24
भूमि का आबंटन 13:1−21:45
(क) यर्दन नदी के पूर्व का भूमि-क्षेत्र 13:1-33
(ख) यर्दन नदी के पश्चिम का भूमि-क्षेत्र 14:1−19:51
(ग) शरण-नगर 20:1-9
(घ) लेवीय नगर 21:1-45
पूर्व दिशा में रहनेवाले इस्राएली कुल एवं मनश्शे गोत्र के आधे लोग अपने भूमि-भाग को लौटते हैं 22:1-34
यहोशुअ का अंतिम वक्तव्य 23:1-16
शकेम नगर में विधान की पुन:स्थापना 24:1-33
वर्तमान में चयनित:
:
हाइलाइट
शेयर
कॉपी
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.