शोक-गीत 4
4
सियोन का दण्ड पूर्ण हुआ
1सोने का रंग कैसे फीका पड़ गया!
शुद्ध सोना कैसे खोटा हो गया!
यरूशलेम में पवित्र पत्थर रूपी पुरुष गली-
कूचों के छोरों पर मृत पड़े हैं।
2सियोन के श्रेष्ठ पुत्र, जो शुद्ध सोने के तुल्य थे;
वे कुम्हार के बनाए गए
मिट्टी के बर्तन के समान तुच्छ माने गए!
3सियार भी थन पसार कर
अपने बच्चों को दूध पिलाती है;
किन्तु मेरे लोगों की बेटी,
वन की शुतुरमुर्गी की तरह निष्ठुर हो गई है।#अय्य 39:14
4प्यास के कारण दूध पीनेवाले बच्चों की जीभ
उनके तालू से चिपक गई।
बच्चे रोटी मांग रहे हैं,
परन्तु कोई भी उनको रोटी नहीं देता।
5जो पहिले छप्पन भोग खाते थे,
अब वे सड़कों पर भूख से मरे पड़े हैं।
जो कीमती वस्त्र पहिनकर जवान हुए थे,
अब वे घूरों को गले लगा रहे हैं।
6मेरे लोगों की नगरी यरूशलेम के अधर्म का दण्ड
सदोम नगर के पाप के दण्ड से अधिक
कठोर है,
जो नगर बिना किसी के हाथ लगाए ही
क्षण भर में उलट-पुलट गया था।#उत 19:25
7मेरे लोगों की नगरी के तरुण#4:7 मूल में ‘नाजीर’ अर्थात् समर्पण-व्रतधारी
हिम से अधिक निर्मल थे,
दूध से अधिक उज्ज्वल थे
उनकी देह मूंगे से अधिक लाल थी;
उनका रूप नीलम जैसा सुन्दर था।
8अब उनके चेहरे अंधकार से अधिक काले
पड़ गए हैं;
वे सड़कों पर पहचाने भी नहीं जाते।
उनकी चमड़ी हड्डियों से चिपक गई है,
वह लकड़ी के समान सूख गई है।
9जो तलवार से मारे गए
वे उन लोगों से अच्छे रहे,
जो भूख का शिकार बने;
वे खेतों के अन्न के अभाव में
सूख गए, मुरझा गए।
10दयालु मांओं ने
अपने ही हाथों से अपने बच्चों को पकाया!
मेरे अपने लोगों की नगरी के विनाश के
समय ये बच्चे अपनी मांओं का आहार बन गए।#व्य 28:57
11तब प्रभु ने अपना पूरा क्रोध ढाह दिया;
उसने क्रोधाग्नि की वर्षा की;
उसने सियोन में आग लगा दी,
जिसने उसकी नींव तक भस्म कर दी।
12संसार के राजा और पृथ्वी के निवासी
यह विश्वास नहीं करते थे कि
बैरी अथवा शत्रु यरूशलेम के द्वारों से प्रवेश
कर सकेंगे।
13परन्तु यह यरूशलेम के नबियों के पापों के कारण;
उसके पुरोहितों के दुष्कर्मों के कारण संभव हुआ;
क्योंकि नबियों और पुरोहितों ने
धार्मिकों का रक्त नगर में बहाया था।#यिर 5:31
14वे अंधों की तरह गलियों में भटकते हैं;
उनकी पोशाक धार्मिकों के खून से कलंकित
है, अत: कोई उनकी पोशाक को
स्पर्श नहीं करता।
15लोग उनको देखकर चिल्लाते हैं,
‘अशुद्ध! भागो!
भागो! यहां से भागो। हमें स्पर्श मत करो।’
अत: वे इधर-उधर भटकने लगे।
तब अन्य राष्ट्रों के लोगों ने यह कहा,
‘ये हमारे साथ अब नहीं रह सकते।’#लेव 13:45
16स्वयं प्रभु ने अपने क्रोध से
उन्हें अन्य राष्ट्रों में तितर-बितर किया है;
अब वह उन पर ध्यान नहीं देगा।
लोगों ने पुरोहितों का सम्मान नहीं किया,
और न ही धर्मवृद्धों पर दया की।
17सयाहता की राह देखते-देखते
हमारी आंखें पथरा गईं;
हमने सहायता के लिए ऐसे राष्ट्र की बाट
जोही जो हमें बचा न सका।
18शत्रु हमारे पीछे ऐसे पड़े थे
कि हम चौराहों पर खुलेआम न चल सके।
हमारा अन्त समीप आ गया था;
हमारी आयु पूरी हो चुकी थी;
क्योंकि हमारे जीवन का अंत
निकट आ गया था।
19हमारा पीछा करनेवाला शत्रु
आकाशगामी बाजों से भी अधिक वेगवान
थे, उन्होंने पहाड़ों पर हमारा पीछा किया;
वे निर्जन प्रदेश में भी घात लगाकर बैठे रहे।
20हमारा प्राण, प्रभु का अभिषिक्त राजा बन्दी
बना लिया गया;
और वह उनके गड्ढों में डाल दिया गया।
हम अपने राजा के विषय में यह कहते थे:
‘हम महाराज की छत्रछाया में
पृथ्वी के राष्ट्रों के मध्य जीवित रहेंगे।’#उत 2:7
21ओ एदोम देश की राजधानी,
ओ ऊज देश में रहनेवाली!
तू यरूशलेम के पतन से आनन्दित है;
आनन्द मना! पर स्मरण रख!
तेरा भी पतन होगा,
विनाश का प्याला तू भी पियेगी;
तू मदमस्त होगी,
और अपनी नग्नता का प्रदर्शन करेगी।
22ओ सियोन की पुत्री,
तेरे अधर्म का दण्ड पूरा हुआ;
प्रभु तुझे और अधिक दिन तक
विदेश में निर्वासित नहीं रखेगा;
पर तू, ओ एदोम की पुत्री,
प्रभु तुझे तेरे अधर्म का दण्ड देगा;
वह तेरे सब पापों को उघाड़ेगा।
वर्तमान में चयनित:
शोक-गीत 4: HINCLBSI
हाइलाइट
शेयर
कॉपी
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.
शोक-गीत 4
4
सियोन का दण्ड पूर्ण हुआ
1सोने का रंग कैसे फीका पड़ गया!
शुद्ध सोना कैसे खोटा हो गया!
यरूशलेम में पवित्र पत्थर रूपी पुरुष गली-
कूचों के छोरों पर मृत पड़े हैं।
2सियोन के श्रेष्ठ पुत्र, जो शुद्ध सोने के तुल्य थे;
वे कुम्हार के बनाए गए
मिट्टी के बर्तन के समान तुच्छ माने गए!
3सियार भी थन पसार कर
अपने बच्चों को दूध पिलाती है;
किन्तु मेरे लोगों की बेटी,
वन की शुतुरमुर्गी की तरह निष्ठुर हो गई है।#अय्य 39:14
4प्यास के कारण दूध पीनेवाले बच्चों की जीभ
उनके तालू से चिपक गई।
बच्चे रोटी मांग रहे हैं,
परन्तु कोई भी उनको रोटी नहीं देता।
5जो पहिले छप्पन भोग खाते थे,
अब वे सड़कों पर भूख से मरे पड़े हैं।
जो कीमती वस्त्र पहिनकर जवान हुए थे,
अब वे घूरों को गले लगा रहे हैं।
6मेरे लोगों की नगरी यरूशलेम के अधर्म का दण्ड
सदोम नगर के पाप के दण्ड से अधिक
कठोर है,
जो नगर बिना किसी के हाथ लगाए ही
क्षण भर में उलट-पुलट गया था।#उत 19:25
7मेरे लोगों की नगरी के तरुण#4:7 मूल में ‘नाजीर’ अर्थात् समर्पण-व्रतधारी
हिम से अधिक निर्मल थे,
दूध से अधिक उज्ज्वल थे
उनकी देह मूंगे से अधिक लाल थी;
उनका रूप नीलम जैसा सुन्दर था।
8अब उनके चेहरे अंधकार से अधिक काले
पड़ गए हैं;
वे सड़कों पर पहचाने भी नहीं जाते।
उनकी चमड़ी हड्डियों से चिपक गई है,
वह लकड़ी के समान सूख गई है।
9जो तलवार से मारे गए
वे उन लोगों से अच्छे रहे,
जो भूख का शिकार बने;
वे खेतों के अन्न के अभाव में
सूख गए, मुरझा गए।
10दयालु मांओं ने
अपने ही हाथों से अपने बच्चों को पकाया!
मेरे अपने लोगों की नगरी के विनाश के
समय ये बच्चे अपनी मांओं का आहार बन गए।#व्य 28:57
11तब प्रभु ने अपना पूरा क्रोध ढाह दिया;
उसने क्रोधाग्नि की वर्षा की;
उसने सियोन में आग लगा दी,
जिसने उसकी नींव तक भस्म कर दी।
12संसार के राजा और पृथ्वी के निवासी
यह विश्वास नहीं करते थे कि
बैरी अथवा शत्रु यरूशलेम के द्वारों से प्रवेश
कर सकेंगे।
13परन्तु यह यरूशलेम के नबियों के पापों के कारण;
उसके पुरोहितों के दुष्कर्मों के कारण संभव हुआ;
क्योंकि नबियों और पुरोहितों ने
धार्मिकों का रक्त नगर में बहाया था।#यिर 5:31
14वे अंधों की तरह गलियों में भटकते हैं;
उनकी पोशाक धार्मिकों के खून से कलंकित
है, अत: कोई उनकी पोशाक को
स्पर्श नहीं करता।
15लोग उनको देखकर चिल्लाते हैं,
‘अशुद्ध! भागो!
भागो! यहां से भागो। हमें स्पर्श मत करो।’
अत: वे इधर-उधर भटकने लगे।
तब अन्य राष्ट्रों के लोगों ने यह कहा,
‘ये हमारे साथ अब नहीं रह सकते।’#लेव 13:45
16स्वयं प्रभु ने अपने क्रोध से
उन्हें अन्य राष्ट्रों में तितर-बितर किया है;
अब वह उन पर ध्यान नहीं देगा।
लोगों ने पुरोहितों का सम्मान नहीं किया,
और न ही धर्मवृद्धों पर दया की।
17सयाहता की राह देखते-देखते
हमारी आंखें पथरा गईं;
हमने सहायता के लिए ऐसे राष्ट्र की बाट
जोही जो हमें बचा न सका।
18शत्रु हमारे पीछे ऐसे पड़े थे
कि हम चौराहों पर खुलेआम न चल सके।
हमारा अन्त समीप आ गया था;
हमारी आयु पूरी हो चुकी थी;
क्योंकि हमारे जीवन का अंत
निकट आ गया था।
19हमारा पीछा करनेवाला शत्रु
आकाशगामी बाजों से भी अधिक वेगवान
थे, उन्होंने पहाड़ों पर हमारा पीछा किया;
वे निर्जन प्रदेश में भी घात लगाकर बैठे रहे।
20हमारा प्राण, प्रभु का अभिषिक्त राजा बन्दी
बना लिया गया;
और वह उनके गड्ढों में डाल दिया गया।
हम अपने राजा के विषय में यह कहते थे:
‘हम महाराज की छत्रछाया में
पृथ्वी के राष्ट्रों के मध्य जीवित रहेंगे।’#उत 2:7
21ओ एदोम देश की राजधानी,
ओ ऊज देश में रहनेवाली!
तू यरूशलेम के पतन से आनन्दित है;
आनन्द मना! पर स्मरण रख!
तेरा भी पतन होगा,
विनाश का प्याला तू भी पियेगी;
तू मदमस्त होगी,
और अपनी नग्नता का प्रदर्शन करेगी।
22ओ सियोन की पुत्री,
तेरे अधर्म का दण्ड पूरा हुआ;
प्रभु तुझे और अधिक दिन तक
विदेश में निर्वासित नहीं रखेगा;
पर तू, ओ एदोम की पुत्री,
प्रभु तुझे तेरे अधर्म का दण्ड देगा;
वह तेरे सब पापों को उघाड़ेगा।
वर्तमान में चयनित:
:
हाइलाइट
शेयर
कॉपी
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.