यहूदा प्रदेश के राजा हेरोदेस के समय में अबिय्याह के दल का जकर्याह नामक एक पुरोहित था। उसकी पत्नी हारून वंश की थी। उसका नाम एलीशेबा था। वे दोनों परमेश्वर की दृष्टि में धार्मिक थे। वे प्रभु की सब आज्ञाओं और नियमों का निर्दोष अनुसरण करते थे। उनके कोई सन्तान नहीं थी, क्योंकि एलीशेबा बाँझ थी और दोनों बूढ़े हो चले थे। जब जकर्याह नियुिक्त के क्रम से अपने दल के साथ परमेश्वर के सामने पुरोहित का कार्य कर रहा था, तब पुरोहितों की प्रथा के अनुसार उसके नाम चिट्ठी निकली कि वह प्रभु के मन्दिर में प्रवेश कर धूप जलाए। धूप जलाने के समय सब लोग बाहर प्रार्थना कर रहे थे। उस समय प्रभु का दूत उसे धूप की वेदी की दायीं ओर दिखाई दिया। जकर्याह स्वर्गदूत को देख कर घबरा गया और भयभीत हो उठा; परन्तु स्वर्गदूत ने उससे कहा, “जकर्याह! डरिए नहीं। आपकी प्रार्थना सुनी गयी है। आपकी पत्नी एलीशेबा को एक पुत्र उत्पन्न होगा। आप उसका नाम ‘योहन’ रखना। आप आनन्दित और उल्लसित होंगे और उसके जन्म पर बहुत लोग आनन्द मनाएँगे, क्योंकि वह प्रभु की दृष्टि में महान् होगा। वह दाखरस और मदिरा नहीं पिएगा, वरन् अपनी माता के गर्भ से ही पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होगा। वह इस्राएल के बहुत लोगों को उनके प्रभु परमेश्वर की ओर लौटा लाएगा। वह नबी एलियाह के सदृश आत्मा और सामर्थ्य से सम्पन्न होकर प्रभु का अग्रदूत बनेगा, जिससे वह माता-पिता और उनकी संतान में मेल कराए और आज्ञा-उल्लंघन करने वालों को धार्मिकों की सद्बुद्धि प्रदान करे, और प्रभु के लिए एक सुयोग्य प्रजा तैयार करे।” जकर्याह ने स्वर्गदूत से कहा, “मैं यह कैसे जानूँ? क्योंकि मैं तो बूढ़ा हूँ और मेरी पत्नी भी बूढ़ी हो चली है।” स्वर्गदूत ने उसे उत्तर दिया, “मैं गब्रिएल स्वर्गदूत हूँ। परमेश्वर के सामने उपस्थित रहता हूँ। मैं आप से बातें करने और आप को यह शुभ समाचार सुनाने भेजा गया हूँ। देखिए, जिस दिन तक ये बातें पूरी नहीं होंगी, उस दिन तक आप गूँगे रहेंगे और बोल नहीं सकेंगे; क्योंकि आपने मेरी बातों पर, जो अपने समय पर पूरी होंगी, विश्वास नहीं किया।” जनसमूह जकर्याह की बाट जोह रहा था और आश्चर्य कर रहा था कि वह मन्दिर में इतनी देर क्यों लगा रहा है। बाहर निकलने पर जब वह उन से बोल नहीं सका, तो वे समझ गये कि उस ने मन्दिर में कोई दर्शन देखा है। वह उनसे हाथ से इशारा करता रहा, और मुँह से बोल न सका। अपनी धर्म-सेवा के दिन पूरे हो जाने पर वह अपने घर चला गया। कुछ समय बाद उसकी पत्नी एलीशेबा गर्भवती हुई। उसने पाँच महीने तक अपने को यह कहते हुए छिपाये रखा, “प्रभु ने समाज में मेरा कलंक दूर करने के लिए अब मुझ पर कृपा-दृष्टि की है।”
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