साथ भोजन करने वालों में किसी ने यह सुन कर येशु से कहा, “धन्य है वह, जो परमेश्वर के राज्य में भोजन करेगा!” येशु ने उसे उत्तर दिया, “किसी मनुष्य ने एक बड़े भोज का आयोजन किया और बहुत-से लोगों को निमन्त्रण दिया। भोजन के समय उसने अपने सेवक द्वारा निमन्त्रित लोगों को यह कहला भेजा कि आइए, क्योंकि अब सब कुछ तैयार है। लेकिन सब के सब बहाना करने लगे। पहले ने सेवक से कहा, ‘मैंने खेत मोल लिया है और मुझे उसे देखने जाना है। तुम से मेरा निवेदन है, मेरी ओर से क्षमा माँग लेना।’ दूसरे ने कहा, ‘मैंने पाँच जोड़े बैल खरीदे हैं और उन्हें परखने जा रहा हूँ। तुम से मेरा निवेदन है, मेरी ओर से क्षमा माँग लेना।’ और एक ने कहा, ‘मैंने विवाह किया है, इसलिए मैं नहीं आ सकता।’ सेवक ने लौट कर यह सब अपने स्वामी को बताया। तब घर के स्वामी ने क्रुद्ध होकर अपने सेवक से कहा, ‘शीघ्र ही नगर के बाजारों और गलियों में जा कर गरीबों, लूलों, अन्धों और लंगड़ों को यहाँ ले आओ।’ जब सेवक ने कहा, ‘स्वामी! आपकी आज्ञा का पालन किया गया है; किन्तु और भी जगह शेष है,’ तो स्वामी ने सेवक से कहा, ‘सड़कों और बाड़ों की ओर जाओ और लोगों को भीतर आने के लिए बाध्य करो, जिससे मेरा घर भर जाए
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