उस समय यरूशलेम में शिमोन नामक एक धर्मी तथा भक्त मनुष्य रहता था। वह इस्राएल की सान्त्वना की प्रतीक्षा में था। पवित्र आत्मा उस पर था और उसे पवित्र आत्मा से यह प्रकाशन मिला था कि, जब तक वह प्रभु के मसीह के दर्शन न कर लेगा, तब तक उसकी मृत्यु न होगी। वह पवित्र आत्मा की प्रेरणा से मन्दिर में आया। जब माता-पिता बालक येशु के लिए व्यवस्था की विधियाँ पूरी करने उसे भीतर लाए, तब शिमोन ने बालक को अपनी गोद में लिया और परमेश्वर की स्तुति करते हुए कहा, “हे स्वामी, अब तू अपने वचन के अनुसार अपने सेवक को शान्ति के साथ विदा कर; क्योंकि मेरी आँखों ने उस मुक्ति को देख लिया, जिसे तूने सब लोगों के सम्मुख प्रस्तुत किया है। यह अन्य-जातियों को प्रकाशन और तेरी प्रजा इस्राएल को गौरव देने वाली ज्योति है।” बालक के विषय में ये बातें सुन कर उसके माता-पिता अचम्भे में पड़ गये।
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