लूकस 6:27-36

लूकस 6:27-36 HINCLBSI

“मैं तुम लोगों से, जो मेरी बात सुन रहे हो, यह कहता हूँ : अपने शत्रुओं से प्रेम करो। जो तुम से बैर करते हैं, उनकी भलाई करो। जो तुम्‍हें शाप देते हैं, उन को आशीर्वाद दो। जो तुम्‍हारे साथ दुर्व्यवहार करते हैं, उनके लिए प्रार्थना करो। जो तुम्‍हारे एक गाल पर थप्‍पड़ मारता है, उसके सामने दूसरा भी कर दो। जो तुम्‍हारी चादर छीनता है, उसे अपना कुरता भी ले लेने दो। जो कोई तुम से माँगता है, उसे दिया करो और जो तुम से तुम्‍हारी वस्‍तु छीनता है, उसे वापस मत माँगो। दूसरों से अपने प्रति जैसा व्‍यवहार चाहते हो, तुम उनके प्रति वैसा ही व्‍यवहार किया करो। यदि तुम उन्‍हीं से प्रेम करते हो, जो तुमसे प्रेम करते हैं, तो इस में तुम्‍हारा पुण्‍य क्‍या है? पापी भी अपने प्रेम करने वालों से प्रेम करते हैं। यदि तुम उन्‍हीं की भलाई करते हो, जो तुम्‍हारी भलाई करते हैं, तो इसमें तुम्‍हारा पुण्‍य क्‍या है? पापी भी ऐसा करते हैं। यदि तुम उन्‍हीं को उधार देते हो, जिन से वापस पाने की आशा करते हो, तो इस में तुम्‍हारा पुण्‍य क्‍या है? पूरा-पूरा वापस पाने की आशा में पापी भी पापियों को उधार देते हैं। परन्‍तु तुम अपने शत्रुओं से प्रेम करो, उनकी भलाई करो और वापस पाने की आशा न रख कर उधार दो। तभी तुम्‍हारा पुरस्‍कार महान् होगा और तुम सर्वोच्‍च परमेश्‍वर की संतान बन जाओगे, क्‍योंकि वह भी कृतघ्‍नों और दुष्‍टों पर कृपा करता है। दयालु बनो, जैसे तुम्‍हारा स्‍वर्गिक पिता दयालु है।

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