जब येशु लौटे तब लोगों ने उनका स्वागत किया, क्योंकि सभी उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। उस समय सभागृह का याईर नामक एक अधिकारी आया और येशु के चरणों पर गिरकर उन से अनुनय-विनय करने लगा कि वह उसके यहाँ चलने की कृपा करें, क्योंकि उसकी लगभग बारह वर्ष की इकलौती बेटी मरने पर थी। येशु उसके साथ चले। रास्ते में भीड़ चारों ओर से येशु को दबा ही रही थी। एक स्त्री बारह वर्ष से रक्तस्राव से पीड़ित थी। वह अपनी सारी जीविका वैद्यों पर खर्च कर चुकी थी, पर कोई भी उसे स्वस्थ नहीं कर सका था। उसने पीछे से आ कर येशु के वस्त्र के सिरे को छू लिया और उसका रक्तस्राव उसी क्षण बन्द हो गया। येशु ने कहा, “किसने मेरा स्पर्श किया?” सब के इन्कार करने पर पतरस बोला, “स्वामी, आप भीड़ से घिरे हैं! और लोग आप पर गिर पड़ रहे हैं।” येशु ने कहा, “किसी ने अवश्य मेरा स्पर्श किया है, क्योंकि मैंने अनुभव किया कि मुझ से शक्ति निकली है।” जब स्त्री ने देखा कि वह छिप नहीं सकती, तब वह काँपती हुई आयी और येशु के चरणों पर गिर कर उसने सब लोगों के सामने बताया कि उसने क्यों उनका स्पर्श किया और वह कैसे उसी क्षण स्वस्थ हो गयी। येशु ने उस से कहा, “पुत्री, तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें स्वस्थ कर दिया है। शान्ति से जाओ।” येशु यह कह ही रहे थे कि सभागृह के अधिकारी के यहाँ से एक मनुष्य आया और उससे बोला, “आपकी बेटी मर गयी है। अब आप गुरुजी को कष्ट न दीजिए।” यह सुन कर येशु ने उससे कहा, “डरिए नहीं। बस, विश्वास कीजिए और वह स्वस्थ हो जाएगी।” जब येशु याईर के घर पहुँचे तो उन्होंने पतरस, योहन तथा याकूब और लड़की के माता-पिता के सिवा किसी को अपने साथ अन्दर नहीं आने दिया। सब रो रहे थे और उसके लिए विलाप कर रहे थे। येशु ने कहा, “मत रोओ! वह मरी नहीं, बल्कि सो रही है।” वे उनकी हँसी उड़ाने लगे, क्योंकि वे जानते थे कि वह मर गयी है। येशु ने लड़की का हाथ पकड़ कर पुकारा, “हे लड़की! उठ!” लड़की के प्राण लौट आए और वह उसी क्षण उठ बैठी। येशु ने आदेश दिया कि उसे कुछ खाने को दिया जाए। उसके माता-पिता आश्चर्य-चकित हो गये, किन्तु येशु ने आज्ञा दी कि वे घटना की चर्चा किसी से नहीं करें।
लूकस 8 पढ़िए
सुनें - लूकस 8
साझा करें
सभी संस्करणों की तुलना करें: लूकस 8:40-56
छंद सहेजें, ऑफ़लाइन पढ़ें, शिक्षण क्लिप देखें, और बहुत कुछ!
होम
बाइबिल
योजनाएँ
वीडियो