मत्ती 20:1-19

मत्ती 20:1-19 HINCLBSI

“स्‍वर्ग का राज्‍य उस गृहस्‍वामी के सदृश है, जो अपने अंगूर-उद्यान में मजदूरों को लगाने के लिए बहुत सबेरे घर से निकला। उसने मजदूरों के साथ एक सिक्‍का प्रतिदिन मजदूरी तय की और उन्‍हें अपने अंगूर-उद्यान में भेजा। लगभग नौ बजे वह बाहर निकला और उसने दूसरों को चौक में बेकार खड़ा देख कर उनसे कहा, ‘तुम लोग भी मेरे अंगूर-उद्यान में जाओ, मैं तुम्‍हें उचित मजदूरी दूँगा’। और वे वहाँ गये। लगभग बारह बजे और तीन बजे भी उसने बाहर निकल कर ऐसा ही किया। वह संध्‍या पाँच बजे फिर बाहर निकला। उसने वहाँ कुछ और मजदूरों को खड़ा देखा। वह उनसे बोला, ‘तुम यहाँ दिन भर क्‍यों बेकार खड़े रहे?’ उन्‍होंने उत्तर दिया, ‘इसलिए कि किसी ने हमें मजदूरी में नहीं लगाया।’ उसने उन से कहा, ‘तुम भी मेरे अंगूर-उद्यान में जाओ।’ “सन्‍ध्‍या होने पर अंगूर-उद्यान के मालिक ने अपने प्रबन्‍धक से कहा, ‘मजदूरों को बुलाओ। अंत में आने वालों से लेकर पहले आने वालों तक, सब को मजदूरी दे दो।’ जब वे मजदूर आए, जो सन्‍ध्‍या पाँच बजे काम पर लगाये गये थे, तो उन्‍हें एक-एक सिक्‍का मिला। इस पर मजदूरी में जो पहले लगाये गये थे, जब वे आए तो उन्‍होंने समझा कि उन्‍हें अधिक मिलेगा; लेकिन उन्‍हें भी एक-एक सिक्‍का मिला। उसको उन्‍होंने स्‍वीकार किया, किन्‍तु वे मालिक के विरुद्ध भुनभुनाकर यह कहने लगे, ‘इन पिछले मजदूरों ने केवल घण्‍टे भर काम किया। तब भी आपने इन्‍हें हमारे बराबर बना दिया। हम दिन भर कठोर परिश्रम करते और धूप सहते रहे।’ उसने उनमें से एक को यह कहते हुए उत्तर दिया, ‘मित्र! मैं तुम्‍हारे साथ अन्‍याय नहीं कर रहा हूँ। क्‍या तुम ने मेरे साथ एक सिक्‍का नहीं तय किया था? अपनी मजदूरी लो और जाओ। मैं इस पिछले मजदूर को भी तुम्‍हारे जितना देना चाहता हूँ। जो मेरा है, क्‍या मैं अपनी इच्‍छा के अनुसार उस का उपयोग नहीं कर सकता? क्‍या मेरा उदार होना तुम्‍हारी आँखों में खटकता है?’ इस प्रकार जो अंतिम हैं, वे प्रथम हो जाएँगे और जो प्रथम हैं वे अंतिम हो जाएँगे।” यरूशलेम जाते समय येशु अपने बारह शिष्‍यों को एकान्‍त में ले गए, और मार्ग में उनसे बोले, “देखो, हम यरूशलेम जा रहे हैं। मानव-पुत्र महापुरोहितों और शास्‍त्रियों के हाथ में सौंप दिया जाएगा। वे उसे प्राणदण्‍ड के योग्‍य ठहराएँगे और अन्‍यजातियों के हाथ में सौंप देंगे, जिससे वे उसका उपहास करें, उसे कोड़े लगाएँ और क्रूस पर चढ़ाएँ; लेकिन तीसरे दिन वह जीवित हो उठेगा।”