“उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता − न स्वर्गदूत और न पुत्र। यह केवल पिता ही जानता है। “जैसा नूह के दिनों में हुआ था, वैसा ही मानव-पुत्र के आगमन के समय होगा। जलप्रलय होने के पहले, नूह के जलयान पर चढने के दिन तक, लोग खाते-पीते और शादी-ब्याह करते रहे। जब तक जलप्रलय नहीं आया और उसने सब को बहा नहीं दिया, तब तक किसी को इसका कुछ भी पता नहीं था। मानव-पुत्र के आगमन के समय वैसा ही होगा। उस समय दो पुरुष खेत में होंगे − एक उठा लिया जाएगा और दूसरा छोड़ दिया जाएगा। दो स्त्रियाँ चक्की पीसती होंगी − एक उठा ली जाएगी और दूसरी छोड़ दी जाएगी। “इसलिए जागते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारे प्रभु किस दिन आएँगे। यह अच्छी तरह समझ लो : यदि घर के स्वामी को मालूम होता कि चोर रात के किस पहर आएगा, तो वह जागता रहता और अपने घर में सेंध लगने नहीं देता। इसलिए तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी की तुम कल्पना भी नहीं करते, उसी घड़ी मानव-पुत्र आ जाएगा। “वह विश्वास-पात्र और बुद्धिमान सेवक कौन है, जिसे उसके स्वामी ने अपने घर के अन्य सेवक-सेविकाओं पर नियुक्त किया है, ताकि वह निश्चित् समय पर उन्हें भोजन सामग्री बाँटा करे? धन्य है वह सेवक, जिसका स्वामी लौटने पर उसे ऐसा करता हुआ पाए! मैं तुम से सच कहता हूँ : वह उसे अपनी सारी सम्पत्ति पर अधिकारी नियुक्त करेगा। “परन्तु यदि वह दुष्ट सेवक अपने मन में कहे, ‘मेरा स्वामी देर कर रहा है।’ और वह अपने साथी-सेवकों को पीटने लगे और शराबियों के साथ खाए-पिये, तो उस सेवक का स्वामी ऐसे दिन आएगा, जब वह उसकी प्रतीक्षा नहीं कर रहा होगा और ऐसी घड़ी, जिसे वह नहीं जानता होगा। तब स्वामी उसे कठोर दंड देगा। इस प्रकार उसका अन्त वही होगा जो ढोंगियों का होता है। वहाँ वह रोएगा और दाँत पीसेगा।
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