मत्ती 8:5-13

मत्ती 8:5-13 HINCLBSI

येशु कफरनहूम नगर में प्रवेश कर ही रहे थे कि एक रोमन शतपति उनके पास आया और उसने उनसे यह निवेदन किया, “प्रभु! मेरा सेवक घर में पड़ा हुआ है। उसे लकुवा हो गया है और वह घोर पीड़ा सह रहा है।” येशु ने उससे कहा, “मैं आ कर उसे स्‍वस्‍थ कर दूँगा।” शतपति ने उत्तर दिया, “प्रभु! मैं इस योग्‍य नहीं हूँ कि आप मेरे यहाँ आएँ। आप एक ही शब्‍द कह दीजिए और मेरा सेवक स्‍वस्‍थ्‍य हो जाएगा। मैं स्‍वयं शासन के अधीन हूँ और सैनिक मेरे अधीन हैं। जब मैं एक से कहता हूँ − ‘जाओ’, तो वह जाता है और दूसरे से − ‘आओ’, तो वह आता है और अपने सेवक से − ‘यह करो’, तो वह करता है।” येशु यह सुनकर चकित हो गये और उन्‍होंने अपने पीछे आने वालों से कहा, “मैं तुम लोगों से सच कहता हूँ, इस्राएल में भी मैंने किसी में इतना दृढ़ विश्‍वास नहीं पाया। “मैं तुम से कहता हूँ, बहुत लोग पूर्व और पश्‍चिम से आ कर अब्राहम, इसहाक और याकूब के साथ स्‍वर्गराज्‍य के भोज में सम्‍मिलित होंगे, परन्‍तु राज्‍य की सन्‍तान को बाहर, अन्‍धकार में फेंक दिया जाएगा। वहाँ वे लोग रोएँगे और दाँत पीसेंगे।” शतपति से येशु ने कहा, “जाओ, तुम ने जैसा विश्‍वास किया है वैसा ही तुम्‍हारे लिए हो जाए।” और उसी घड़ी उसका सेवक स्‍वस्‍थ हो गया।