मत्ती 8
8
कुष्ठ-रोगी को स्वास्थ्य-लाभ#मक 1:40-44; लू 5:12-14
1येशु पहाड़ी से उतरे। एक विशाल जनसमूह उनके पीछे हो लिया। 2उस समय एक कुष्ठरोगी उनके पास आया और उसने यह कहते हुए उन्हें दण्डवत किया, “प्रभु! आप चाहें तो मुझे शुद्ध#8:2 प्रभु येशु के समय में विशेष चर्मरोग से पीड़ित व्यक्ति यहूदी धर्मविधि के लिए अशुद्ध माना जाता था। कर सकते हैं।” 3येशु ने हाथ बढ़ा कर उसको स्पर्श किया और कहा, “मैं यही चाहता हूँ। तुम शुद्ध हो जाओ।” उसी क्षण वह कुष्ठरोग से शुद्ध हो गया। 4येशु ने उस से कहा, “सावधान! किसी से कुछ न कहना। जाकर अपने आप को पुरोहित को दिखाओ और मूसा द्वारा निर्धारित भेंट चढ़ाओ, जिससे सब लोगों को मालूम हो जाए कि तुम स्वस्थ हो गए हो।”#मत 9:30; मक 7:36; लू 17:14; लेव 13:49; 14:2-32
शतपति के सेवक को स्वास्थ्य-लाभ
5येशु कफरनहूम नगर में प्रवेश कर ही रहे थे कि एक रोमन शतपति उनके पास आया#लू 7:1-10 और उसने उनसे यह निवेदन किया,#यो 4:47 6“प्रभु! मेरा सेवक घर में पड़ा हुआ है। उसे लकुवा हो गया है और वह घोर पीड़ा सह रहा है।” 7येशु ने उससे कहा, “मैं आ कर उसे स्वस्थ कर दूँगा।” 8शतपति ने उत्तर दिया, “प्रभु! मैं इस योग्य नहीं हूँ कि आप मेरे यहाँ आएँ। आप एक ही शब्द कह दीजिए और मेरा सेवक स्वस्थ्य हो जाएगा। 9मैं स्वयं शासन के अधीन हूँ और सैनिक मेरे अधीन हैं। जब मैं एक से कहता हूँ − ‘जाओ’, तो वह जाता है और दूसरे से − ‘आओ’, तो वह आता है और अपने सेवक से − ‘यह करो’, तो वह करता है।”#बारू 3:33-35 10येशु यह सुनकर चकित हो गये और उन्होंने अपने पीछे आने वालों से कहा, “मैं तुम लोगों से सच कहता हूँ, इस्राएल में भी मैंने किसी में इतना दृढ़ विश्वास नहीं पाया।#मत 15:28
11“मैं तुम से कहता हूँ, बहुत लोग पूर्व और पश्चिम से आ कर अब्राहम, इसहाक और याकूब के साथ स्वर्गराज्य के भोज में सम्मिलित होंगे,#लू 13:28-29; यश 49:12; 59:19; मल 1:11; भज 107:3 12परन्तु राज्य की सन्तान को बाहर, अन्धकार में फेंक दिया जाएगा। वहाँ वे लोग रोएँगे और दाँत पीसेंगे।”#मत 22:13; 24:51; 25:30
13शतपति से येशु ने कहा, “जाओ, तुम ने जैसा विश्वास किया है वैसा ही तुम्हारे लिए हो जाए।” और उसी घड़ी उसका सेवक स्वस्थ हो गया।#मत 9:29; 15:28
पतरस की सास
14 #
मक 1:29-34; लू 4:38-41 जब येशु पतरस के घर पहुँचे, तब उन्होंने देखा कि पतरस की सास बुखार में पड़ी हुई है।#1 कुर 9:5 15उन्होंने उसका हाथ स्पर्श किया और उसका बुखार उतर गया और वह उठ कर उनका सेवा-सत्कार करने लगी।
बहुतों को स्वास्थ्य-लाभ
16सन्ध्या होने पर लोग बहुत-से भूतग्रस्त मनुष्यों को येशु के पास ले आए। येशु ने शब्द मात्र से उन आत्माओं को निकाला और सब रोगियों को स्वस्थ कर दिया। 17इस प्रकार नबी यशायाह का यह कथन पूरा हुआ : “उसने हमारी दुर्बलताओं को स्वयं भोगा#8:17 अथवा, “दुर्बलताओं को दूर किया।” और हमारे रोगों का बोझ उठा लिया।”#यश 53:4
शिष्य बनने की शर्तें
18अपने को भीड़ से घिरा देख कर येशु ने झील के उस पार चलने का आदेश दिया।#मक 4:35; लू 8:22 19उसी समय एक शास्त्री आ कर येशु से बोला#लू 9:57-60 , “गुरुवर! आप जहाँ कहीं भी जाएँगे, मैं आपके पीछे-पीछे चलूँगा”। 20येशु ने उससे कहा, “लोमड़ियों के लिए माँदें हैं और आकाश के पक्षियों के लिए घोंसले, परन्तु मानव पुत्र के लिए सिर रखने को भी कहीं स्थान नहीं है।”#2 कुर 8:9
21शिष्यों में से किसी ने उन से कहा, “प्रभु! मुझे पहले अपने पिता को दफनाने के लिए जाने दीजिए।”#1 रा 19:20; तोब 4:3-4 22परन्तु येशु ने उससे कहा, “तुम मेरे पीछे चले आओ; मुरदों को अपने मुरदे दफनाने दो।”#यो 1:43; मत 5:25; रोम 6:13
तूफान को शान्त करना
23 #
मक 4:23-41; लू 8:23-25 येशु नाव पर सवार हुए तो उनके शिष्य उनके साथ हो लिये।#भज 4:8 24उस समय झील में एकाएक इतना प्रचंड तूफान उठा कि नाव लहरों से ढकी जा रही थी। परन्तु येशु सो रहे थे। 25शिष्यों ने पास आ कर उन्हें जगाया और कहा, “प्रभु! हमें बचाइए! हम डूब रहे हैं!” 26येशु ने उन से कहा, “अल्पविश्वासियो! डरते क्यों हो?” तब उन्होंने उठ कर वायु और झील को डाँटा और पूर्ण शान्ति छा गयी।#मत 14:31; 16:8; भज 65:7 27इस पर वे लोग अचम्भे में पड़ गये, और बोल उठे, “आखिर यह कैसे मनुष्य हैं? वायु और समुद्र भी इनकी आज्ञा मानते हैं।”
दो भूतग्रस्त मनुष्यों को स्वस्थ करना
28जब येशु झील के उस पार गदरेनियों के प्रदेश पहुँचे, तो दो भूतग्रस्त मनुष्य कबरों से निकल कर उनके पास आए।#मक 5:1-17; लू 8:26-37 वे इतने उग्र थे कि उस रास्ते से कोई भी आ-जा नहीं सकता था। 29वे चिल्ला उठे, “परमेश्वर के पुत्र! हम से आप को क्या काम? क्या आप यहाँ समय से पहले हमें सताने आए हैं?”#लू 4:41; 2 पत 2:4 30वहाँ कुछ दूरी पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था। 31भूतों ने निवेदन किया, “यदि आप हम को निकाल ही रहे हैं, तो हमें सूअरों के झुण्ड में भेज दीजिए।” 32येशु ने उन से कहा, “जाओ।” तब भूत उन मनुष्यों से निकल कर सूअरों में समा गए और सारा झुण्ड तेजी से ढाल पर से झील की ओर झपटा और पानी में डूब कर मर गया।
33सूअर चराने वाले भागे और नगर में जाकर पूरा समाचार सुनाया। उन्होंने उन दो मनुष्यों के विषय में भी बताया जो भूतों से जकड़े थे। 34इस पर सारा नगर येशु से मिलने निकला और उन्हें देख कर लोगों ने निवेदन किया कि वह उनके प्रदेश से चले जाएँ।
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मत्ती 8
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कुष्ठ-रोगी को स्वास्थ्य-लाभ#मक 1:40-44; लू 5:12-14
1येशु पहाड़ी से उतरे। एक विशाल जनसमूह उनके पीछे हो लिया। 2उस समय एक कुष्ठरोगी उनके पास आया और उसने यह कहते हुए उन्हें दण्डवत किया, “प्रभु! आप चाहें तो मुझे शुद्ध#8:2 प्रभु येशु के समय में विशेष चर्मरोग से पीड़ित व्यक्ति यहूदी धर्मविधि के लिए अशुद्ध माना जाता था। कर सकते हैं।” 3येशु ने हाथ बढ़ा कर उसको स्पर्श किया और कहा, “मैं यही चाहता हूँ। तुम शुद्ध हो जाओ।” उसी क्षण वह कुष्ठरोग से शुद्ध हो गया। 4येशु ने उस से कहा, “सावधान! किसी से कुछ न कहना। जाकर अपने आप को पुरोहित को दिखाओ और मूसा द्वारा निर्धारित भेंट चढ़ाओ, जिससे सब लोगों को मालूम हो जाए कि तुम स्वस्थ हो गए हो।”#मत 9:30; मक 7:36; लू 17:14; लेव 13:49; 14:2-32
शतपति के सेवक को स्वास्थ्य-लाभ
5येशु कफरनहूम नगर में प्रवेश कर ही रहे थे कि एक रोमन शतपति उनके पास आया#लू 7:1-10 और उसने उनसे यह निवेदन किया,#यो 4:47 6“प्रभु! मेरा सेवक घर में पड़ा हुआ है। उसे लकुवा हो गया है और वह घोर पीड़ा सह रहा है।” 7येशु ने उससे कहा, “मैं आ कर उसे स्वस्थ कर दूँगा।” 8शतपति ने उत्तर दिया, “प्रभु! मैं इस योग्य नहीं हूँ कि आप मेरे यहाँ आएँ। आप एक ही शब्द कह दीजिए और मेरा सेवक स्वस्थ्य हो जाएगा। 9मैं स्वयं शासन के अधीन हूँ और सैनिक मेरे अधीन हैं। जब मैं एक से कहता हूँ − ‘जाओ’, तो वह जाता है और दूसरे से − ‘आओ’, तो वह आता है और अपने सेवक से − ‘यह करो’, तो वह करता है।”#बारू 3:33-35 10येशु यह सुनकर चकित हो गये और उन्होंने अपने पीछे आने वालों से कहा, “मैं तुम लोगों से सच कहता हूँ, इस्राएल में भी मैंने किसी में इतना दृढ़ विश्वास नहीं पाया।#मत 15:28
11“मैं तुम से कहता हूँ, बहुत लोग पूर्व और पश्चिम से आ कर अब्राहम, इसहाक और याकूब के साथ स्वर्गराज्य के भोज में सम्मिलित होंगे,#लू 13:28-29; यश 49:12; 59:19; मल 1:11; भज 107:3 12परन्तु राज्य की सन्तान को बाहर, अन्धकार में फेंक दिया जाएगा। वहाँ वे लोग रोएँगे और दाँत पीसेंगे।”#मत 22:13; 24:51; 25:30
13शतपति से येशु ने कहा, “जाओ, तुम ने जैसा विश्वास किया है वैसा ही तुम्हारे लिए हो जाए।” और उसी घड़ी उसका सेवक स्वस्थ हो गया।#मत 9:29; 15:28
पतरस की सास
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मक 1:29-34; लू 4:38-41 जब येशु पतरस के घर पहुँचे, तब उन्होंने देखा कि पतरस की सास बुखार में पड़ी हुई है।#1 कुर 9:5 15उन्होंने उसका हाथ स्पर्श किया और उसका बुखार उतर गया और वह उठ कर उनका सेवा-सत्कार करने लगी।
बहुतों को स्वास्थ्य-लाभ
16सन्ध्या होने पर लोग बहुत-से भूतग्रस्त मनुष्यों को येशु के पास ले आए। येशु ने शब्द मात्र से उन आत्माओं को निकाला और सब रोगियों को स्वस्थ कर दिया। 17इस प्रकार नबी यशायाह का यह कथन पूरा हुआ : “उसने हमारी दुर्बलताओं को स्वयं भोगा#8:17 अथवा, “दुर्बलताओं को दूर किया।” और हमारे रोगों का बोझ उठा लिया।”#यश 53:4
शिष्य बनने की शर्तें
18अपने को भीड़ से घिरा देख कर येशु ने झील के उस पार चलने का आदेश दिया।#मक 4:35; लू 8:22 19उसी समय एक शास्त्री आ कर येशु से बोला#लू 9:57-60 , “गुरुवर! आप जहाँ कहीं भी जाएँगे, मैं आपके पीछे-पीछे चलूँगा”। 20येशु ने उससे कहा, “लोमड़ियों के लिए माँदें हैं और आकाश के पक्षियों के लिए घोंसले, परन्तु मानव पुत्र के लिए सिर रखने को भी कहीं स्थान नहीं है।”#2 कुर 8:9
21शिष्यों में से किसी ने उन से कहा, “प्रभु! मुझे पहले अपने पिता को दफनाने के लिए जाने दीजिए।”#1 रा 19:20; तोब 4:3-4 22परन्तु येशु ने उससे कहा, “तुम मेरे पीछे चले आओ; मुरदों को अपने मुरदे दफनाने दो।”#यो 1:43; मत 5:25; रोम 6:13
तूफान को शान्त करना
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मक 4:23-41; लू 8:23-25 येशु नाव पर सवार हुए तो उनके शिष्य उनके साथ हो लिये।#भज 4:8 24उस समय झील में एकाएक इतना प्रचंड तूफान उठा कि नाव लहरों से ढकी जा रही थी। परन्तु येशु सो रहे थे। 25शिष्यों ने पास आ कर उन्हें जगाया और कहा, “प्रभु! हमें बचाइए! हम डूब रहे हैं!” 26येशु ने उन से कहा, “अल्पविश्वासियो! डरते क्यों हो?” तब उन्होंने उठ कर वायु और झील को डाँटा और पूर्ण शान्ति छा गयी।#मत 14:31; 16:8; भज 65:7 27इस पर वे लोग अचम्भे में पड़ गये, और बोल उठे, “आखिर यह कैसे मनुष्य हैं? वायु और समुद्र भी इनकी आज्ञा मानते हैं।”
दो भूतग्रस्त मनुष्यों को स्वस्थ करना
28जब येशु झील के उस पार गदरेनियों के प्रदेश पहुँचे, तो दो भूतग्रस्त मनुष्य कबरों से निकल कर उनके पास आए।#मक 5:1-17; लू 8:26-37 वे इतने उग्र थे कि उस रास्ते से कोई भी आ-जा नहीं सकता था। 29वे चिल्ला उठे, “परमेश्वर के पुत्र! हम से आप को क्या काम? क्या आप यहाँ समय से पहले हमें सताने आए हैं?”#लू 4:41; 2 पत 2:4 30वहाँ कुछ दूरी पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था। 31भूतों ने निवेदन किया, “यदि आप हम को निकाल ही रहे हैं, तो हमें सूअरों के झुण्ड में भेज दीजिए।” 32येशु ने उन से कहा, “जाओ।” तब भूत उन मनुष्यों से निकल कर सूअरों में समा गए और सारा झुण्ड तेजी से ढाल पर से झील की ओर झपटा और पानी में डूब कर मर गया।
33सूअर चराने वाले भागे और नगर में जाकर पूरा समाचार सुनाया। उन्होंने उन दो मनुष्यों के विषय में भी बताया जो भूतों से जकड़े थे। 34इस पर सारा नगर येशु से मिलने निकला और उन्हें देख कर लोगों ने निवेदन किया कि वह उनके प्रदेश से चले जाएँ।
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