मारकुस 10:1-12

मारकुस 10:1-12 HINCLBSI

वहाँ से विदा हो कर येशु यहूदा प्रदेश के सीमा-क्षेत्र और यर्दन नदी के उस पार के प्रदेश में आए। एक विशाल जनसमूह फिर उनके पास एकत्र हो गया और उन्‍होंने अपनी आदत के अनुसार लोगों को फिर शिक्षा दी। फरीसी सम्‍प्रदाय के सदस्‍य येशु के पास आए और उनकी परीक्षा लेने के उद्देश्‍य से उन्‍होंने यह प्रश्‍न किया, “क्‍या अपनी पत्‍नी का परित्‍याग करना पुरुष के लिए उचित है?” येशु ने उन्‍हें उत्तर दिया, “मूसा ने तुम्‍हें क्‍या आदेश दिया है?” उन्‍होंने कहा, “मूसा ने तो त्‍यागपत्र लिख कर पत्‍नी का परित्‍याग करने की अनुमति दी है।” येशु ने उन से कहा, “उन्‍होंने तुम्‍हारे हृदय की कठोरता के कारण ही यह आदेश लिखा है। किन्‍तु सृष्‍टि के आरम्‍भ ही से परमेश्‍वर ने उन्‍हें नर और नारी बनाया; इस कारण पुरुष अपने माता-पिता को छोड़ेगा और अपनी पत्‍नी के साथ ही रहेगा और वे दोनों एक शरीर होंगे। इस प्रकार अब वे दो नहीं, बल्‍कि एक शरीर हैं। इसलिए जिसे परमेश्‍वर ने जोड़ा है, उसे मनुष्‍य अलग नहीं करे।” शिष्‍यों ने, घर पहुँच कर, इस सम्‍बन्‍ध में येशु से फिर प्रश्‍न किया और उन्‍होंने यह उत्तर दिया, “जो अपनी पत्‍नी का परित्‍याग करता और किसी दूसरी स्‍त्री से विवाह करता है, वह पहली के विरुद्ध व्‍यभिचार करता है। और यदि पत्‍नी अपने पति का परित्‍याग करती और किसी दूसरे पुरुष से विवाह करती है, तो वह भी व्‍यभिचार करती है।”