मारकुस 15

15
राज्‍यपाल पिलातुस के सामने
1सबेरा होते ही महापुरोहितों, धर्मवृद्धों और शास्‍त्रियों ने समस्‍त धर्ममहासभा के साथ परामर्श किया। इसके बाद उन्‍होंने येशु को बाँधा और उन्‍हें ले जा कर राज्‍यपाल पिलातुस को सौंप दिया।#मत 27:1-2; लू 22:66; 23:1; यो 18:28
2पिलातुस ने येशु से पूछा, “क्‍या तुम यहूदियों के राजा हो?” येशु ने उत्तर दिया, “यह तो आप कह रहे हैं।”#मत 27:11-30; लू 23:2-25; यो 18:29—19:16 3तब महापुरोहित उन पर बहुत-से अभियोग लगाने लगे। 4पिलातुस ने फिर येशु से पूछा, “देखो, ये तुम पर कितने अभियोग लगा रहे हैं। क्‍या इनका कोई उत्तर तुम्‍हारे पास नहीं है?” 5फिर भी येशु ने कोई उत्तर नहीं दिया। इस पर पिलातुस को आश्‍चर्य हुआ।#मक 14:61; यश 53:7
6पर्व के अवसर पर राज्‍यपाल लोगों की माँग के अनुसार एक बन्‍दी को रिहा किया करता था। 7उस समय बरअब्‍बा नामक एक व्यक्‍ति बन्‍दीगृह में था। वह उन विद्रोहियों के साथ गिरफ्‍तार हुआ था, जिन्‍होंने राजद्रोह के समय हत्‍या की थी। 8जब भीड़ ऊपर आ कर राज्‍यपाल से निवेदन करने लगी कि वह जैसा करता आया है, वैसा ही उनके लिए करे, 9तो पिलातुस ने उन से कहा, “क्‍या तुम लोग चाहते हो कि मैं तुम्‍हारे लिए यहूदियों के राजा को रिहा करूँ?” 10वह जानता था कि महापुरोहितों ने ईष्‍र्या से येशु को पकड़वाया है।#यो 11:48; 12:19; मत 21:38 11किन्‍तु महापुरोहितों ने लोगों को भड़काया कि वे माँग करें कि वह बरअब्‍बा ही को उनके लिए रिहा करे। 12पिलातुस ने फिर भीड़ से पूछा, “तो तुम क्‍या चाहते हो? मैं इस मनुष्‍य का क्‍या करूँ, जिसे तुम यहूदियों का राजा कहते हो?” 13लोग फिर चिल्‍लाए, “उसे क्रूस पर चढ़ाओ!” 14पिलातुस ने कहा, “क्‍यों? उसने कौन-सा अपराध किया है?” किन्‍तु वे और भी जोर से चिल्‍लाने लगे, “उसे क्रूस पर चढ़ाओ।” 15तब पिलातुस ने भीड़ को संतुष्‍ट करने की इच्‍छा से बरअब्‍बा को मुक्‍त कर दिया और येशु को कोड़े लगवा कर क्रूस पर चढ़ाने के लिए सैनिकों के हवाले कर दिया।
सैनिकों द्वारा उपहास
16इसके बाद सैनिक येशु को भवन के अन्‍दर, अर्थात् राजभवन में, ले गए और उन्‍होंने वहाँ सारा सैन्‍य-दल एकत्र कर लिया। 17उन्‍होंने येशु को बैंगनी वस्‍त्र पहनाया और काँटों का मुकुट गूँथ कर उनके सिर पर लगा दिया। 18तब वे उनका अभिवादन करने लगे, “यहूदियों के राजा, प्रणाम!” 19उन्‍होंने उनके सिर पर सरकण्‍डे से मारा, उन पर थूका और उनके सामने घुटने टेक कर उनकी वन्‍दना की। 20इस प्रकार येशु का उपहास करने के बाद सैनिकों ने बैंगनी वस्‍त्र उतार लिया और उन्‍हें उनके निजी कपड़े पहना दिये। तत्‍पश्‍चात् वे येशु को क्रूस पर चढ़ाने के लिए नगर के बाहर ले गये।
क्रूस पर चढ़ाया जाना
21सिकन्‍दर और रूफस का पिता, कुरेने देश का निवासी शिमोन, गाँव से नगर में आ रहा था। वह उधर से निकला।#मत 27:32-56; लू 23:26-49; यो 19:16-30 सैनिकों ने उसे बेगार में पकड़ा कि वह येशु का क्रूस उठाकर ले चले।#रोम 16:13
22वे येशु को गुलगुता नामक स्‍थान पर लाए, जिसका अर्थ है : ‘खोपड़ी’ का स्‍थान। 23वहाँ लोग येशु को गन्‍धरस मिला दाखरस देने लगे, किन्‍तु उन्‍होंने उसे नहीं लिया।#भज 69:21 24तब सैनिकों ने येशु को क्रूस पर चढ़ाया और−किसे क्‍या मिले−इसके लिए चिट्ठी डालकर उनके वस्‍त्र आपस में बाँट लिये। #भज 22:18
25जब उन्‍होंने येशु को क्रूस पर चढ़ाया, उस समय सबेरे के नौ बजे थे। 26उनके दोषपत्र पर यह लिखा था−‘यहूदियों का राजा’। 27येशु के साथ ही उन्‍होंने दो डाकुओं को क्रूस पर चढ़ाया−एक को उनकी दाहिनी ओर और दूसरे को उनकी बायीं ओर। 28[इस प्रकार धर्मग्रन्‍थ का यह कथन पूरा हो गया : “वह अपराधियों के साथ गिना गया।”]#15:28 कुछ प्रतियों में यह पद नहीं पाया जाता है।
अपमान और उपहास
29उधर से आने-जाने वाले लोग येशु की निन्‍दा करते और सिर हिलाते हुए यह कह रहे थे, “वाह! मन्‍दिर ढाने वाले और तीन दिनों में उसे फिर बना देने वाले!#भज 22:7; 109:25; मक 14:58 30क्रूस से उतर कर अपने को बचा।” 31महापुरोहित भी आपस में और शास्‍त्रियों के साथ उनका उपहास करते हुए यह कह रहे थे, “इसने दूसरों को बचाया, किन्‍तु यह अपने को नहीं बचा सकता। 32अब यह मसीह, इस्राएल का राजा क्रूस से उतरे ताकि हम देखें और विश्‍वास करें।” जो डाकू येशु के साथ क्रूस पर चढ़ाये गये थे, वे भी येशु को भला-बुरा कह रहे थे।#मत 16:1,4
येशु की मृत्‍यु
33दोपहर होने पर समस्‍त पृथ्‍वी पर अंधेरा छा गया और तीन बजे तक बना रहा।#आमो 8:9 34दोपहर तीन बजे येशु ने ऊंचे स्‍वर से पुकारा, “एलोई! एलोई! लमा सबकतानी?” इसका अर्थ है : “हे मेरे परमेश्‍वर! हे मेरे परमेश्‍वर! तूने मुझे क्‍यों छोड़ दिया?”#भज 22:1 35यह सुन कर पास खड़े लोगों में से कुछ ने कहा, “देखो! यह नबी एलियाह को पुकार रहा है।” 36उन में से एक ने दौड़ कर अम्‍लरस में पनसोख्‍ता डुबाया, उसे सरकण्‍डे में लगाया और यह कहते हुए येशु को पीने को दिया, “रहने दो! देखें, एलियाह इसे उतारने आते हैं या नहीं।”#भज 69:21 37तब येशु ने ऊंचे स्‍वर से पुकार कर प्राण त्‍याग दिये।
38मन्‍दिर का परदा ऊपर से नीचे तक फट कर दो टुकड़े हो गया। 39जो रोमन शतपति येशु के सामने खड़ा था, वह उन्‍हें इस प्रकार प्राण त्‍यागते देख कर बोल उठा, “निश्‍चय ही, यह मनुष्‍य परमेश्‍वर का पुत्र था।”
40वहाँ कुछ स्‍त्रियाँ भी दूर से देख रही थीं। उन में मरियम मगदलेनी, छोटे याकूब और योसेस की माता मरियम और सलोमी थीं।#लू 8:2-3 41जब येशु गलील प्रदेश में थे, वे उनके पीछे हो ली थीं और उनकी सेवा-परिचर्या करती थीं। वहाँ और भी अन्‍य स्‍त्रियाँ थीं, जो येशु के साथ यरूशलेम आयी थीं।
कबर में रखा जाना
42अब सन्‍ध्‍या हो गयी थी। उस दिन शुक्रवार था, अर्थात् विश्राम-दिवस के पूर्व का दिन।#मत 27:57-61; लू 23:50-55; यो 19:38-42 43इसलिए अरिमतियाह नगर का यूसुफ़ आया। वह धर्ममहासभा का एक सम्‍मानित सदस्‍य था। वह परमेश्‍वर के राज्‍य की प्रतीक्षा में था। वह साहस करके राजभवन के भीतर पिलातुस के पास गया और उसने येशु का शरीर माँगा। 44पिलातुस को आश्‍चर्य हुआ कि वह इतने शीघ्र मर गये हैं। उसने शतपति को बुला कर पूछा कि क्‍या येशु को मरे कुछ समय हो गया है। 45शतपति से इसकी सूचना पाकर पिलातुस ने यूसुफ़ को शव दिला दिया। 46यूसुफ़ ने मलमल का कफ़न ख़रीदा और येशु को क्रूस से उतारा। उसने उन्‍हें कफ़न में लपेट कर चट्टान में खोदी हुई कबर में रख दिया और कबर के द्वार पर एक पत्‍थर लुढ़का कर लगा दिया। 47मरियम मगदलेनी और योसेस की माता मरियम यह देख रही थीं कि येशु कहाँ रखे गये हैं।

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मारकुस 15: HINCLBSI

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