मारकुस 3
3
सूखे हाथ वाले मनुष्य को स्वस्थ करना
1येशु फिर सभागृह में गये। वहाँ एक मनुष्य था, जिसका हाथ सूख गया था।#मत 12:9-14; लू 6:6-11 2कुछ लोग इस बात की ताक में थे कि येशु विश्राम के दिन उसे स्वस्थ करें, और वे उन पर दोष लगाएँ। 3येशु ने सूखे हाथ वाले मनुष्य से कहा, “बीच में खड़े हो जाओ।” 4तब येशु ने लोगों से पूछा, “विश्राम-दिवस पर भलाई करना उचित है या बुराई, प्राण बचाना या हत्या करना?” वे मौन रहे। 5उनके हृदय की कठोरता देख कर येशु को दु:ख हुआ और वह उन पर क्रोध भरी दृष्टि दौड़ा कर उस मनुष्य से बोले, “अपना हाथ बढ़ाओ।” उसने अपना हाथ बढ़ाया और उसका हाथ अच्छा हो गया।#यो 11:33 6इस पर फरीसी बाहर निकल कर तुरन्त हेरोदेस-दल के साथ येशु के विरुद्ध परामर्श करने लगे कि हम किस तरह उनका विनाश करें।#मत 22:16
झील के किनारे विशाल जनसमूह
7येशु अपने शिष्यों के साथ झील की ओर चले गये। एक विशाल जनसमूह उनके पीछे-पीछे हो लिया। ये लोग गलील प्रदेश, यहूदा प्रदेश,#मत 12:15-16; लू 6:17-19 8यरूशलेम नगर, इदूमिया देश और यर्दन नदी के उस पार तथा सोर और सीदोन के आसपास के प्रदेश से उनके पास आए थे; क्योंकि उन्होंने उनके कार्यों की चर्चा सुनी थी।#मत 4:25 9भीड़ के दबाव से बचने के लिए येशु ने अपने शिष्यों से कहा कि वे उनके लिए एक नाव तैयार रखें; 10क्योंकि उन्होंने बहुत-से लोगों को स्वस्थ किया था और रोगी उनका स्पर्श करने के लिए उन पर गिरे पड़ रहे थे। 11अशुद्ध आत्माएँ भी येशु को देखते ही उनके सम्मुख गिर पड़तीं और चिल्लाकर कहती थीं, “आप परमेश्वर के पुत्र हैं।”#लू 4:41 12किन्तु वह उन्हें यह कड़ी चेतावनी देते थे, “तुम मुझे प्रकट मत करो।”#मक 1:34
बारह प्रेरितों का चुनाव
13येशु पहाड़ी पर चढ़े और जिन को चाहा, उन को अपने पास बुला लिया। वे उनके पास आए।#मत 10:1-4; लू 6:12-16 14-15येशु ने उन में से बारह को नियुक्त किया, और उन्हें प्रेरित#3:14-15 अर्थात् ‘भेजा हुआ’ ‘प्रेषित’ नाम दिया, जिससे वे लोग उनके साथ रहें और वह उन्हें भूतों को निकालने का अधिकार देकर शुभ-समाचार का प्रचार करने के लिए भेजें।
16येशु ने इन बारहों को नियुक्त किया : सिमोन को, जिसका नाम उन्होंने ‘पतरस’#3:16 अर्थात् ‘चट्टान’ रखा;#यो 1:42 17जबदी के पुत्र याकूब और उसके भाई योहन को, जिनका नाम उन्होंने बुअनेरगिस, अर्थात् गर्जन के पुत्र रखा;#लू 9:54 18अन्द्रेयास, फिलिप, बरतोलोमी, मत्ती, थोमस, हलफई के पुत्र याकूब, तदै और शिमोन ‘कनानी’#3:18 अर्थात् ‘धर्मोत्साही’ को 19और यूदस#3:19 अथवा ‘यहूदा’ इस्करियोती को, जिसने येशु को पकड़वाया।
येशु के सम्बन्धी
20येशु घर आए और फिर इतनी भीड़ एकत्र हो गयी कि उन लोगों को भोजन करने की भी फुरसत नहीं रही। 21जब येशु के सम्बन्धियों ने यह सुना, तो वे उन को बलपूर्वक ले जाने के लिए निकले; क्योंकि वे कहते थे#3:21 अथवा, ‘कहा जाता था’ कि उन्हें अपनी सुध-बुध नहीं रह गयी है।#यो 7:20; 8:48,52; 10:20
पवित्र आत्मा अथवा शैतान की आत्मा?
22यरूशलेम से आये हुए शास्त्रियों ने भी यह कहा, “उसे बअलजबूल सिद्ध है” और “वह भूतों के नायक की सहायता से भूतों को निकालता है।”#मत 12:24-32; लू 11:15-22; 12:10 23येशु ने उन्हें अपने पास बुला कर दृष्टान्तों में उनसे कहा, “शैतान, शैतान को कैसे निकाल सकता है? 24यदि किसी राज्य में फूट पड़ जाए तो वह राज्य टिक नहीं सकता। 25यदि किसी घर में फूट पड़ जाए तो वह घर टिक नहीं सकता। 26यदि शैतान अपने ही विरुद्ध विद्रोह करे तो उसके यहाँ फूट पड़ गयी और वह टिक नहीं सकता, बल्कि उसका अंत हो जाता है।
27“कोई किसी बलवान् के घर में घुस कर उसकी सम्पत्ति तब तक नहीं लूट सकता, जब तक कि वह उस बलवान् को न बाँध ले। इसके बाद ही वह उसका घर लूट सकता है।
पवित्र आत्मा के विरुद्ध पाप
28“मैं तुम से सच कहता हूँ, मनुष्य चाहे जो भी पाप या ईश-निन्दा करें, उन्हें सब की क्षमा मिल जाएगी; 29परन्तु पवित्र आत्मा की निन्दा करने वाले को कभी भी क्षमा नहीं मिलेगी। वह अनन्त पाप का अपराधी है।”
30येशु ने यह इसीलिए कहा कि शास्त्रियों ने उनके बारे में यह कहा था, “उसमें अशुद्ध आत्मा है।”#मक 3:22
सच्चा नाता
31उस समय येशु की माता और भाई-बहिन#3:31 अथवा, ‘भाई’ आए। उन्होंने घर के बाहर से उन्हें बुला भेजा।#मत 12:46-50; लू 8:19-21 32लोग येशु के चारों ओर बैठे हुए थे। उन्होंने येशु से कहा, “देखिए, आपकी माता, आपके भाई और आपकी बहिनें बाहर हैं। वे आप को पूछ रहे हैं।” 33येशु ने उत्तर दिया, “कौन है मेरी माता, कौन हैं मेरे भाई-बहिन?” 34फिर उन्होंने अपने चारों ओर बैठे हुए लोगों पर दृष्टि दौड़ायी और कहा, “ये हैं मेरी माता और मेरे भाई-बहिन। 35जो व्यक्ति परमेश्वर की इच्छा पूरी करता है, वही है मेरा भाई, मेरी बहिन और मेरी माता।”
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Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
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मारकुस 3
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सूखे हाथ वाले मनुष्य को स्वस्थ करना
1येशु फिर सभागृह में गये। वहाँ एक मनुष्य था, जिसका हाथ सूख गया था।#मत 12:9-14; लू 6:6-11 2कुछ लोग इस बात की ताक में थे कि येशु विश्राम के दिन उसे स्वस्थ करें, और वे उन पर दोष लगाएँ। 3येशु ने सूखे हाथ वाले मनुष्य से कहा, “बीच में खड़े हो जाओ।” 4तब येशु ने लोगों से पूछा, “विश्राम-दिवस पर भलाई करना उचित है या बुराई, प्राण बचाना या हत्या करना?” वे मौन रहे। 5उनके हृदय की कठोरता देख कर येशु को दु:ख हुआ और वह उन पर क्रोध भरी दृष्टि दौड़ा कर उस मनुष्य से बोले, “अपना हाथ बढ़ाओ।” उसने अपना हाथ बढ़ाया और उसका हाथ अच्छा हो गया।#यो 11:33 6इस पर फरीसी बाहर निकल कर तुरन्त हेरोदेस-दल के साथ येशु के विरुद्ध परामर्श करने लगे कि हम किस तरह उनका विनाश करें।#मत 22:16
झील के किनारे विशाल जनसमूह
7येशु अपने शिष्यों के साथ झील की ओर चले गये। एक विशाल जनसमूह उनके पीछे-पीछे हो लिया। ये लोग गलील प्रदेश, यहूदा प्रदेश,#मत 12:15-16; लू 6:17-19 8यरूशलेम नगर, इदूमिया देश और यर्दन नदी के उस पार तथा सोर और सीदोन के आसपास के प्रदेश से उनके पास आए थे; क्योंकि उन्होंने उनके कार्यों की चर्चा सुनी थी।#मत 4:25 9भीड़ के दबाव से बचने के लिए येशु ने अपने शिष्यों से कहा कि वे उनके लिए एक नाव तैयार रखें; 10क्योंकि उन्होंने बहुत-से लोगों को स्वस्थ किया था और रोगी उनका स्पर्श करने के लिए उन पर गिरे पड़ रहे थे। 11अशुद्ध आत्माएँ भी येशु को देखते ही उनके सम्मुख गिर पड़तीं और चिल्लाकर कहती थीं, “आप परमेश्वर के पुत्र हैं।”#लू 4:41 12किन्तु वह उन्हें यह कड़ी चेतावनी देते थे, “तुम मुझे प्रकट मत करो।”#मक 1:34
बारह प्रेरितों का चुनाव
13येशु पहाड़ी पर चढ़े और जिन को चाहा, उन को अपने पास बुला लिया। वे उनके पास आए।#मत 10:1-4; लू 6:12-16 14-15येशु ने उन में से बारह को नियुक्त किया, और उन्हें प्रेरित#3:14-15 अर्थात् ‘भेजा हुआ’ ‘प्रेषित’ नाम दिया, जिससे वे लोग उनके साथ रहें और वह उन्हें भूतों को निकालने का अधिकार देकर शुभ-समाचार का प्रचार करने के लिए भेजें।
16येशु ने इन बारहों को नियुक्त किया : सिमोन को, जिसका नाम उन्होंने ‘पतरस’#3:16 अर्थात् ‘चट्टान’ रखा;#यो 1:42 17जबदी के पुत्र याकूब और उसके भाई योहन को, जिनका नाम उन्होंने बुअनेरगिस, अर्थात् गर्जन के पुत्र रखा;#लू 9:54 18अन्द्रेयास, फिलिप, बरतोलोमी, मत्ती, थोमस, हलफई के पुत्र याकूब, तदै और शिमोन ‘कनानी’#3:18 अर्थात् ‘धर्मोत्साही’ को 19और यूदस#3:19 अथवा ‘यहूदा’ इस्करियोती को, जिसने येशु को पकड़वाया।
येशु के सम्बन्धी
20येशु घर आए और फिर इतनी भीड़ एकत्र हो गयी कि उन लोगों को भोजन करने की भी फुरसत नहीं रही। 21जब येशु के सम्बन्धियों ने यह सुना, तो वे उन को बलपूर्वक ले जाने के लिए निकले; क्योंकि वे कहते थे#3:21 अथवा, ‘कहा जाता था’ कि उन्हें अपनी सुध-बुध नहीं रह गयी है।#यो 7:20; 8:48,52; 10:20
पवित्र आत्मा अथवा शैतान की आत्मा?
22यरूशलेम से आये हुए शास्त्रियों ने भी यह कहा, “उसे बअलजबूल सिद्ध है” और “वह भूतों के नायक की सहायता से भूतों को निकालता है।”#मत 12:24-32; लू 11:15-22; 12:10 23येशु ने उन्हें अपने पास बुला कर दृष्टान्तों में उनसे कहा, “शैतान, शैतान को कैसे निकाल सकता है? 24यदि किसी राज्य में फूट पड़ जाए तो वह राज्य टिक नहीं सकता। 25यदि किसी घर में फूट पड़ जाए तो वह घर टिक नहीं सकता। 26यदि शैतान अपने ही विरुद्ध विद्रोह करे तो उसके यहाँ फूट पड़ गयी और वह टिक नहीं सकता, बल्कि उसका अंत हो जाता है।
27“कोई किसी बलवान् के घर में घुस कर उसकी सम्पत्ति तब तक नहीं लूट सकता, जब तक कि वह उस बलवान् को न बाँध ले। इसके बाद ही वह उसका घर लूट सकता है।
पवित्र आत्मा के विरुद्ध पाप
28“मैं तुम से सच कहता हूँ, मनुष्य चाहे जो भी पाप या ईश-निन्दा करें, उन्हें सब की क्षमा मिल जाएगी; 29परन्तु पवित्र आत्मा की निन्दा करने वाले को कभी भी क्षमा नहीं मिलेगी। वह अनन्त पाप का अपराधी है।”
30येशु ने यह इसीलिए कहा कि शास्त्रियों ने उनके बारे में यह कहा था, “उसमें अशुद्ध आत्मा है।”#मक 3:22
सच्चा नाता
31उस समय येशु की माता और भाई-बहिन#3:31 अथवा, ‘भाई’ आए। उन्होंने घर के बाहर से उन्हें बुला भेजा।#मत 12:46-50; लू 8:19-21 32लोग येशु के चारों ओर बैठे हुए थे। उन्होंने येशु से कहा, “देखिए, आपकी माता, आपके भाई और आपकी बहिनें बाहर हैं। वे आप को पूछ रहे हैं।” 33येशु ने उत्तर दिया, “कौन है मेरी माता, कौन हैं मेरे भाई-बहिन?” 34फिर उन्होंने अपने चारों ओर बैठे हुए लोगों पर दृष्टि दौड़ायी और कहा, “ये हैं मेरी माता और मेरे भाई-बहिन। 35जो व्यक्ति परमेश्वर की इच्छा पूरी करता है, वही है मेरा भाई, मेरी बहिन और मेरी माता।”
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