जन-गणना 18
18
पुरोहितों एवं लेवियों का प्रबन्ध
1तब प्रभु ने हारून से कहा, ‘तू और तेरे साथ तेरे पुत्र तथा तेरे पूर्वजों का परिवार पवित्र-स्थान से सम्बन्धित अधर्म को स्वयं वहन करेंगे। तू और तेरे साथ तेरे पुत्र अपने पुरोहित-कर्म से सम्बन्धित अधर्म को स्वयं वहन करेंगे।#इब्र 7:25-28 2तू अपने साथ अपने पैतृक लेवी-कुल के भाइयों को भी लाना, कि वे तेरे साथ रहें। जब तू और तेरे पुत्र साक्षी के तम्बू के सम्मुख होंगे तब वे तेरी सहायता करेंगे। 3वे तेरी सहायता तथा तम्बू की देखभाल करेंगे। किन्तु वे पवित्र-स्थान के पात्रों एवं वेदी के निकट नहीं आएंगे; अन्यथा तुम और वे मर जाएंगे।#गण 3:25; 4:15 4वे मिलन-शिविर के समस्त सेवा-कार्य करने के लिए तुम्हारे साथ रहेंगे और तम्बू की देखभाल करेंगे। जो व्यक्ति लेवी-कुल का नहीं है, वह तुम्हारे समीप नहीं आएगा। 5किन्तु तुम लोग पवित्र-स्थान तथा वेदी के समस्त सेवा-कार्य का दायित्व संभालोगे जिससे इस्राएली समाज पर मेरा क्रोध पुन: न भड़के। 6देखो, मैंने तुम्हारे भाई, लेवियों को इस्राएली समाज के मध्य से लिया है। वे मुझ-प्रभु को अर्पित किए गए हैं। मैंने उन्हें तुम्हें दिया है कि वे मिलन-शिविर के सेवा-कार्यों को करें। 7किन्तु तू और तेरे साथ तेरे पुत्र वेदी से सम्बन्धित तथा अन्त:-पट के पीछे पुरोहितीय कार्यों का दायित्व सम्भालेंगे। तुम सेवा-कार्य करोगे। मैं तुम्हें पुरोहितीय कार्य दान-स्वरूप प्रदान करता हूं। समीप आने वाले अपुरोहित व्यक्ति को मृत्यु-दण्ड दिया जाएगा।’
8प्रभु हारून से फिर बोला, ‘मुझे चढ़ाई गई भेंटों का शेष भाग, इस्राएली समाज की समस्त पवित्र की हुई वस्तुएँ, मैंने तुझे प्रदान की हैं। मैंने उनको तेरा भाग और तेरे पुत्रों का स्थायी देय-भाग निर्धारित करके प्रदान किया है। 9यह परम पवित्र वस्तुओं में से बची, अग्नि में नहीं जलाई गई वस्तु, तेरी होगी : उनके समस्त चढ़ावे, उनकी सब अन्न-बलि, समस्त पाप-बलि और सब दोष-बलि, जो वे मुझे देते हैं, तेरे और तेरे पुत्रों के लिए परम पवित्र होगी। 10तुम उसको परम पवित्र स्थान में खाना, उसको केवल पुरुष खा सकते हैं। वह तेरे लिए पवित्र हैं। 11यह भी तेरा है : इस्राएली समाज की समस्त लहर-बलि में अर्पित की गई भेंटों के शेष भाग। मैंने उनको तुझे और तेरे साथ तेरे पुत्रों और पुत्रियों को स्थायी देय-भाग के रूप में प्रदान किया है। तेरे घर का प्रत्येक शुद्ध व्यक्ति उनको खा सकता है। 12ताजा सर्वोत्तम तेल, ताजा सर्वोत्तम अंगूर का रस और अन्न, उनकी पहली उपज, जो वे मुझ-प्रभु को चढ़ाते हैं, वह मैं तुझे प्रदान करता हूं। 13उनके देश के सब प्रथम फल, जो वे मुझ-प्रभु के पास लाते हैं, तेरे ही होंगे। तेरे घर के सब शुद्ध व्यक्ति ही उनको खा सकते हैं। 14इस्राएल में पूर्ण-समर्पित सब वस्तुएँ तेरी ही होंगी।#लेव 27:28 15मनुष्य अथवा पशु की प्रत्येक पहिलौठी सन्तान, जिसे वे मुझ-प्रभु को चढ़ाते हैं, तेरी ही होगी। तू मनुष्य की पहिलौठी सन्तान को मूल्य लेकर मुक्त कर देना। इसी प्रकार अशुद्ध पशुओं के पहिलौठे बच्चों को भी मूल्य लेकर छोड़ देना। 16मनुष्य की छुड़ायी जाने वाली संतान को तू एक माह की आयु में निर्धारित मूल्य पर छोड़ना। तू उसका विमोचन-मूल्य#18:16 अथवा, ‘छुटकारा-मूल्य” पवित्र स्थान की तौल के अनुसार पांच चांदी के सिक्के निश्चित करना। (एक सिक्के में प्राय: बारह ग्राम चांदी होती है।) 17किन्तु तू गाय, भेड़ अथवा बकरी के पहिलौठे बच्चों को मत छोड़ना। वे पवित्र हैं। तू उनका रक्त वेदी पर छिड़कना और उनकी चर्बी मुझ-प्रभु को अग्नि में अर्पित सुखद सुगन्ध के रूप में जलाना। 18परन्तु उनका मांस तेरा भाग होगा, जैसे लहराए हुए वक्ष और दाहिनी जांघ का मांस तेरे लिए होता है। 19जो पवित्र भेंट इस्राएली लोग मुझ-प्रभु को अर्पित करेंगे, वह मैं तुझे और तेरे साथ तेरे पुत्र-पुत्रियों को स्थायी देय-भाग के रूप में प्रदान करता हूं। यह तेरे और तेरे साथ तेरे वंशजों के लिए मुझ-प्रभु के सम्मुख अलंघनीय#18:19 शब्दश: “नमक का” स्थायी विधान है।’#2 इत 13:5 20प्रभु ने हारून से आगे कहा, ‘इस्राएलियों के देश में तेरी पैतृक-सम्पत्ति नहीं होगी, और न उनके साथ तुझे कोई भाग मिलेगा। इस्राएली समाज में मैं ही तेरा भाग और पैतृक-सम्पत्ति हूं।
21‘देखो, जो सेवा-कार्य लेवी के वंशज मिलन-शिविर में करते हैं, उनकी सेवा के बदले में मैंने उन्हें इस्राएल में समस्त भेंटों का दशमांश पैतृक-सम्पत्ति के लिए प्रदान किया है।#लेव 27:30; व्य 14:22-29 22अब से इस्राएली लोग मिलन-शिविर के समीप नहीं आएंगे। ऐसा न हो कि वे पाप वहन करें और मर जाएँ। 23किन्तु लेवीय लोग मिलन-शिविर के सेवा-कार्यों को करेंगे, और अपने अधर्म को भी स्वयं वहन करेंगे। यह तुम्हारी पीढ़ी से पीढ़ी तक स्थायी संविधि है। इस्राएली समाज में उनकी पैतृक सम्पत्ति नहीं होगी। 24जो वस्तु दशमांश के रूप में इस्राएली समाज मुझ-प्रभु को अर्पित करता है, उसे मैंने लेवियों को प्रदान किया है कि वह उनकी पैतृक सम्पत्ति हो। इसलिए मैंने उनसे कहा है कि इस्राएली समाज के मध्य उनकी पैतृक सम्पत्ति नहीं होगी।’
25प्रभु मूसा से बोला, 26‘इसके अतिरिक्त तू लेवियों से यह कहना : “ जो दशमांश मैंने इस्राएली समाज में तुम्हारी पैतृक सम्पत्ति के लिए प्रदान किया है, जब तुम उसको इस्राएली लोगों से लोगे तब उसका कुछ अंश, अर्थात् दशमांश, मुझ-प्रभु को अर्पित करना। 27तुम्हारी यह भेंट खलियान के अन्न अथवा अंगूर के रस-कुण्ड के नए रस के सदृश मानी जाएगी। 28अत: तुम भी अपने समस्त दशमांश में से, जो तुम इस्राएली समाज से लोगे, मुझ-प्रभु को भेंट में अर्पित करना, और मेरी यह भेंट पुरोहित हारून को दे देना। 29तुम्हें प्राप्त समस्त भेंटों में से तुम मुझ-प्रभु को निर्धारित भेंट अर्पित करना, उनका सर्वोत्तम भाग, पवित्र अंश अर्पित करना।” 30इसलिए तुम लेवियों से कहना, “जब तुम उसका सर्वोत्तम भाग अर्पित कर दोगे तब उसका शेष भाग तुम्हारे लिए खलियान के अन्न, अथवा अंगूर के रस-कुण्ड के रस के सदृश माना जाएगा। 31तुम और तुम्हारा परिवार उसको सब स्थानों में खा सकते हैं; क्योंकि यह मिलन-शिविर में किए गए तुम्हारे सेवा-कार्यों का पुरस्कार है। 32जब तुम उसका सर्वोत्तम भाग भेंट में अर्पित करोगे तब उसके कारण तुम्हें पाप वहन नहीं करना पड़ेगा। तुम इस्राएली समाज की पवित्र की हुई वस्तुओं को अपवित्र मत करना; अन्यथा तुम मर जाओगे।” ’
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जन-गणना 18
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पुरोहितों एवं लेवियों का प्रबन्ध
1तब प्रभु ने हारून से कहा, ‘तू और तेरे साथ तेरे पुत्र तथा तेरे पूर्वजों का परिवार पवित्र-स्थान से सम्बन्धित अधर्म को स्वयं वहन करेंगे। तू और तेरे साथ तेरे पुत्र अपने पुरोहित-कर्म से सम्बन्धित अधर्म को स्वयं वहन करेंगे।#इब्र 7:25-28 2तू अपने साथ अपने पैतृक लेवी-कुल के भाइयों को भी लाना, कि वे तेरे साथ रहें। जब तू और तेरे पुत्र साक्षी के तम्बू के सम्मुख होंगे तब वे तेरी सहायता करेंगे। 3वे तेरी सहायता तथा तम्बू की देखभाल करेंगे। किन्तु वे पवित्र-स्थान के पात्रों एवं वेदी के निकट नहीं आएंगे; अन्यथा तुम और वे मर जाएंगे।#गण 3:25; 4:15 4वे मिलन-शिविर के समस्त सेवा-कार्य करने के लिए तुम्हारे साथ रहेंगे और तम्बू की देखभाल करेंगे। जो व्यक्ति लेवी-कुल का नहीं है, वह तुम्हारे समीप नहीं आएगा। 5किन्तु तुम लोग पवित्र-स्थान तथा वेदी के समस्त सेवा-कार्य का दायित्व संभालोगे जिससे इस्राएली समाज पर मेरा क्रोध पुन: न भड़के। 6देखो, मैंने तुम्हारे भाई, लेवियों को इस्राएली समाज के मध्य से लिया है। वे मुझ-प्रभु को अर्पित किए गए हैं। मैंने उन्हें तुम्हें दिया है कि वे मिलन-शिविर के सेवा-कार्यों को करें। 7किन्तु तू और तेरे साथ तेरे पुत्र वेदी से सम्बन्धित तथा अन्त:-पट के पीछे पुरोहितीय कार्यों का दायित्व सम्भालेंगे। तुम सेवा-कार्य करोगे। मैं तुम्हें पुरोहितीय कार्य दान-स्वरूप प्रदान करता हूं। समीप आने वाले अपुरोहित व्यक्ति को मृत्यु-दण्ड दिया जाएगा।’
8प्रभु हारून से फिर बोला, ‘मुझे चढ़ाई गई भेंटों का शेष भाग, इस्राएली समाज की समस्त पवित्र की हुई वस्तुएँ, मैंने तुझे प्रदान की हैं। मैंने उनको तेरा भाग और तेरे पुत्रों का स्थायी देय-भाग निर्धारित करके प्रदान किया है। 9यह परम पवित्र वस्तुओं में से बची, अग्नि में नहीं जलाई गई वस्तु, तेरी होगी : उनके समस्त चढ़ावे, उनकी सब अन्न-बलि, समस्त पाप-बलि और सब दोष-बलि, जो वे मुझे देते हैं, तेरे और तेरे पुत्रों के लिए परम पवित्र होगी। 10तुम उसको परम पवित्र स्थान में खाना, उसको केवल पुरुष खा सकते हैं। वह तेरे लिए पवित्र हैं। 11यह भी तेरा है : इस्राएली समाज की समस्त लहर-बलि में अर्पित की गई भेंटों के शेष भाग। मैंने उनको तुझे और तेरे साथ तेरे पुत्रों और पुत्रियों को स्थायी देय-भाग के रूप में प्रदान किया है। तेरे घर का प्रत्येक शुद्ध व्यक्ति उनको खा सकता है। 12ताजा सर्वोत्तम तेल, ताजा सर्वोत्तम अंगूर का रस और अन्न, उनकी पहली उपज, जो वे मुझ-प्रभु को चढ़ाते हैं, वह मैं तुझे प्रदान करता हूं। 13उनके देश के सब प्रथम फल, जो वे मुझ-प्रभु के पास लाते हैं, तेरे ही होंगे। तेरे घर के सब शुद्ध व्यक्ति ही उनको खा सकते हैं। 14इस्राएल में पूर्ण-समर्पित सब वस्तुएँ तेरी ही होंगी।#लेव 27:28 15मनुष्य अथवा पशु की प्रत्येक पहिलौठी सन्तान, जिसे वे मुझ-प्रभु को चढ़ाते हैं, तेरी ही होगी। तू मनुष्य की पहिलौठी सन्तान को मूल्य लेकर मुक्त कर देना। इसी प्रकार अशुद्ध पशुओं के पहिलौठे बच्चों को भी मूल्य लेकर छोड़ देना। 16मनुष्य की छुड़ायी जाने वाली संतान को तू एक माह की आयु में निर्धारित मूल्य पर छोड़ना। तू उसका विमोचन-मूल्य#18:16 अथवा, ‘छुटकारा-मूल्य” पवित्र स्थान की तौल के अनुसार पांच चांदी के सिक्के निश्चित करना। (एक सिक्के में प्राय: बारह ग्राम चांदी होती है।) 17किन्तु तू गाय, भेड़ अथवा बकरी के पहिलौठे बच्चों को मत छोड़ना। वे पवित्र हैं। तू उनका रक्त वेदी पर छिड़कना और उनकी चर्बी मुझ-प्रभु को अग्नि में अर्पित सुखद सुगन्ध के रूप में जलाना। 18परन्तु उनका मांस तेरा भाग होगा, जैसे लहराए हुए वक्ष और दाहिनी जांघ का मांस तेरे लिए होता है। 19जो पवित्र भेंट इस्राएली लोग मुझ-प्रभु को अर्पित करेंगे, वह मैं तुझे और तेरे साथ तेरे पुत्र-पुत्रियों को स्थायी देय-भाग के रूप में प्रदान करता हूं। यह तेरे और तेरे साथ तेरे वंशजों के लिए मुझ-प्रभु के सम्मुख अलंघनीय#18:19 शब्दश: “नमक का” स्थायी विधान है।’#2 इत 13:5 20प्रभु ने हारून से आगे कहा, ‘इस्राएलियों के देश में तेरी पैतृक-सम्पत्ति नहीं होगी, और न उनके साथ तुझे कोई भाग मिलेगा। इस्राएली समाज में मैं ही तेरा भाग और पैतृक-सम्पत्ति हूं।
21‘देखो, जो सेवा-कार्य लेवी के वंशज मिलन-शिविर में करते हैं, उनकी सेवा के बदले में मैंने उन्हें इस्राएल में समस्त भेंटों का दशमांश पैतृक-सम्पत्ति के लिए प्रदान किया है।#लेव 27:30; व्य 14:22-29 22अब से इस्राएली लोग मिलन-शिविर के समीप नहीं आएंगे। ऐसा न हो कि वे पाप वहन करें और मर जाएँ। 23किन्तु लेवीय लोग मिलन-शिविर के सेवा-कार्यों को करेंगे, और अपने अधर्म को भी स्वयं वहन करेंगे। यह तुम्हारी पीढ़ी से पीढ़ी तक स्थायी संविधि है। इस्राएली समाज में उनकी पैतृक सम्पत्ति नहीं होगी। 24जो वस्तु दशमांश के रूप में इस्राएली समाज मुझ-प्रभु को अर्पित करता है, उसे मैंने लेवियों को प्रदान किया है कि वह उनकी पैतृक सम्पत्ति हो। इसलिए मैंने उनसे कहा है कि इस्राएली समाज के मध्य उनकी पैतृक सम्पत्ति नहीं होगी।’
25प्रभु मूसा से बोला, 26‘इसके अतिरिक्त तू लेवियों से यह कहना : “ जो दशमांश मैंने इस्राएली समाज में तुम्हारी पैतृक सम्पत्ति के लिए प्रदान किया है, जब तुम उसको इस्राएली लोगों से लोगे तब उसका कुछ अंश, अर्थात् दशमांश, मुझ-प्रभु को अर्पित करना। 27तुम्हारी यह भेंट खलियान के अन्न अथवा अंगूर के रस-कुण्ड के नए रस के सदृश मानी जाएगी। 28अत: तुम भी अपने समस्त दशमांश में से, जो तुम इस्राएली समाज से लोगे, मुझ-प्रभु को भेंट में अर्पित करना, और मेरी यह भेंट पुरोहित हारून को दे देना। 29तुम्हें प्राप्त समस्त भेंटों में से तुम मुझ-प्रभु को निर्धारित भेंट अर्पित करना, उनका सर्वोत्तम भाग, पवित्र अंश अर्पित करना।” 30इसलिए तुम लेवियों से कहना, “जब तुम उसका सर्वोत्तम भाग अर्पित कर दोगे तब उसका शेष भाग तुम्हारे लिए खलियान के अन्न, अथवा अंगूर के रस-कुण्ड के रस के सदृश माना जाएगा। 31तुम और तुम्हारा परिवार उसको सब स्थानों में खा सकते हैं; क्योंकि यह मिलन-शिविर में किए गए तुम्हारे सेवा-कार्यों का पुरस्कार है। 32जब तुम उसका सर्वोत्तम भाग भेंट में अर्पित करोगे तब उसके कारण तुम्हें पाप वहन नहीं करना पड़ेगा। तुम इस्राएली समाज की पवित्र की हुई वस्तुओं को अपवित्र मत करना; अन्यथा तुम मर जाओगे।” ’
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