नीतिवचन 4:10-19

नीतिवचन 4:10-19 HINCLBSI

मेरे पुत्र, मेरी बात सुन; मेरे शब्‍दों को स्‍वीकार कर ताकि तेरी आयु लम्‍बी हो। मैंने तुझको बुद्धि का मार्ग बताया है; मैंने सीधे पथ पर तेरा मार्ग-दर्शन किया है। जब तू बुद्धि के मार्ग पर चलेगा, तब तेरे पैरों को बाधा न होगी; यदि तू दौड़ेगा तो तुझको ठोकर न लगेगी। मेरी शिक्षा को कस कर पकड़े रह, उसकी रक्षा कर, वह तेरा जीवन है। दुर्जन की गली में कदम मत रखना और न दुष्‍कर्मी के पथ पर चलना। उस पथ की ओर ध्‍यान भी न देना, उसके पास से गुजरना भी नहीं। उसकी ओर से मुंह मोड़ ले, और आगे बढ़ जा! जब तक दुर्जन दुष्‍कर्म न कर लें उनको नींद भी नहीं आती: जब तक वे निर्दोष व्यक्‍ति को सता नहीं लेते, नींद उनके पास फटकती भी नहीं। दुष्‍कर्म ही उनकी रोटी, और हिंसा ही उनका पानी है। धार्मिक व्यक्‍ति का पथ मानो ऊषाकाल का प्रकाश है, जो सबेरे से दोपहर तक अधिकाधिक बढ़ता जाता है। पर दुर्जनों का मार्ग घोर अन्‍धकारमय है, वे नहीं जानते कि किससे ठोकर खा रहे हैं।