भजन संहिता 21

21
शत्रु से मुक्‍त होने पर स्‍तुतिगान
मुख्‍यवादक के लिए। दाऊद का भजन।
1हे प्रभु, तेरी शक्‍ति पर राजा हर्षित है,
तेरी विजय पर वह कितना उल्‍लसित है।
2तूने उसकी मनोकामना पूर्ण की,
तूने उसके निवेदन की उपेक्षा नहीं की। सेलाह
3तू शुभ आशिषों के साथ उसके पास आता है;
तू उसके सिर पर सोने का मुकुट रखता है।
4वह तुझ से जीवन माँगता है,
और तू उसे देता है,
युग-युगांत तक दीर्घ जीवन।
5तेरी सहायता से उसकी महिमा बढ़ी है,
तूने उसे ऐश्‍वर्य एवं तेज से विभूषित किया
है।#भज 45:3
6निस्‍सन्‍देह तूने उसे सदा के लिए आशिष का
स्रोत बनाया है।
अपनी उपस्‍थिति के परमानन्‍द से तू उसे
सुखी करता है।
7राजा प्रभु पर भरोसा करता है;
अत: वह सर्वोच्‍च परमेश्‍वर की करुणा द्वारा
अटल बना रहेगा।
8तेरा हाथ तेरे सब शत्रुओं को ढूँढ़ निकालेगा;
तेरा दाहिना हाथ तेरे बैरियों को खोज
निकालेगा।
9जब तू प्रकट होगा
तब तू उन्‍हें दहकता तन्‍दूर बना देगा।
प्रभु, तू अपने कोप में उन्‍हें निगल जाएगा;
और अग्‍नि-कुंड उन्‍हें भस्‍म कर देगा।
10तू उनकी सन्‍तान को धरती से मिटा देगा,
और उनके वंश को मानव जाति के बीच
से।
11यदि वे तेरे विरुद्ध बुराई करना चाहेंगे,
यदि वे षड्‍यन्‍त्र रचेंगे, तो भी सफल न होंगे।
12तू उन्‍हें पीठ दिखाने को विवश करेगा;
तू उनके मुख को अपने बाण का लक्ष्य
बनाएगा।
13हे प्रभु, अपने सामर्थ्य की महानता को प्रकट
कर;
तब हम गीत गाएँगे।
तेरे पराक्रम का यशोगान करेंगे।

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