भजन संहिता 53

53
मनुष्‍य की मूर्खता और दुष्‍टता
मुख्‍यवादक के लिए। महलत के अनुसार। दाऊद का मसकील
1मूर्ख अपने हृदय में यह कहते हैं:
“परमेश्‍वर है ही नहीं।”
वे भ्रष्‍ट हो गए हैं, वे अन्‍याय के घृणास्‍पद
कार्य करते हैं;
ऐसा कोई भी नहीं, जो भलाई करता है।#भज 14:1-7#रोम 3:10-12
2परमेश्‍वर स्‍वर्ग से मनुष्‍यों पर दृष्‍टिपात करता
है, यह देखने के लिए कि
क्‍या कोई ऐसा मनुष्‍य है
जो समझ से काम करता है,
जो परमेश्‍वर को खोजता है?
3सब मनुष्‍य मार्ग से हट गए हैं;
सब एक-जैसे भ्रष्‍ट हो गए हैं;
ऐसा कोई भी नहीं जो भलाई करता है।
नहीं, एक भी नहीं।
4क्‍या कुकर्मी नहीं समझते,
मेरे लोगों का खून चूसने वाले कुकर्मी,#53:4 अथवा, “जो मेरे लोगों को खा जाते हैं जैसे वे रोटी खाते हैं” ।
क्‍या वे बिल्‍कुल नासमझ हैं?
वे मुझ-परमेश्‍वर की आराधना नहीं करते।
5जहां आतंक था ही नहीं
वहां वे अत्‍यन्‍त आतंकित हो उठे!
परमेश्‍वर ने उनकी अस्‍थियों को चूर-चूर
कर दिया,
उन्‍होंने तेरे विरुद्ध घेरा डाला था।
तूने उन्‍हें लज्‍जित किया#53:5 पाठान्‍तर, “वे अधर्म करने पर तुले हुए थे; पर वे लज्‍जित ही हुए” । ;
क्‍योंकि परमेश्‍वर ने उन्‍हें त्‍याग दिया था।
6भला हो कि सियोन से इस्राएल का उद्धार
प्रकट हो!
जब परमेश्‍वर अपने निज लोगों को
समृद्धि पुन: प्रदान करेगा
तब याकूब आनन्‍द मनाएगा और इस्राएल
हर्षित होगा।

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भजन संहिता 53: HINCLBSI

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