भजन संहिता 69
69
संकट से मुक्ति की प्रार्थना
मुख्यवादक के लिए। शोशनीम के अनुसार। दाऊद का।
1हे परमेश्वर, मुझे बचा;
क्योंकि जल प्रवाह मेरे गले तक
बढ़ आया है।#भज 130:1
2मैं कीच-दलदल में धंस गया हूँ;
वहाँ पैर रखने को आधार नहीं है,
मैं अथाह जल में पहुंच गया हूँ,
और जल प्रवाह मुझे डुबा रहा है।
3मैं पुकारते पुकारते थक गया;
मेरा गला सूख गया।
अपने परमेश्वर की प्रतीक्षा करते-करते
मेरी आंखें धुंधली हो गई।
4जो मुझसे अकारण घृणा करते हैं,
वे मेरे सिर के बाल से कहीं अधिक हैं;
मुझे नष्ट करनेवाले,
मुझपर मिथ्या दोष लगानेवाले
बलवान हैं।
जो मैंने छीना नहीं, क्या उसे लौटाना होगा?#यो 15:25; भज 35:19
5हे परमेश्वर,
तू मेरी मूर्खता जानता है,
मेरे अपराध तुझ से छिपे नहीं हैं।
6हे स्वामी, स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु,
तेरी प्रतीक्षा करने वाले
मेरे कारण लज्जित न हों
हे इस्राएल के परमेश्वर,
तुझ को खोजने वाले
मेरे कारण अपमानित न हों।
7तेरे लिए ही मैंने निन्दा का भार ढोया है;
लज्जा ने मेरा मुख ढांप रखा है।#यिर 15:15
8अपने भाई-बहिनों के लिए
मैं अजनबी हो गया,
अपने ही सगे भाई-बहिनों के लिए परदेशी!
9तेरे घर की धुन ने मुझे खा लिया,
जो निन्दा तेरे निन्दकों ने की,
वही मुझपर पड़ी।#भज 119:139; यो 2:17; रोम 15:3
10जब मैंने उपवास से अपनी आत्मा को विनम्र
किया,#69:10 अथवा, “मैंने उपवास से अपने प्राण को शोकित किया।”
तब वह भी मेरे लिए निन्दा बन गया।
11जब मैंने शोकवस्त्र पहिने,
तब मैं उनके लिए एक कहावत बन गया।
12नगर-द्वार पर बैठनेवाले मेरी चर्चा करते हैं,
और पियक्कड़ कवि मुझ पर गीत रचते हैं।
13पर प्रभु, मेरी प्रार्थना तुझ को अर्पित है,
हे परमेश्वर, कृपा-अवसर पर
अपनी महाकरुणा के कारण मुझे उत्तर दे।
अपनी सच्ची सहायता द्वारा
14कीच-दलदल से मुझे मुक्त कर,
कि मैं धंस न जाऊं;
मेरे बैरियों से, गहरे सागर से, मुझे मुक्त कर।
15जल प्रवाह मुझे डुबा न सके,
अथाह जल मुझे निगलने न पाए
और न कबर अपना मुंह मुझ पर बन्द करे।
16हे प्रभु, मुझे उत्तर दे;
क्योंकि तेरी करुणा उत्तम है।
अपनी असीम अनुकम्पा से
मेरी ओर अपना मुख कर,
17अपने सेवक से अपना मुख न छिपा;
मुझे अविलम्ब उत्तर दे;
क्योंकि मैं संकट में हूँ।
18मेरे निकट आ और मेरा उद्धार कर,
मेरे शत्रुओं से मुझे मुक्त कर।
19तू मेरी निन्दा, लज्जा और अपमान को
जानता है,
तू मेरे समस्त बैरियों से परिचित है।
20निन्दा ने मेरे हृदय को विदीर्ण कर दिया है;
मैं अत्यन्त निराश हूँ।
मैंने सहानुभूति की आशा की, पर वह न मिली;
मैंने सान्त्वना देने वालों की प्रतीक्षा की,
पर वह न मिली;#मत 26:40
21उन्होंने खाने के लिए मुझे विष दिया;
मेरी प्यास बुझाने के लिए मुझे पीने को
सिरका दिया।#मत 27:34,48; यो 19:29
22उनके सम्मुख रखा हुआ भोजन फन्दा बन
जाए,
और उनकी सहभागिता-बलि एक जाल।#रोम 11:9-10
23उनकी आंखें धुंधली पड़ जाएं, और वे देख
न सकें;
तू उनकी कमर को सदैव झुकाकर रख।
24उन पर अपने कोप की वर्षा कर;
तेरा दहकता क्रोध उन्हें भस्म कर दे।#प्रक 16:1
25उनका निवास-स्थान उजाड़ हो जाए,
उनके घरों में कोई न रहे।#प्रे 1:20
26ऐसे मनुष्य उस व्यक्ति का पीछा करते हैं,
जिसे तूने मारा है;
वे उन लोगों की पीड़ा की चर्चा करते हैं,
जिन्हें तूने घात किया है।
27वे कुकर्म पर कुकर्म करते रहें,
और तेरी धार्मिकता में प्रवेश न करें।
28जीवन की पुस्तक से उनके नाम मिटा डाल,
उनके नाम धार्मिकों के साथ न लिखे जाएं।#नि 32:32; प्रक 3:5; 13:8
29पर मैं दु:खी और पीड़ित हूँ,
हे परमेश्वर,
अपनी सहायता से मुझे बलवान बना।
30मैं अपने गीतों में
परमेश्वर के नाम का यशोगान करूंगा,
मैं स्तुति-गीत में उसकी प्रशंसा करूंगा।
31यह प्रभु को बैल-बलि से अधिक,
सींग और खुर वाले बैल की बलि से भी
अधिक भाएगा।
32पीड़ित जन इसे देखकर सुखी हों;
ओ परमेश्वर के खोजियो,
तुम्हारे हृदय को नया बल प्राप्त हो!
33प्रभु गरीबों की आवाज सुनता है;
वह अपने बन्दीजनों से घृणा नहीं करता।
34आकाश और पृथ्वी,
सागर और उसके समस्त जलचर,
प्रभु का यशोगान करें।
35परमेश्वर सियोन की रक्षा करेगा,
और यहूदा प्रदेश के नगरों को फिर बसाएगा!
प्रभु के सेवक वहाँ बसकर
उस देश पर अधिकार कर लेंगे।
36उन्हीं सेवकों के वंशज उसको उत्तराधिकार
में प्राप्त करेंगे,
जो प्रभु के नाम से प्रेम करते हैं,
वे वहाँ निवास करेंगे।
वर्तमान में चयनित:
भजन संहिता 69: HINCLBSI
हाइलाइट
शेयर
कॉपी
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.
भजन संहिता 69
69
संकट से मुक्ति की प्रार्थना
मुख्यवादक के लिए। शोशनीम के अनुसार। दाऊद का।
1हे परमेश्वर, मुझे बचा;
क्योंकि जल प्रवाह मेरे गले तक
बढ़ आया है।#भज 130:1
2मैं कीच-दलदल में धंस गया हूँ;
वहाँ पैर रखने को आधार नहीं है,
मैं अथाह जल में पहुंच गया हूँ,
और जल प्रवाह मुझे डुबा रहा है।
3मैं पुकारते पुकारते थक गया;
मेरा गला सूख गया।
अपने परमेश्वर की प्रतीक्षा करते-करते
मेरी आंखें धुंधली हो गई।
4जो मुझसे अकारण घृणा करते हैं,
वे मेरे सिर के बाल से कहीं अधिक हैं;
मुझे नष्ट करनेवाले,
मुझपर मिथ्या दोष लगानेवाले
बलवान हैं।
जो मैंने छीना नहीं, क्या उसे लौटाना होगा?#यो 15:25; भज 35:19
5हे परमेश्वर,
तू मेरी मूर्खता जानता है,
मेरे अपराध तुझ से छिपे नहीं हैं।
6हे स्वामी, स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु,
तेरी प्रतीक्षा करने वाले
मेरे कारण लज्जित न हों
हे इस्राएल के परमेश्वर,
तुझ को खोजने वाले
मेरे कारण अपमानित न हों।
7तेरे लिए ही मैंने निन्दा का भार ढोया है;
लज्जा ने मेरा मुख ढांप रखा है।#यिर 15:15
8अपने भाई-बहिनों के लिए
मैं अजनबी हो गया,
अपने ही सगे भाई-बहिनों के लिए परदेशी!
9तेरे घर की धुन ने मुझे खा लिया,
जो निन्दा तेरे निन्दकों ने की,
वही मुझपर पड़ी।#भज 119:139; यो 2:17; रोम 15:3
10जब मैंने उपवास से अपनी आत्मा को विनम्र
किया,#69:10 अथवा, “मैंने उपवास से अपने प्राण को शोकित किया।”
तब वह भी मेरे लिए निन्दा बन गया।
11जब मैंने शोकवस्त्र पहिने,
तब मैं उनके लिए एक कहावत बन गया।
12नगर-द्वार पर बैठनेवाले मेरी चर्चा करते हैं,
और पियक्कड़ कवि मुझ पर गीत रचते हैं।
13पर प्रभु, मेरी प्रार्थना तुझ को अर्पित है,
हे परमेश्वर, कृपा-अवसर पर
अपनी महाकरुणा के कारण मुझे उत्तर दे।
अपनी सच्ची सहायता द्वारा
14कीच-दलदल से मुझे मुक्त कर,
कि मैं धंस न जाऊं;
मेरे बैरियों से, गहरे सागर से, मुझे मुक्त कर।
15जल प्रवाह मुझे डुबा न सके,
अथाह जल मुझे निगलने न पाए
और न कबर अपना मुंह मुझ पर बन्द करे।
16हे प्रभु, मुझे उत्तर दे;
क्योंकि तेरी करुणा उत्तम है।
अपनी असीम अनुकम्पा से
मेरी ओर अपना मुख कर,
17अपने सेवक से अपना मुख न छिपा;
मुझे अविलम्ब उत्तर दे;
क्योंकि मैं संकट में हूँ।
18मेरे निकट आ और मेरा उद्धार कर,
मेरे शत्रुओं से मुझे मुक्त कर।
19तू मेरी निन्दा, लज्जा और अपमान को
जानता है,
तू मेरे समस्त बैरियों से परिचित है।
20निन्दा ने मेरे हृदय को विदीर्ण कर दिया है;
मैं अत्यन्त निराश हूँ।
मैंने सहानुभूति की आशा की, पर वह न मिली;
मैंने सान्त्वना देने वालों की प्रतीक्षा की,
पर वह न मिली;#मत 26:40
21उन्होंने खाने के लिए मुझे विष दिया;
मेरी प्यास बुझाने के लिए मुझे पीने को
सिरका दिया।#मत 27:34,48; यो 19:29
22उनके सम्मुख रखा हुआ भोजन फन्दा बन
जाए,
और उनकी सहभागिता-बलि एक जाल।#रोम 11:9-10
23उनकी आंखें धुंधली पड़ जाएं, और वे देख
न सकें;
तू उनकी कमर को सदैव झुकाकर रख।
24उन पर अपने कोप की वर्षा कर;
तेरा दहकता क्रोध उन्हें भस्म कर दे।#प्रक 16:1
25उनका निवास-स्थान उजाड़ हो जाए,
उनके घरों में कोई न रहे।#प्रे 1:20
26ऐसे मनुष्य उस व्यक्ति का पीछा करते हैं,
जिसे तूने मारा है;
वे उन लोगों की पीड़ा की चर्चा करते हैं,
जिन्हें तूने घात किया है।
27वे कुकर्म पर कुकर्म करते रहें,
और तेरी धार्मिकता में प्रवेश न करें।
28जीवन की पुस्तक से उनके नाम मिटा डाल,
उनके नाम धार्मिकों के साथ न लिखे जाएं।#नि 32:32; प्रक 3:5; 13:8
29पर मैं दु:खी और पीड़ित हूँ,
हे परमेश्वर,
अपनी सहायता से मुझे बलवान बना।
30मैं अपने गीतों में
परमेश्वर के नाम का यशोगान करूंगा,
मैं स्तुति-गीत में उसकी प्रशंसा करूंगा।
31यह प्रभु को बैल-बलि से अधिक,
सींग और खुर वाले बैल की बलि से भी
अधिक भाएगा।
32पीड़ित जन इसे देखकर सुखी हों;
ओ परमेश्वर के खोजियो,
तुम्हारे हृदय को नया बल प्राप्त हो!
33प्रभु गरीबों की आवाज सुनता है;
वह अपने बन्दीजनों से घृणा नहीं करता।
34आकाश और पृथ्वी,
सागर और उसके समस्त जलचर,
प्रभु का यशोगान करें।
35परमेश्वर सियोन की रक्षा करेगा,
और यहूदा प्रदेश के नगरों को फिर बसाएगा!
प्रभु के सेवक वहाँ बसकर
उस देश पर अधिकार कर लेंगे।
36उन्हीं सेवकों के वंशज उसको उत्तराधिकार
में प्राप्त करेंगे,
जो प्रभु के नाम से प्रेम करते हैं,
वे वहाँ निवास करेंगे।
वर्तमान में चयनित:
:
हाइलाइट
शेयर
कॉपी
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.