भजन संहिता 86:1-13

भजन संहिता 86:1-13 HINCLBSI

हे प्रभु, मेरी बात पर कान दे और मुझे उत्तर दे; क्‍योंकि मैं पीड़ित और दरिद्र हूं। मेरे प्राण की रक्षा कर; क्‍योंकि मैं तेरा भक्‍त हूं। मैंने तुझ पर भरोसा किया है; अपने सेवक को बचा। तू ही मेरा परमेश्‍वर है; हे स्‍वामी, मुझ पर कृपा कर; क्‍योंकि मैं दिन भर तुझको पुकारता हूं। हे स्‍वामी, अपने सेवक के प्राण को आनन्‍दित कर; क्‍योंकि मैं तेरा ही ध्‍यान करता हूं। हे स्‍वामी, तू भला और क्षमाशील है, तेरी दुहाई देनेवालों के लिए तू करुणा सागर है। हे प्रभु, मेरी प्रार्थना पर ध्‍यान दे; मेरी विनती की पुकार को सुन। मैं अपने संकट के दिन तुझको पुकारता हूं; क्‍योंकि तू मुझे उत्तर देता है। हे स्‍वामी, देवताओं में न तुझ जैसा कोई है, और न तेरे जैसे कार्य किसी और के हैं। हे स्‍वामी, समस्‍त राष्‍ट्र, जिन्‍हें तूने रचा है, तेरे सम्‍मुख आकर दण्‍डवत् करेंगे; वे तेरे नाम की महिमा करेंगे। तू महान है, तू अद्भुत कार्यों का कर्त्ता है; तू ही एकमात्र परमेश्‍वर है। हे प्रभु, मुझे अपना मार्ग दिखा, कि मैं तेरी सच्‍चाई पर चलूं; मेरे हृदय को एकाग्रचित् बना कि वह तेरे नाम से डरे। हे मेरे स्‍वामी, मेरे परमेश्‍वर, मैं सम्‍पूर्ण हृदय से तेरा गुणगान करूंगा; मैं तेरे नाम की महिमा सदा करता रहूंगा। तू मुझ पर अत्‍यधिक करुणा करता है। तूने मृतक-लोक के गर्त्त से मेरे प्राण को मुक्‍त किया है।