भजन संहिता 93

93
प्रभु का प्रताप
1प्रभु राज्‍य करता है,
वह प्रताप से विभूषित है।
प्रभु विभूषित है,
वह शक्‍ति का कटिबन्‍ध बांधे हुए है।
निश्‍चय पृथ्‍वी की नींव दृढ़ है,
वह विचलित न होगी।#भज 96:10; यश 52:7
2प्रभु, तेरा सिंहासन अनादि काल से स्‍थिर है;
तू युग-युगान्‍त से है।
3सरिताएं उमड़ रही हैं;
उनका घोर रव उमड़ रहा है।
सरिताओं का गर्जन उमड़ रहा है।
4महासागर की प्रचण्‍ड लहरों से अधिक
प्रचण्‍ड,
ऊंचे पर विराजमान प्रभु शक्‍तिशाली है।
5प्रभु, तेरी साक्षी अति विश्‍वसनीय है;
तेरे भवन को सदा-सर्वदा
पवित्रता ही शोभा देती है।

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