प्रकाशन 15

15
विजय का गीत
1मैंने स्‍वर्ग में से एक और महान एवं आश्‍चर्यजनक चिह्‍न देखा। सात स्‍वर्गदूत सात विपत्तियाँ लिये थे। ये अन्‍तिम विपत्तियाँ हैं, क्‍योंकि इनके द्वारा परमेश्‍वर का क्रोध पूरा हो जाता है।#लेव 26:21; प्रक 6:17; 11:18; 12:1
2मैंने आग से मिश्रित काँच के समुद्र-सा कुछ देखा। वे व्यक्‍ति जिन्‍होंने पशु पर, उसकी प्रतिमा पर और उसके नाम की संख्‍या पर विजय पाई थी, काँच के समुद्र के तट पर खड़े थे। वे परमेश्‍वर की वीणाएँ लिये#प्रक 4:6; 13:15; 5:8 3परमेश्‍वर के सेवक मूसा का गीत और मेमने का गीत गाते हुए कह रहे थे :
“सर्वशक्‍तिमान प्रभु परमेश्‍वर!
तेरे कार्य महान और अपूर्व हैं।
राष्‍ट्रों के राजा!
तेरे मार्ग न्‍यायसंगत और सच्‍चे हैं।#व्‍य 32:4; यहो 14:7; नि 15:1,11; 34:10; भज 111:2; 139:14; 145:17; यिर 10:6-7; प्रक 5:9
4प्रभु! कौन तुझ पर श्रद्धा
और तेरे नाम की स्‍तुति नहीं करेगा?
क्‍योंकि तू ही पवित्र है।
सभी राष्‍ट्र आ कर तेरी आराधना करेंगे,
क्‍योंकि तेरे न्‍यायसंगत निर्णय प्रकट हो गये
हैं।”#भज 86:9; मल 1:11
सात प्‍याले
5इसके बाद मैंने देखा कि स्‍वर्ग में साक्षी-शिविर का मन्‍दिर खुल रहा है।#नि 40:34; प्रक 11:19 6उस मन्‍दिर में से सात विपत्तियाँ लिये सात स्‍वर्गदूत निकले। वे स्‍वच्‍छ और उज्‍ज्‍वल छालटी पहने थे और उनके वक्षस्‍थल पर स्‍वर्ण मेखलाएँ बाँधी हुई थीं।#लेव 26:21; यहेज 28:13 7चार प्राणियों में से एक ने सात स्‍वर्गदूतों को सात सोने के प्‍याले दिये, जिन में युग-युगों तक जीवित रहने वाले परमेश्‍वर का क्रोध भरा हुआ था।#प्रक 4:6-8; 14:10 8परमेश्‍वर की महिमा और उसके सामर्थ्य के कारण मन्‍दिर धूएँ से भर गया था और कोई तब तक मन्‍दिर में प्रवेश नहीं कर सकता था, जब तक सात स्‍वर्गदूतों की सात विपत्तियाँ पूरी न हो जायें।#1 रा 8:10; यश 6:4; यहेज 44:4

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