तब मैंने एक नया आकाश और एक नयी पृथ्वी देखी। पुराना आकाश तथा पुरानी पृथ्वी, दोनो लुप्त हो गये थे और समुद्र भी नहीं रह गया था। मैंने पवित्र नगरी, नवीन यरूशलेम को परमेश्वर के यहाँ से आकाश में उतरते देखा। वह अपने दूल्हे के लिए सजायी हुई दुलहन की तरह अलंकृत थी। तब मुझे सिंहासन से एक गम्भीर वाणी यह कहते सुनाई पड़ी, “देखो, यह है मनुष्यों के बीच परमेश्वर का निवास! वह उनके बीच निवास करेगा। वे उसकी प्रजा होंगे और परमेश्वर स्वयं उनके बीच रह कर उनका अपना परमेश्वर होगा। वह उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा। इसके बाद न मृत्यु रहेगी, न शोक, न विलाप और न दु:ख, क्योंकि पुरानी बातें बीत चुकी हैं।” तब सिंहासन पर विराजमान व्यक्ति ने कहा, “देखो, मैं सब कुछ नया कर रहा हूँ।” इसके बाद उसने कहा, “ये बातें लिखो, क्योंकि ये विश्वसनीय और सत्य हैं।” उसने फिर मुझ से कहा, “कार्य समाप्त हो गया। अलफा और ओमेगा, आदि और अन्त मैं हूँ। मैं प्यासे को संजीवन जल के स्रोत से मुफ्त में पिलाऊंगा। यह विजयी की विरासत है। मैं उनका परमेश्वर होऊंगा और वे मेरी संतान होंगे। लेकिन कायरों, अविश्वासियों, नीचों, हत्यारों, व्यभिचारियों, ओझों, मूर्तिपूजकों और हर प्रकार के मिथ्यावादियों का अंत यह होगा − धधकती आग और गन्धक के कुण्ड में द्वितीय मृत्यु!”
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