रोमियों 14:19-23

रोमियों 14:19-23 HINCLBSI

हम ऐसी बातों में लगे रहें, जिन से शान्‍ति को बढ़ावा मिलता है और जिनके द्वारा हम एक-दूसरे का निर्माण कर सकें। भोजन के कारण परमेश्‍वर की कृति का विनाश मत करो। यह सच है कि सब कुछ अपने में शुद्ध है, किन्‍तु भोजन द्वारा दूसरे के मार्ग में रोड़े अटकाना बुरा है। उत्तम तो यह है कि मांस-मदिरा का सेवन न किया जाए, और न अन्‍य कोई ऐसा कार्य किया जाए जिससे तुम्‍हारा भाई अथवा बहिन पथभ्रष्‍ट हो। तुम परमेश्‍वर के सामने अपनी धारणा अपने तक सीमित रखो। धन्‍य है वह, जिसका अन्त:करण उसे दोषी नहीं मानता, जब वह अपनी धारणा के अनुसार आचरण करता है! किन्‍तु जो खाने के विषय में सन्‍देह करता है और तब भी खाता है, वह दोषी है; क्‍योंकि उसका यह कार्य विश्‍वास के अनुसार नहीं है, और जो कार्य विश्‍वास के अनुसार नहीं है, वह पाप है।