तीतुस 1:1-9

तीतुस 1:1-9 HINCLBSI

यह पत्र, एक ही विश्‍वास में सहभागिता के नाते सच्‍चे पुत्र तीतुस के नाम, पौलुस की ओर से है, जो परमेश्‍वर का सेवक तथा येशु मसीह का प्रेरित है, ताकि वह परमेश्‍वर के कृपापात्रों का विश्‍वास दृढ़ करे और उस सत्‍य का ज्ञान सिखाए, जो धर्म के अनुकूल है और शाश्‍वत जीवन की आशा का आधार है। सत्‍यवादी परमेश्‍वर ने अनादि काल से इस जीवन की प्रतिज्ञा की थी। अब, उपयुक्‍त समय में, उसने अपना अभिप्राय उस सन्‍देश द्वारा स्‍पष्‍ट कर दिया, जिसका प्रचार हमारे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर के आदेश-अनुसार मुझे सौंपा गया है। पिता-परमेश्‍वर और हमारे मुक्‍तिदाता येशु मसीह तुम्‍हें अनुग्रह तथा शान्‍ति प्रदान करें! मैंने तुम्‍हें इसलिए क्रेते द्वीप में रहने दिया कि जो कार्य वहां अधूरा रह गया है, तुम उसकी उचित व्‍यवस्‍था करो और मेरे अनुदेश के अनुसार प्रत्‍येक नगर में धर्मवृद्धों को नियुक्‍त करो। उन में से प्रत्‍येक अनिन्‍दनीय और पत्‍नीव्रती हो। उसके पुत्र-पुत्रियाँ विश्‍वासी हों, लम्‍पटता और अनुशासनहीनता के दोष से मुक्‍त हों। परमेश्‍वर का भंडारी होने के नाते धर्माध्‍यक्ष को चाहिए कि वह अनिन्‍दनीय हो। वह स्‍वेच्‍छाचारी, क्रोधी, मद्यसेवी, झगड़ालू या लोभी न हो। वह अतिथि-प्रेमी, हितैषी, समझदार, न्‍यायी, प्रभुभक्‍त और संयमी हो। वह धर्मसमत्त विश्‍वसनीय वचन पर दृढ़ रहे, जिससे वह हितकारी शिक्षा द्वारा उपदेश दे सके और आपत्ति करनेवालों को निरुत्तर कर सके।