तीतुस 3:5-15

तीतुस 3:5-15 HINCLBSI

उसने नवजीवन के जल और पवित्र आत्‍मा की संजीवन शक्‍ति द्वारा हमारा उद्धार किया। उसने हमारे किसी पुण्‍य धर्म-कर्म के कारण ऐसा नहीं किया, बल्‍कि इसलिए कि वह दयालु है। उसने हमारे मुक्‍तिदाता येशु मसीह द्वारा हमें प्रचुर मात्रा में पवित्र आत्‍मा का वरदान दिया, जिससे हम उसकी कृपा द्वारा धार्मिक ठहराये जायें और शाश्‍वत जीवन के उत्तराधिकारी बनने की आशा कर सकें। यह बात विश्‍वसनीय है और मैं चाहता हूँ कि तुम इस पर बल देते रहो। जो लोग परमेश्‍वर में विश्‍वास कर चुके हैं, वे भले कामों में लगे रहने के लिए उत्‍सुक हों। यह उत्तम है और मनुष्‍यों के लिए लाभदायक भी। निरर्थक विवादों, वंशावलियों, दलबन्‍दी और व्‍यवस्‍था सम्‍बन्‍धी झगड़ों से दूर रहो। यह सब अलाभकर और व्‍यर्थ है। जो व्यक्‍ति अपने भ्रांत विश्‍वास के कारण फूट डालता है, उसे एक-दो बार चेतावनी दो और इसके बाद यह जान कर उस से दूर रहो कि ऐसा व्यक्‍ति पथभ्रष्‍ट और पापी है। वह स्‍वयं अपने को दोषी ठहराता है। जब मैं अरतिमास अथवा तुखिकुस को तुम्‍हारे पास भेजूँगा, तब शीघ्र ही निकोपुलिस नगर में मेरे पास आने का प्रयत्‍न करना। मैंने वहाँ शीत ऋतु बिताने का निश्‍चय किया है। विधि-विशेषज्ञ जेनास और अपुल्‍लोस की यात्रा का अच्‍छा प्रबन्‍ध करो, जिससे उन्‍हें किसी बात की कमी न हो। हमारे अपने लोग भी कोई अच्‍छा व्‍यवसाय करना सीखें। इस प्रकार वे अपनी मूल आवश्‍यकताएं पूरी कर सकेंगे और उनका जीवन निष्‍फल न होगा। मेरे सब साथी तुम को नमस्‍कार कहते हैं। जो विश्‍वास के नाते हमें प्‍यार करते हैं, उन को नमस्‍कार! आप सब पर परमेश्‍वर की कृपा बनी रहे!