1 कुरिन्थियों 12:12-31

1 कुरिन्थियों 12:12-31 HINOVBSI

क्योकि जिस प्रकार देह तो एक है और उसके अंग बहुत से हैं, और उस एक देह के सब अंग बहुत होने पर भी सब मिलकर एक ही देह हैं, उसी प्रकार मसीह भी है। क्योंकि हम सब ने क्या यहूदी हो क्या यूनानी, क्या दास हो क्या स्वतंत्र, एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिये बपतिस्मा लिया, और हम सब को एक ही आत्मा पिलाया गया। इसलिये कि देह में एक ही अंग नहीं परन्तु बहुत से हैं। यदि पाँव कहे, “मैं हाथ नहीं, इसलिये देह का नहीं,” तो क्या वह इस कारण देह का नहीं? और यदि कान कहे, “मैं आँख नहीं, इसलिये देह का नहीं,” तो क्या वह इस कारण देह का नहीं है? यदि सारी देह आँख ही होती तो सुनना कहाँ होता? यदि सारी देह कान ही होती, तो सूँघना कहाँ होता? परन्तु सचमुच परमेश्‍वर ने अंगों को अपनी इच्छा के अनुसार एक एक करके देह में रखा है। यदि वे सब एक ही अंग होते, तो देह कहाँ होती? परन्तु अब अंग तो बहुत से हैं, परन्तु देह एक ही है। आँख हाथ से नहीं कह सकती, “मुझे तेरी आवश्यकता नहीं,” और न सिर पाँवों से कह सकता है, “मुझे तुम्हारी आवश्यकता नहीं।” परन्तु देह के वे अंग जो दूसरों से निर्बल लगते हैं, बहुत ही आवश्यक हैं; और देह के जिन अंगों को हम आदर के योग्य नहीं समझते उन्हीं को हम अधिक आदर देते हैं; और हमारे शोभाहीन अंग और भी बहुत शोभायमान हो जाते हैं, फिर भी हमारे शोभायमान अंगों को इसकी आवश्यकता नहीं। परन्तु परमेश्‍वर ने देह को ऐसा बना दिया है कि जिस अंग को आदर की घटी थी उसी को और भी बहुत आदर मिले। ताकि देह में फूट न पड़े, परन्तु अंग एक दूसरे की बराबर चिन्ता करें। इसलिये यदि एक अंग दु:ख पाता है, तो सब अंग उसके साथ दु:ख पाते हैं; और यदि एक अंग की बड़ाई होती है, तो उसके साथ सब अंग आनन्द मनाते हैं। इसी प्रकार तुम सब मिलकर मसीह की देह हो, और अलग अलग उसके अंग हो; और परमेश्‍वर ने कलीसिया में अलग अलग व्यक्‍ति नियुक्‍त किए हैं : प्रथम प्रेरित, दूसरे भविष्यद्वक्‍ता, तीसरे शिक्षक, फिर सामर्थ्य के काम करनेवाले, फिर चंगा करनेवाले, और उपकार करनेवाले, और प्रबन्ध करनेवाले, और नाना प्रकार की भाषा बोलनेवाले। क्या सब प्रेरित हैं? क्या सब भविष्यद्वक्‍ता हैं? क्या सब उपदेशक हैं? क्या सब सामर्थ्य के काम करनेवाले हैं? क्या सब को चंगा करने का वरदान मिला है? क्या सब नाना प्रकार की भाषा बोलते हैं? क्या सब अनुवाद करते हैं? तुम बड़े से बड़े वरदानों की धुन में रहो। परन्तु मैं तुम्हें और भी सबसे उत्तम मार्ग बताता हूँ।