1 शमूएल 24:4-11

1 शमूएल 24:4-11 HINOVBSI

तब दाऊद के जनों ने उससे कहा, “सुन, आज वही दिन है जिसके विषय यहोवा ने तुझ से कहा था, ‘मैं तेरे शत्रु को तेरे हाथ में सौंप दूँगा, कि तू उससे मनमाना बर्ताव कर ले’।” तब दाऊद ने उठकर शाऊल के बागे की छोर को छिपकर काट लिया। इसके बाद दाऊद शाऊल के बागे की छोर काटने से पछताया। वह अपने जनों से कहने लगा, “यहोवा न करे कि मैं अपने प्रभु से जो यहोवा का अभिषिक्‍त है, ऐसा काम करूँ कि उस पर हाथ उठाऊँ, क्योंकि वह यहोवा का अभिषिक्‍त है।” ऐसी बातें कहकर दाऊद ने अपने जनों को समझाया, और उन्हें शाऊल पर आक्रमण करने को उठने न दिया। फिर शाऊल उठकर गुफ़ा से निकला और अपना मार्ग लिया। उसके बाद दाऊद भी उठकर गुफ़ा से निकला, और शाऊल को पीछे से पुकार कर बोला, “हे मेरे प्रभु, हे राजा।” जब शाऊल ने पीछे मुड़कर देखा, तब दाऊद ने भूमि की ओर सिर झुकाकर दण्डवत् की। और दाऊद ने शाऊल से कहा, “जो मनुष्य कहते हैं कि दाऊद तेरी हानि चाहता है उनकी तू क्यों सुनता है? देख, आज तू ने अपनी आँखों से देखा है कि यहोवा ने आज गुफ़ा में तुझे मेरे हाथ सौंप दिया था; और किसी किसी ने तो मुझ से तुझे मार डालने को कहा था, परन्तु मुझे तुझ पर तरस आया; और मैं ने कहा, ‘मैं अपने प्रभु पर हाथ न उठाऊँगा; क्योंकि वह यहोवा का अभिषिक्‍त है।’ फिर, हे मेरे पिता, देख, अपने बागे की छोर मेरे हाथ में देख; मैं ने तेरे बागे की छोर तो काट ली, परन्तु तुझे घात न किया; इससे निश्‍चय करके जान ले, कि मेरे मन में कोई बुराई या अपराध का सोच नहीं है। मैं ने तेरे विरुद्ध कोई अपराध नहीं किया, परन्तु तू मेरा प्राण लेने को मानो उसका अहेर करता रहता है।