2 राजाओं 19

19
राजा का यशायाह से सलाह माँगना
(यशा 37:1–7)
1जब हिजकिय्याह राजा ने यह सुना, तब वह अपने वस्त्र फाड़, टाट ओढ़कर यहोवा के भवन में गया। 2उसने एल्याकीम को जो राजघराने के काम पर था, और शेब्ना मंत्री को और याजकों के पुरनियों को, जो सब टाट ओढ़े हुए थे, आमोस के पुत्र यशायाह भविष्यद्वक्‍ता के पास भेज दिया। 3उन्होंने उससे कहा, “हिजकिय्याह यों कहता है, आज का दिन संकट, और भर्त्सना, और निन्दा का दिन है; बच्‍चों के जन्म का समय तो हुआ पर ज़च्‍चा को जन्म देने का बल न रहा। 4कदाचित तेरा परमेश्‍वर यहोवा रबशाके की सब बातें सुने, जिसे उसके स्वामी अश्शूर के राजा ने जीवते परमेश्‍वर की निन्दा करने को भेजा है, और जो बातें तेरे परमेश्‍वर यहोवा ने सुनी हैं उन्हें डाँटे; इसलिये तू इन बचे हुओं के लिये जो रह गए हैं प्रार्थना कर#19:4 मूल में, प्रार्थना उठा ।”
5जब हिजकिय्याह राजा के कर्मचारी यशायाह के पास आए, 6तब यशायाह ने उनसे कहा, “अपने स्वामी से कहो, ‘यहोवा यों कहता है कि जो वचन तू ने सुने हैं, जिनके द्वारा अश्शूर के राजा के जनों ने मेरी निन्दा की है, उनके कारण मत डर। 7सुन, मैं उसके मन को प्रेरित करूँगा,#19:7 मूल में, उसमें एक आत्मा डालूँगा कि वह कुछ समाचार सुनकर अपने देश को लौट जाए, और मैं उसको उसी के देश में तलवार से मरवा डालूँगा।”
अश्शूरियों की धमकी
(यशा 37:8–20)
8तब रबशाके ने लौटकर अश्शूर के राजा को लिब्ना नगर से युद्ध करते पाया, क्योंकि उसने सुना था कि वह लाकीश के पास से उठ गया है। 9जब उसने कूश के राजा तिर्हाका के विषय यह सुना, “वह मुझ से लड़ने को निकला है,” तब उसने हिजकिय्याह के पास दूतों को यह कहकर भेजा, 10“तुम यहूदा के राजा हिजकिय्याह से यों कहना : ‘तेरा परमेश्‍वर जिसका तू भरोसा करता है, यह कहकर तुझे धोखा न देने पाए, कि यरूशलेम अश्शूर के राजा के वश में न पड़ेगा। 11देख, तू ने तो सुना है कि अश्शूर के राजाओं ने सब देशों से कैसा व्यवहार किया है और उनका सत्यानाश कर दिया है। फिर क्या तू बचेगा? 12गोजान और हारान और रेसेप और तलस्सार में रहनेवाले एदेनी, जिन जातियों को मेरे पुरखाओं ने नष्‍ट किया, क्या उन में से किसी जाति के देवताओं ने उसको बचा लिया? 13हमात का राजा, और अर्पाद का राजा, और सपर्वैम नगर का राजा, और हेना और इव्वा के राजा ये सब कहाँ रहे?’ ”
14इस पत्री को हिजकिय्याह ने दूतों के हाथ से लेकर पढ़ा। तब यहोवा के भवन में जाकर उसको यहोवा के सामने फैला दिया। 15तब हिजकिय्याह ने यहोवा से यह प्रार्थना की, “हे इस्राएल के परमेश्‍वर यहोवा! हे करूबों पर विराजनेवाले!#निर्ग 25:22 पृथ्वी के सब राज्यों के ऊपर केवल तू ही परमेश्‍वर है। आकाश और पृथ्वी को तू ही ने बनाया है। 16हे यहोवा! कान लगाकर सुन, हे यहोवा आँख खोलकर देख, और सन्हेरीब के वचनों को सुन ले, जो उसने जीवित परमेश्‍वर की निन्दा करने को कहला भेजे हैं। 17हे यहोवा, सच तो है कि अश्शूर के राजाओं ने जातियों को और उनके देशों को उजाड़ा है। 18और उनके देवताओं को आग में झोंका है, क्योंकि वे ईश्‍वर न थे; वे मनुष्यों के बनाए हुए काठ और पत्थर ही के थे, इस कारण वे उनका नाश कर सके। 19इसलिये अब हे हमारे परमेश्‍वर यहोवा, तू हमें उसके हाथ से बचा कि पृथ्वी के राज्य राज्य के लोग जान लें कि केवल तू ही यहोवा है।”
राजा के लिये यशायाह का संदेश
(यशा 37:21–38)
20तब आमोस के पुत्र यशायाह ने हिजकिय्याह के पास यह कहला भेजा, “इस्राएल का परमेश्‍वर यहोवा यों कहता है : जो प्रार्थना तू ने अश्शूर के राजा सन्हेरीब के विषय मुझ से की, उसे मैं ने सुना है। 21उसके विषय में यहोवा ने यह वचन कहा है,
“सिय्योन की कुमारी कन्या तुझे तुच्छ जानती
और तुझे ठठ्ठों में उड़ाती है,
यरूशलेम की पुत्री, तुझ पर सिर हिलाती है।
22“तू ने जो नामधराई और निन्दा की है, वह
किस की है?
और तू ने जो बड़ा बोल बोला और घमण्ड
किया#19:22 मूल में, अपनी आँखें ऊपर की ओर उठाईं है वह किसके विरुद्ध किया है?
इस्राएल के पवित्र के विरुद्ध तू ने किया है!
23अपने दूतों के द्वारा तू ने प्रभु की निन्दा
करके कहा है,
कि बहुत से रथ लेकर मैं पर्वतों की चोटियों
पर,
वरन् लबानोन के बीच तक चढ़ आया हूँ,
और मैं उसके ऊँचे ऊँचे देवदारुओं और
अच्छे अच्छे सनोवरों को काट डालूँगा;
और उसमें जो सबसे ऊँचा टिकने का स्थान
होगा उसमें और उसके वन की फलदाई
बारियों में प्रवेश करूँगा।
24मैं ने तो खुदवाकर परदेश का पानी पिया;
और मिस्र की नहरों में पाँव धरते ही
उन्हें सुखा डालूँगा।
25क्या तू ने नहीं सुना, कि प्राचीनकाल से मैं ने
यही ठहराया?
और अगले दिनों से इसकी तैयारी की
थी, उन्हें अब मैं ने पूरा भी किया है,
कि तू गढ़वाले नगरों को खण्डहर ही खण्डहर
कर दे,
26इसी कारण उनके रहनेवालों का बल घट
गया, वे विस्मित और लज्जित हुए;
वे मैदान के छोटे छोटे पेड़ों और हरी
घास और छत पर की घास,
और ऐसे अनाज के समान हो गए, जो बढ़ने
से पहले सूख जाता है।
27“मैं तो तेरा बैठा रहना, और कूच करना,
और लौट आना जानता हूँ,
और यह भी कि तू मुझ पर अपना क्रोध
भड़काता है।
28इस कारण कि तू मुझ पर अपना क्रोध भड़काता
और तेरे अभिमान की बातें मेरे कानों में
पड़ी हैं,
मैं तेरी नाक में अपनी नकेल डालकर
और तेरे मुँह में अपना लगाम लगाकर,
जिस मार्ग से तू आया है, उसी से तुझे
लौटा दूँगा।
29“और तेरे लिये यह चिह्न होगा कि इस वर्ष तो तुम उसे खाओगे जो आप से आप उगे, और दूसरे वर्ष उसे जो उत्पन्न हो वह खाओगे; और तीसरे वर्ष बीज बोने और उसे लवने पाओगे, और दाख की बारियाँ लगाने और उनका फल खाने पाओगे। 30और यहूदा के घराने के बचे हुए लोग फिर जड़ पकड़ेंगे,#19:30 मूल में, नीचे की ओर जड़ और फलेंगे भी। 31क्योंकि यरूशलेम में से बचे हुए और सिय्योन पर्वत के भागे हुए लोग निकलेंगे। यहोवा यह काम अपनी जलन के कारण करेगा।
32“इसलिये यहोवा अश्शूर के राजा के विषय में यों कहता है कि वह इस नगर में प्रवेश करने, वरन् इस पर एक तीर भी मारने न पाएगा, और न वह ढाल लेकर इसके सामने आने, या इसके विरुद्ध दमदमा बनाने पाएगा। 33जिस मार्ग से वह आया, उसी से वह लौट भी जाएगा, और इस नगर में प्रवेश न करने पाएगा, यहोवा की यही वाणी है। 34और मैं अपने निमित्त और अपने दास दाऊद के निमित्त इस नगर की रक्षा करके इसे बचाऊँगा।”
35उसी रात में क्या हुआ कि यहोवा के दूत ने निकलकर अश्शूरियों की छावनी में एक लाख पचासी हज़ार पुरुषों को मारा, और भोर को जब लोग उठे, तब देखा, कि शव ही शव पड़े हैं। 36तब अश्शूर का राजा सन्हेरीब चल दिया, और लौटकर नीनवे में रहने लगा। 37वहाँ वह अपने देवता निस्रोक के मन्दिर में दण्डवत् कर रहा था कि अदेम्मेलेक और सरेसेर ने उसको तलवार से मारा, और अरारात देश में भाग गए। तब उस का पुत्र एसर्हद्दोन उसके स्थान पर राज्य करने लगा।

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