हनन्याह नामक एक मनुष्य और उसकी पत्नी, सफीरा ने कुछ भूमि बेची और उसके दाम में से कुछ रख छोड़ा; और यह बात उसकी पत्नी भी जानती थी, और उसका एक भाग लाकर प्रेरितों के पाँवों के आगे रख दिया। पतरस ने कहा, “हे हनन्याह! शैतान ने तेरे मन में यह बात क्यों डाली कि तू पवित्र आत्मा से झूठ बोले, और भूमि के दाम में से कुछ रख छोड़े? जब तक वह तेरे पास रही, क्या तेरी न थी? और जब बिक गई तो क्या तेरे वश में न थी? तू ने यह बात अपने मन में क्यों विचारी? तू मनुष्यों से नहीं, परन्तु परमेश्वर से झूठ बोला है।” ये बातें सुनते ही हनन्याह गिर पड़ा और प्राण छोड़ दिए, और सब सुननेवालों पर बड़ा भय छा गया। फिर जवानों ने उठकर उसकी अर्थी बनाई और बाहर ले जाकर गाड़ दिया। लगभग तीन घंटे के बाद उसकी पत्नी, जो कुछ हुआ था न जानकर, भीतर आई। तब पतरस ने उससे कहा, “मुझे बता क्या तुम ने वह भूमि इतने ही में बेची थी?” उसने कहा, “हाँ, इतने ही में।” पतरस ने उससे कहा, “यह क्या बात है कि तुम दोनों ने प्रभु के आत्मा की परीक्षा के लिये एका किया? देख, तेरे पति के गाड़नेवाले द्वार ही पर खड़े हैं, और तुझे भी बाहर ले जाएँगे।” तब वह तुरन्त उसके पाँवों पर गिर पड़ी, और प्राण छोड़ दिए; और जवानों ने भीतर आकर उसे मरा पाया, और बाहर ले जाकर उसके पति के पास गाड़ दिया। सारी कलीसिया पर और इन बातों के सब सुननेवालों पर बड़ा भय छा गया।
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