तब नबूकदनेस्सर राजा अचम्भित हुआ और घबराकर उठ खड़ा हुआ, और अपने मंत्रियों से पूछने लगा, “क्या हम ने उस आग के बीच तीन ही पुरुष बन्धे हुए नहीं डलवाए?” उन्होंने राजा को उत्तर दिया, “हाँ राजा, सच बात है।” फिर उसने कहा, “अब मैं देखता हूँ कि चार पुरुष आग के बीच खुले हुए टहल रहे हैं, और उनको कुछ भी हानि नहीं पहुँची; और चौथे पुरुष का स्वरूप ईश्वर के पुत्र के सदृश है।”
फिर नबूकदनेस्सर उस धधकते हुए भट्ठे के द्वार के पास जाकर कहने लगा, “हे शद्रक, मेशक और अबेदनगो, हे परमप्रधान परमेश्वर के दासो, निकलकर यहाँ आओ!” यह सुनकर शद्रक, मेशक और अबेदनगो आग के बीच से निकल आए। जब अधिपति, हाकिम, गवर्नर और राजा के मंत्रियों ने, जो इकट्ठे हुए थे, उन पुरुषों की ओर देखा, तब उनकी देह में आग का कुछ भी प्रभाव नहीं पाया; और उनके सिर का एक बाल भी न झुलसा, न उनके मोज़े कुछ बिगड़े, न उन में जलने की कुछ गन्ध पाई गई। नबूकदनेस्सर कहने लगा, “धन्य है शद्रक, मेशक, और अबेदनगो का परमेश्वर, जिसने अपना दूत भेजकर अपने इन दासों को इसलिये बचाया, क्योंकि इन्होंने राजा की आज्ञा न मानकर, तुझी पर भरोसा रखा, और यह सोचकर अपना शरीर भी अर्पण किया, कि हम अपने परमेश्वर को छोड़, किसी देवता की उपासना या दण्डवत् न करेंगे। इसलिये अब मैं यह आज्ञा देता हूँ कि देश–देश और जाति–जाति के लोगों, और भिन्न–भिन्न भाषा बोलनेवालों में से जो कोई शद्रक, मेशक और अबेदनगो के परमेश्वर की कुछ निन्दा करेगा, वह टुकड़े टुकड़े किया जाएगा, और उसका घर घूरा बनाया जाएगा; क्योंकि ऐसा कोई और देवता नहीं जो इस रीति से बचा सके।” तब राजा ने बेबीलोन के प्रान्त में शद्रक, मेशक, अबेदनगो का पद और ऊँचा किया।