दानिय्येल 5:5-26

दानिय्येल 5:5-26 HINOVBSI

कि उसी घड़ी मनुष्य के हाथ की सी कई उँगलियाँ निकलकर दीवट के सामने राजमन्दिर की दीवार के चूने पर कुछ लिखने लगीं; और हाथ का जो भाग लिख रहा था, वह राजा को दिखाई पड़ा। उसे देखकर राजा भयभीत हो गया, और वह मन ही मन घबरा गया, और उसकी कमर के जोड़ ढीले पड़ गए, और काँपते काँपते उसके घुटने एक दूसरे से टकराने लगे। तब राजा ने ऊँचे शब्द से पुकारकर तन्त्रियों, कसदियों और अन्य भावी बतानेवालों को हाज़िर करवाने की आज्ञा दी। जब बेबीलोन के पण्डित पास आए, तब राजा उनसे कहने लगा, “जो कोई वह लिखा हुआ पढ़कर उसका अर्थ मुझे समझाए उसे बैंजनी रंग का वस्त्र, और उसके गले में सोने की कण्ठमाला पहिनाई जाएगी; और मेरे राज्य में तीसरा वही प्रभुता करेगा।” तब राजा के सब पण्डित लोग भीतर आए, परन्तु उस लिखे हुए को न पढ़ सके और न राजा को उसका अर्थ समझा सके। इस पर बेलशस्सर राजा बहुत घबरा गया और भयातुर हो गया; और उसके प्रधान भी बहुत व्याकुल हुए। राजा और प्रधानों के वचनों को सुनकर, रानी भोज के भवन में आई और कहने लगी, “हे राजा, तू युग युग जीवित रहे, अपने मन में न घबरा और न उदास हो। तेरे राज्य में दानिय्येल नामक एक पुरुष है जिसका नाम तेरे पिता ने बेलतशस्सर रखा था, उसमें पवित्र ईश्‍वरों की आत्मा रहती है, और उस राजा के दिनों में उस में प्रकाश, प्रवीणता और ईश्‍वरों के तुल्य बुद्धि पाई गई। हे राजा, तेरा पिता जो राजा था, उस ने उसको सब ज्योतिषियों, तन्त्रियों, कसदियों और अन्य भावी बतानेवालों का प्रधान ठहराया था, क्योंकि उसमें उत्तम आत्मा, ज्ञान और प्रवीणता, और स्वप्नों का फल बताने और पहेलियाँ खोलने, और सन्देह दूर करने की शक्‍ति पाई गई। इसलिये अब दानिय्येल बुलाया जाए, और वह इसका अर्थ बताएगा।” तब दानिय्येल राजा के सामने भीतर बुलाया गया। राजा दानिय्येल से पूछने लगा, “क्या तू वही दानिय्येल है जो मेरे पिता नबूकदनेस्सर राजा द्वारा यहूदा देश से लाए हुए यहूदी बँधुओं में से है? मैं ने तेरे विषय में सुना है कि ईश्‍वर की आत्मा तुझ में रहती है; और प्रकाश, प्रवीणता और उत्तम बुद्धि तुझ में पाई जाती है। देख, अभी पण्डित और तन्त्री लोग मेरे सामने इसलिये लाए गए थे कि यह लिखा हुआ पढ़ें और उसका अर्थ मुझे बताएँ, परन्तु वे उस बात का अर्थ न समझा सके। परन्तु मैं ने तेरे विषय में सुना है कि दानिय्येल भेद खोल सकता और सन्देह दूर कर सकता है। इसलिये अब यदि तू उस लिखे हुए को पढ़ सके और उसका अर्थ भी मुझे समझा सके, तो तुझे बैंजनी रंग का वस्त्र, और तेरे गले में सोने की कण्ठमाला पहिनाई जाएगी, और राज्य में तीसरा तू ही प्रभुता करेगा।” दानिय्येल ने राजा से कहा, “अपने दान अपने ही पास रख; और जो बदला तू देना चाहता है, वह दूसरे को दे; वह लिखी हुई बात मैं राजा को पढ़ सुनाऊँगा, और उसका अर्थ भी तुझे समझाऊँगा। हे राजा, परमप्रधान परमेश्‍वर ने तेरे पिता नबूकदनेस्सर को राज्य, बड़ाई, प्रतिष्‍ठा और प्रताप दिया था; और उस बड़ाई के कारण जो उस ने उसको दी थी, देश देश और जाति–जाति के सब लोग, और भिन्न–भिन्न भाषा बोलनेवाले उसके सामने काँपते और थरथराते थे; जिसे वह चाहता उसे वह घात करता था, और जिसको वह चाहता उसे वह जीवित रखता था; जिसे वह चाहता उसे वह ऊँचा पद देता था, और जिसको वह चाहता उसे वह गिरा देता था। परन्तु जब उसका मन फूल उठा, और उसकी आत्मा कठोर हो गई, यहाँ तक कि वह अभिमान करने लगा, तब वह अपने राजसिंहासन पर से उतारा गया, और उसकी प्रतिष्‍ठा भंग की गई; वह मनुष्यों में से निकाला गया, और उसका मन पशुओं का सा, और उसका निवास जंगली गदहों के बीच हो गया; वह बैलों के समान घास चरता, और उसका शरीर आकाश की ओस से भींगा करता था, जब तक कि उसने जान न लिया कि परमप्रधान परमेश्‍वर मनुष्यों के राज्य में प्रभुता करता है और जिसे चाहता उसी को उस पर अधिकारी ठहराता है। तौभी, हे बेलशस्सर, तू जो उसका पुत्र है, और यह सब कुछ जानता था, तौभी तेरा मन नम्र न हुआ। वरन् तू ने स्वर्ग के प्रभु के विरुद्ध सिर उठाकर उसके भवन के पात्र मँगवाकर अपने सामने रखवा लिए, और अपने प्रधानों और रानियों और रखेलियों समेत तू ने उनमें दाखमधु पिया; और चाँदी–सोने, पीतल, लोहे, काठ और पत्थर के देवता, जो न देखते न सुनते, न कुछ जानते हैं, उनकी तो स्तुति की परन्तु परमेश्‍वर, जिसके हाथ में तेरा प्राण है, और जिसके वश में तेरा सब चलना फिरना है, उसका सम्मान तू ने नहीं किया। “तब ही यह हाथ का एक भाग उसी की ओर से प्रगट किया गया है और वे शब्द लिखे गए हैं। जो शब्द लिखे गए वे ये हैं : मने, मने, तकेल, और ऊपर्सीन। इस लेख का अर्थ यह है : मने, अर्थात् परमेश्‍वर ने तेरे राज्य के दिन गिनकर उसका अन्त कर दिया है।

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