व्यवस्थाविवरण 15

15
सातवाँ वर्ष : छुटकारे का वर्ष
(लैव्य 25:1–7)
1“सात सात वर्ष बीतने पर तुम छुटकारा दिया करना, 2अर्थात् जिस किसी ऋण देनेवाले ने अपने पड़ोसी को कुछ उधार दिया हो, वह उसे छोड़ दे; और अपने पड़ोसी या भाई से उसे बरबस न भरवाए, क्योंकि यहोवा के नाम से इस छुटकारे का प्रचार हुआ है। 3परदेशी मनुष्य से तू उसे बरबस भरवा सकता है, परन्तु जो कुछ तेरे भाई के पास तेरा हो उसे तू बिना भरवाए छोड़ देना। 4तेरे बीच कोई दरिद्र न रहेगा, क्योंकि जिस देश को तेरा परमेश्‍वर यहोवा तेरा भाग करके तुझे देता है, कि तू उसका अधिकारी हो, उसमें वह तुझे बहुत ही आशीष देगा। 5इतना अवश्य है कि तू अपने परमेश्‍वर यहोवा की बात चित्त लगाकर सुने, और इन सारी आज्ञाओं के मानने में जो मैं आज तुझे सुनाता हूँ चौकसी करे। 6तब तेरा परमेश्‍वर यहोवा अपने वचन के अनुसार तुझे आशीष देगा, और तू बहुत जातियों को उधार देगा, परन्तु तुझे उधार लेना न पड़ेगा; और तू बहुत जातियों पर प्रभुता करेगा, परन्तु वे तेरे ऊपर प्रभुता न करने पाएँगी।
7“जो देश तेरा परमेश्‍वर यहोवा तुझे देता है उसके किसी फाटक के भीतर यदि तेरे भाइयों में से कोई तेरे पास दरिद्र हो, तो अपने उस दरिद्र भाई के लिये न तो अपना हृदय कठोर करना, और न अपनी मुट्ठी कड़ी करना; 8जिस वस्तु की घटी उसको हो, उसकी जितनी आवश्यकता हो उतना अवश्य अपना हाथ ढीला करके उसको उधार देना।#लैव्य 25:35 9सचेत रह कि तेरे मन में ऐसी अधम चिन्ता न समाए, कि सातवाँ वर्ष जो छुटकारे का वर्ष है वह निकट है, और अपनी दृष्‍टि तू अपने उस दरिद्र भाई की ओर से क्रूर करके उसे कुछ न दे, और वह तेरे विरुद्ध यहोवा की दोहाई दे, तो यह तेरे लिये पाप ठहरेगा। 10तू उसको अवश्य देना, और उसे देते समय तेरे मन को बुरा न लगे; क्योंकि इसी बात के कारण तेरा परमेश्‍वर यहोवा तेरे सब कामों में जिनमें तू अपना हाथ लगाएगा तुझे आशीष देगा। 11तेरे देश में दरिद्र तो सदा पाए जाएँगे; इसलिये मैं तुझे यह आज्ञा देता हूँ, कि तू अपने देश में अपने दीन–दरिद्र भाइयों को अपना हाथ ढीला करके अवश्य दान देना।#मत्ती 26:11; मरकुस 14:7; यूह 12:8
दासों से व्यवहार
(निर्ग 21:1–11)
12“यदि तेरा कोई भाईबन्धु, अर्थात् कोई इब्री या इब्रिन, तेरे हाथ बिके, और वह छ: वर्ष तेरी सेवा कर चुके, तो सातवें वर्ष उसको अपने पास से स्वतन्त्र करके जाने देना। 13और जब तू उसको स्वतन्त्र करके अपने पास से जाने दे तब उसे छूछे हाथ न जाने देना; 14वरन् अपनी भेड़–बकरियों, और खलिहान, और दाखमधु के कुण्ड में से उसको बहुतायत से देना; तेरे परमेश्‍वर यहोवा ने तुझे जैसी आशीष दी हो उसी के अनुसार उसे देना। 15और इस बात को स्मरण रखना कि तू भी मिस्र देश में दास था, और तेरे परमेश्‍वर यहोवा ने तुझे छुड़ा लिया; इस कारण मैं आज तुझे यह आज्ञा सुनाता हूँ। 16और यदि वह तुझ से और तेरे घराने से प्रेम रखता, और तेरे संग आनन्द से रहता हो, और इस कारण तुझ से कहने लगे, ‘मैं तेरे पास से न जाऊँगा,’ 17तो सुतारी लेकर उसका कान किवाड़ पर लगाकर छेदना, तब वह सदा तेरा दास बना रहेगा। और अपनी दासी से भी ऐसा ही करना। 18जब तू उसको अपने पास से स्वतन्त्र करके जाने दे, तब उसे छोड़ देना तुझ को कठिन न जान पड़े; क्योंकि उसने छ: वर्ष दो मजदूरों के बराबर तेरी सेवा की है। और तेरा परमेश्‍वर यहोवा तेरे सारे कामों में तुझ को आशीष देगा।#लैव्य 25:39–46
पहिलौठे पशुओं का अर्पण
19“तेरी गायों और भेड़–बकरियों के जितने पहिलौठे नर हों उन सभों को अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिये पवित्र रखना; अपनी गायों के पहिलौठे से कोई काम न लेना, और न अपनी भेड़–बकरियों के पहिलौठे का ऊन कतरना।#निर्ग 13:12 20उस स्थान पर जो तेरा परमेश्‍वर यहोवा चुन लेगा तू यहोवा के सामने अपने अपने घराने समेत प्रति वर्ष उसका मांस खाना। 21परन्तु यदि उसमें किसी प्रकार का दोष हो, अर्थात् वह लंगड़ा या अन्धा हो, या उसमें किसी और ही प्रकार की बुराई का दोष हो, तो उसे अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिये बलि न करना। 22उसको अपने फाटकों के भीतर खाना; शुद्ध और अशुद्ध दोनों प्रकार के मनुष्य जैसे चिकारे और हरिण का मांस खाते हैं वैसे ही उसका भी खा सकेंगे। 23परन्तु उसका लहू न खाना; उसे जल के समान भूमि पर उँडेल देना।#उत्प 9:4; लैव्य 7:26,27; 17:10–14; 19:26; व्य 12:16,23

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