व्यवस्थाविवरण 5
5
दस आज्ञाएँ
(निर्ग 20:1–17)
1मूसा ने सारे इस्राएलियों को बुलवाकर कहा, “हे इस्राएलियो, जो जो विधि और नियम मैं आज तुम्हें सुनाता हूँ वे सुनो, इसलिये कि उन्हें सीखकर मानने में चौकसी करो। 2हमारे परमेश्वर यहोवा ने होरेब पर हम से वाचा बाँधी। 3इस वाचा को यहोवा ने हमारे पितरों से नहीं, हम ही से बाँधा, जो यहाँ आज के दिन जीवित हैं। 4यहोवा ने उस पर्वत पर आग के बीच में से तुम लोगों से आमने–सामने बातें कीं; 5उस आग के डर के मारे तुम पर्वत पर न चढ़े, इसलिये मैं यहोवा के और तुम्हारे बीच उसका वचन तुम्हें बताने को खड़ा रहा। तब उसने कहा,
6‘तेरा परमेश्वर यहोवा, जो तुझे दासत्व के घर अर्थात् मिस्र देश में से निकाल लाया है, वह मैं हूँ।
7‘मुझे छोड़ दूसरों को परमेश्वर करके न मानना#5:7 या मेरे सामने पराए देवताओं को न मानना ।
8‘तू अपने लिये कोई मूर्ति खोदकर न बनाना, न किसी की प्रतिमा बनाना जो आकाश में, या पृथ्वी पर, या पृथ्वी के जल में#5:8 मूल में, पृथ्वी के नीचे के जल में है; 9तू उनको दण्डवत् न करना और न उनकी उपासना करना; क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा जलन रखनेवाला ईश्वर हूँ, और जो मुझसे बैर रखते हैं उनके बेटों, पोतों, और परपोतों को पितरों का दण्ड दिया करता हूँ,#लैव्य 26:1; व्य 4:15–18; 27:15 10और जो मुझ से प्रेम रखते और मेरी आज्ञाओं को मानते हैं उन हज़ारों पर करुणा किया करता हूँ।#निर्ग 34:6,7; गिन 14:18; व्य 7:9,10
11‘तू अपने परमेश्वर यहोवा का नाम व्यर्थ न लेना; क्योंकि जो यहोवा का नाम व्यर्थ#5:11 या झूठी बात पर ले वह उनको निर्दोष न ठहराएगा।#लैव्य 19:12
12‘तू विश्रामदिन को मानकर पवित्र रखना, जैसे तेरे परमेश्वर यहोवा ने तुझे आज्ञा दी।#निर्ग 16:23–30; 31:12–14 13छ: दिन तो परिश्रम करके अपना सारा काम–काज करना; 14परन्तु सातवाँ दिन तेरे परमेश्वर यहोवा के लिये विश्रामदिन है; उसमें न तू किसी भाँति का काम–काज करना, न तेरा बेटा, न तेरी बेटी, न तेरा दास, न तेरी दासी, न तेरा बैल, न तेरा गदहा, न तेरा कोई पशु, न कोई परदेशी भी जो तेरे फाटकों के भीतर हो; जिससे तेरा दास और तेरी दासी भी तेरे समान विश्राम करे।#निर्ग 23:12; 31:15; 34:21; 35:2; लैव्य 23:3 15और इस बात को स्मरण रखना कि मिस्र देश में तू आप दास था, और वहाँ से तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे बलवन्त हाथ और बढ़ाई हुई भुजा के द्वारा निकाल लाया; इस कारण तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे विश्रामदिन मानने की आज्ञा देता है।
16‘अपने पिता और अपनी माता का आदर करना, जैसे कि तेरे परमेश्वर यहोवा ने तुझे
आज्ञा दी है; जिससे जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उसमें तू बहुत दिन तक रहने पाए, और तेरा भला हो।#व्य 27:16; मत्ती 15:4; 19:19; मरकुस 7:10; 10:19; लूका 18:20; इफि 6:2,3
17‘तू हत्या न करना।#उत्प 9:6; लैव्य 24:17; मत्ती 5:21; 19:18; मरकुस 10:19; लूका 18:20; रोम 13:9; याकू 2:11
18‘तू व्यभिचार न करना।#लैव्य 20:10; मत्ती 5:27; 19:18; मरकुस 10:19; लूका 18:20; रोम 13:9; याकू 2:11
19‘तू चोरी न करना।#लैव्य 19:11; मत्ती 19:18; मरकुस 10:19; लूका 18:20; रोम 13:9
20‘तू किसी के विरुद्ध झूठी साक्षी न देना।#निर्ग 23:1; मत्ती 19:18; मरकुस 10:19; लूका 18:20
21‘तू न किसी की पत्नी का लालच करना, और न किसी के घर का लालच करना, न उसके खेत का, न उसके दास का, न उसकी दासी का, न उसके बैल या गदहे का, न उसकी किसी और वस्तु का लालच करना।’#रोम 7:7; 13:9
22“यही वचन यहोवा ने उस पर्वत पर आग, और बादल, और घोर अन्धकार के बीच में से तुम्हारी सारी मण्डली से पुकारकर कहा; और इससे अधिक और कुछ न कहा। और उन्हें उसने पत्थर की दो पटियाओं पर लिखकर मुझे दे दिया।
लोगों का भयभीत होना
(निर्ग 20:18–21)
23“जब पर्वत आग से दहक रहा था, और तुम ने उस शब्द को अन्धियारे के बीच में से आते सुना, तब तुम और तुम्हारे गोत्रों के सब मुख्य मुख्य पुरुष और तुम्हारे पुरनिए मेरे पास आए; 24और तुम कहने लगे, ‘हमारे परमेश्वर यहोवा ने हम को अपना तेज और अपनी महिमा दिखाई है, और हम ने उसका शब्द आग के बीच में से आते हुए सुना; आज हम ने देख लिया कि यद्यपि परमेश्वर मनुष्य से बातें करता है तौभी मनुष्य जीवित रहता है। 25अब हम क्यों मर जाएँ? क्योंकि ऐसी बड़ी आग से हम भस्म हो जाएँगे; और यदि हम अपने परमेश्वर यहोवा का शब्द फिर सुनें, तब तो मर ही जाएँगे। 26क्योंकि सारे प्राणियों में से कौन ऐसा है जो हमारे समान जीवित और अग्नि के बीच में से बोलते हुए परमेश्वर का शब्द सुनकर जीवित बचा रहे? 27इसलिये तू समीप जा, और जो कुछ हमारा परमेश्वर यहोवा कहे उसे सुन ले; फिर जो कुछ हमारा परमेश्वर यहोवा कहे उसे हम से कहना; और हम उसे सुनेंगे और उसे मानेंगे।’#इब्रा 12:18,19
28“जब तुम मुझ से ये बातें कह रहे थे तब यहोवा ने तुम्हारी बातें सुनीं; तब उसने मुझ से कहा, ‘इन लोगों ने जो बातें तुझ से कही हैं मैं ने सुनी हैं; इन्हों ने जो कुछ कहा वह ठीक ही कहा। 29भला होता कि उनका मन सदैव ऐसा ही बना रहे, कि वे मेरा भय मानते हुए मेरी सब आज्ञाओं पर चलते रहें, जिससे उनकी और उनके वंश की सदैव भलाई होती रहे! 30इसलिये तू जाकर उनसे कह दे, कि अपने अपने डेरों को लौट जाओ। 31परन्तु तू यहीं मेरे पास खड़ा रह, और मैं वे सारी आज्ञाएँ और विधियाँ और नियम जिन्हें तुझे उनको सिखाना होगा तुझ से कहूँगा, जिससे वे उन्हें उस देश में जिसका अधिकार मैं उन्हें देने पर हूँ मानें।’ 32इसलिये तुम अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार करने में चौकसी करना; न तो दाहिने मुड़ना और न बाएँ। 33जिस मार्ग पर चलने की आज्ञा तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम को दी है उस सारे मार्ग पर चलते रहो, कि तुम जीवित रहो, और तुम्हारा भला हो, और जिस देश के तुम अधिकारी होगे उसमें तुम बहुत दिनों के लिये बने रहो।
वर्तमान में चयनित:
व्यवस्थाविवरण 5: HINOVBSI
हाइलाइट
शेयर
कॉपी
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi OV (Re-edited) Bible - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible
Copyright © 2012 by The Bible Society of India
Used by permission. All rights reserved worldwide.
व्यवस्थाविवरण 5
5
दस आज्ञाएँ
(निर्ग 20:1–17)
1मूसा ने सारे इस्राएलियों को बुलवाकर कहा, “हे इस्राएलियो, जो जो विधि और नियम मैं आज तुम्हें सुनाता हूँ वे सुनो, इसलिये कि उन्हें सीखकर मानने में चौकसी करो। 2हमारे परमेश्वर यहोवा ने होरेब पर हम से वाचा बाँधी। 3इस वाचा को यहोवा ने हमारे पितरों से नहीं, हम ही से बाँधा, जो यहाँ आज के दिन जीवित हैं। 4यहोवा ने उस पर्वत पर आग के बीच में से तुम लोगों से आमने–सामने बातें कीं; 5उस आग के डर के मारे तुम पर्वत पर न चढ़े, इसलिये मैं यहोवा के और तुम्हारे बीच उसका वचन तुम्हें बताने को खड़ा रहा। तब उसने कहा,
6‘तेरा परमेश्वर यहोवा, जो तुझे दासत्व के घर अर्थात् मिस्र देश में से निकाल लाया है, वह मैं हूँ।
7‘मुझे छोड़ दूसरों को परमेश्वर करके न मानना#5:7 या मेरे सामने पराए देवताओं को न मानना ।
8‘तू अपने लिये कोई मूर्ति खोदकर न बनाना, न किसी की प्रतिमा बनाना जो आकाश में, या पृथ्वी पर, या पृथ्वी के जल में#5:8 मूल में, पृथ्वी के नीचे के जल में है; 9तू उनको दण्डवत् न करना और न उनकी उपासना करना; क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा जलन रखनेवाला ईश्वर हूँ, और जो मुझसे बैर रखते हैं उनके बेटों, पोतों, और परपोतों को पितरों का दण्ड दिया करता हूँ,#लैव्य 26:1; व्य 4:15–18; 27:15 10और जो मुझ से प्रेम रखते और मेरी आज्ञाओं को मानते हैं उन हज़ारों पर करुणा किया करता हूँ।#निर्ग 34:6,7; गिन 14:18; व्य 7:9,10
11‘तू अपने परमेश्वर यहोवा का नाम व्यर्थ न लेना; क्योंकि जो यहोवा का नाम व्यर्थ#5:11 या झूठी बात पर ले वह उनको निर्दोष न ठहराएगा।#लैव्य 19:12
12‘तू विश्रामदिन को मानकर पवित्र रखना, जैसे तेरे परमेश्वर यहोवा ने तुझे आज्ञा दी।#निर्ग 16:23–30; 31:12–14 13छ: दिन तो परिश्रम करके अपना सारा काम–काज करना; 14परन्तु सातवाँ दिन तेरे परमेश्वर यहोवा के लिये विश्रामदिन है; उसमें न तू किसी भाँति का काम–काज करना, न तेरा बेटा, न तेरी बेटी, न तेरा दास, न तेरी दासी, न तेरा बैल, न तेरा गदहा, न तेरा कोई पशु, न कोई परदेशी भी जो तेरे फाटकों के भीतर हो; जिससे तेरा दास और तेरी दासी भी तेरे समान विश्राम करे।#निर्ग 23:12; 31:15; 34:21; 35:2; लैव्य 23:3 15और इस बात को स्मरण रखना कि मिस्र देश में तू आप दास था, और वहाँ से तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे बलवन्त हाथ और बढ़ाई हुई भुजा के द्वारा निकाल लाया; इस कारण तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे विश्रामदिन मानने की आज्ञा देता है।
16‘अपने पिता और अपनी माता का आदर करना, जैसे कि तेरे परमेश्वर यहोवा ने तुझे
आज्ञा दी है; जिससे जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उसमें तू बहुत दिन तक रहने पाए, और तेरा भला हो।#व्य 27:16; मत्ती 15:4; 19:19; मरकुस 7:10; 10:19; लूका 18:20; इफि 6:2,3
17‘तू हत्या न करना।#उत्प 9:6; लैव्य 24:17; मत्ती 5:21; 19:18; मरकुस 10:19; लूका 18:20; रोम 13:9; याकू 2:11
18‘तू व्यभिचार न करना।#लैव्य 20:10; मत्ती 5:27; 19:18; मरकुस 10:19; लूका 18:20; रोम 13:9; याकू 2:11
19‘तू चोरी न करना।#लैव्य 19:11; मत्ती 19:18; मरकुस 10:19; लूका 18:20; रोम 13:9
20‘तू किसी के विरुद्ध झूठी साक्षी न देना।#निर्ग 23:1; मत्ती 19:18; मरकुस 10:19; लूका 18:20
21‘तू न किसी की पत्नी का लालच करना, और न किसी के घर का लालच करना, न उसके खेत का, न उसके दास का, न उसकी दासी का, न उसके बैल या गदहे का, न उसकी किसी और वस्तु का लालच करना।’#रोम 7:7; 13:9
22“यही वचन यहोवा ने उस पर्वत पर आग, और बादल, और घोर अन्धकार के बीच में से तुम्हारी सारी मण्डली से पुकारकर कहा; और इससे अधिक और कुछ न कहा। और उन्हें उसने पत्थर की दो पटियाओं पर लिखकर मुझे दे दिया।
लोगों का भयभीत होना
(निर्ग 20:18–21)
23“जब पर्वत आग से दहक रहा था, और तुम ने उस शब्द को अन्धियारे के बीच में से आते सुना, तब तुम और तुम्हारे गोत्रों के सब मुख्य मुख्य पुरुष और तुम्हारे पुरनिए मेरे पास आए; 24और तुम कहने लगे, ‘हमारे परमेश्वर यहोवा ने हम को अपना तेज और अपनी महिमा दिखाई है, और हम ने उसका शब्द आग के बीच में से आते हुए सुना; आज हम ने देख लिया कि यद्यपि परमेश्वर मनुष्य से बातें करता है तौभी मनुष्य जीवित रहता है। 25अब हम क्यों मर जाएँ? क्योंकि ऐसी बड़ी आग से हम भस्म हो जाएँगे; और यदि हम अपने परमेश्वर यहोवा का शब्द फिर सुनें, तब तो मर ही जाएँगे। 26क्योंकि सारे प्राणियों में से कौन ऐसा है जो हमारे समान जीवित और अग्नि के बीच में से बोलते हुए परमेश्वर का शब्द सुनकर जीवित बचा रहे? 27इसलिये तू समीप जा, और जो कुछ हमारा परमेश्वर यहोवा कहे उसे सुन ले; फिर जो कुछ हमारा परमेश्वर यहोवा कहे उसे हम से कहना; और हम उसे सुनेंगे और उसे मानेंगे।’#इब्रा 12:18,19
28“जब तुम मुझ से ये बातें कह रहे थे तब यहोवा ने तुम्हारी बातें सुनीं; तब उसने मुझ से कहा, ‘इन लोगों ने जो बातें तुझ से कही हैं मैं ने सुनी हैं; इन्हों ने जो कुछ कहा वह ठीक ही कहा। 29भला होता कि उनका मन सदैव ऐसा ही बना रहे, कि वे मेरा भय मानते हुए मेरी सब आज्ञाओं पर चलते रहें, जिससे उनकी और उनके वंश की सदैव भलाई होती रहे! 30इसलिये तू जाकर उनसे कह दे, कि अपने अपने डेरों को लौट जाओ। 31परन्तु तू यहीं मेरे पास खड़ा रह, और मैं वे सारी आज्ञाएँ और विधियाँ और नियम जिन्हें तुझे उनको सिखाना होगा तुझ से कहूँगा, जिससे वे उन्हें उस देश में जिसका अधिकार मैं उन्हें देने पर हूँ मानें।’ 32इसलिये तुम अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार करने में चौकसी करना; न तो दाहिने मुड़ना और न बाएँ। 33जिस मार्ग पर चलने की आज्ञा तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम को दी है उस सारे मार्ग पर चलते रहो, कि तुम जीवित रहो, और तुम्हारा भला हो, और जिस देश के तुम अधिकारी होगे उसमें तुम बहुत दिनों के लिये बने रहो।
वर्तमान में चयनित:
:
हाइलाइट
शेयर
कॉपी
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi OV (Re-edited) Bible - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible
Copyright © 2012 by The Bible Society of India
Used by permission. All rights reserved worldwide.