यहेजकेल 11:14-25

यहेजकेल 11:14-25 HINOVBSI

तब यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा, “हे मनुष्य के सन्तान, यरूशलेम के निवासियों ने तेरे निकट भाइयों से वरन् इस्राएल के सारे घराने से भी कहा है कि ‘तुम यहोवा के पास से दूर हो जाओ, यह देश हमारे ही अधिकार में दिया गया है।’ परन्तु तू उन से कह, ‘प्रभु यहोवा यों कहता है : मैं ने तुम को दूर दूर की जातियों में बसाया और देश देश में तितर–बितर कर दिया है, तौभी जिन देशों में तुम आए हुए हो, उन में मैं स्वयं तुम्हारे लिये थोड़े दिन तक पवित्रस्थान ठहरूँगा।’ इसलिये, उनसे कह, ‘प्रभु यहोवा यों कहता है : मैं तुम को जाति जाति के लोगों के बीच से बटोरूँगा, और जिन देशों में तुम तितर–बितर किए गए हो, उनमें से तुम को इकट्ठा करूँगा, और तुम्हें इस्राएल की भूमि दूँगा।’ वे वहाँ पहुँचकर उस देश की सब घृणित मूरतें और सब घृणित काम भी उसमें से दूर करेंगे। मैं उनका हृदय एक कर दूँगा, और उनके भीतर नई आत्मा उत्पन्न करूँगा, और उनकी देह में से पत्थर का सा हृदय निकालकर उन्हें मांस का हृदय दूँगा, जिससे वे मेरी विधियों पर नित चला करें और मेरे नियमों को मानें; और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, और मैं उनका परमेश्‍वर ठहरूँगा। परन्तु वे लोग जो अपनी घृणित मूरतों और घृणित कामों में मन लगाकर चलते रहते हैं, उनको मैं ऐसा करूँगा कि उनकी चाल उन्हीं के सिर पर पड़ेगी, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।” इस पर करूबों ने अपने पंख उठाए, और पहिये उनके संग संग चले; और इस्राएल के परमेश्‍वर का तेज उनके ऊपर था। तब यहोवा का तेज नगर के बीच में से उठकर उस पर्वत पर ठहर गया जो नगर के पूर्व ओर है। फिर आत्मा ने मुझे उठाया, और परमेश्‍वर के आत्मा की शक्‍ति से दर्शन में मुझे कसदियों के देश में बन्दियों के पास पहुँचा दिया। जो दर्शन मैं ने पाया था वह लोप हो गया। तब जितनी बातें यहोवा ने मुझे दिखाई थीं, वे मैं ने बन्दियों को बता दीं।

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